कलसूबाई: Difference between revisions
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== | '''कलसूबाई''' [[महाराष्ट्र]] की सबसे ऊंची चोटी है। महाराष्ट्र के [[नासिक ज़िला|नासिक जिले]] के इगतपुरी तालुका में स्थित माउंट कलसूबाई महाराष्ट्र की सबसे ऊंची चोटी है। 'महाराष्ट्र के एवरेस्ट' नाम से प्रसिद्ध इस चोटी की ऊंचाई समुद्र तल से 1646 मीटर है। जिसके अंचल में बसते हैं दो खूबसूरत गांव। एक है बारी और दूसरा गाँव है बाड़ी। वैसे बाड़ी का पूरा नाम है ’अहमदनगर बाड़ी’, लेकिन दोनों गांवों की समीपता के कारण उनके नामों में भी समीपता आ गयी है। इस प्रकार सहयाद्री श्रृंखला का यह भाग ’बारी-बाड़ी’ के नाम से जाना जाता है। दोनों गांवों में कुल मिलाकर लगभग 40 से 50 घर हैं। छोटे-छोटे पहाड़ी खेतों में धान के पौधे हवा में झूम रहे हैं। इनकी महक से वातावरण सुगंधित हो उठता है। | ||
साल के बारहों मास देश के कोने-कोने से लोग [[महाराष्ट्र]] के इस अद्भुत सौंदर्य का दर्शन करने आते हैं। [[पर्वत]] की चोटी पर स्थित है देवी | ==कलसूबाई का मन्दिर== | ||
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साल के बारहों मास देश के कोने-कोने से लोग [[महाराष्ट्र]] के इस अद्भुत सौंदर्य का दर्शन करने आते हैं। [[पर्वत]] की चोटी पर स्थित है देवी कलसूबाई का मन्दिर। उनके नाम पर ही इस चोटी का नाम ’माउण्ट कलसूबाई’ पड़ा और सप्ताहांत में यहां खास जमावड़ा लगता है। बाड़ी गांव से कलसूबाई की चढ़ाई प्रारंभ होती है। चढ़ाई तकरीबन साढ़े तीन घण्टे की है जो टेढ़े-मेढ़े और घुमावदार पथरीले रास्तों से तय होती है। कहीं पहाड़ों को सीढ़ीनुमा बनाया गया है तो कहीं लोहे की सीढ़ियों का प्रयोग किया गया है।<ref>{{cite web |url=https://www.gaonconnection.com/desh-duniya/high-co2-level-in-atmosphere-depleting-crops-nutritional-value-global-warming-climate-change-41097?infinitescroll=1 |title=महाराष्ट्र का एवरेस्ट है कलसूबाई|accessmonthday=20 जुलाई|accessyear=2020 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=gaonconnection.com |language=हिंदी}}</ref> | |||
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[[चित्र:Kalsubai-Peak-1.jpg|thumb|250px|कलसूबाई चोटी, नासिक, महाराष्ट्र]] कलसूबाई महाराष्ट्र की सबसे ऊंची चोटी है। महाराष्ट्र के नासिक जिले के इगतपुरी तालुका में स्थित माउंट कलसूबाई महाराष्ट्र की सबसे ऊंची चोटी है। 'महाराष्ट्र के एवरेस्ट' नाम से प्रसिद्ध इस चोटी की ऊंचाई समुद्र तल से 1646 मीटर है। जिसके अंचल में बसते हैं दो खूबसूरत गांव। एक है बारी और दूसरा गाँव है बाड़ी। वैसे बाड़ी का पूरा नाम है ’अहमदनगर बाड़ी’, लेकिन दोनों गांवों की समीपता के कारण उनके नामों में भी समीपता आ गयी है। इस प्रकार सहयाद्री श्रृंखला का यह भाग ’बारी-बाड़ी’ के नाम से जाना जाता है। दोनों गांवों में कुल मिलाकर लगभग 40 से 50 घर हैं। छोटे-छोटे पहाड़ी खेतों में धान के पौधे हवा में झूम रहे हैं। इनकी महक से वातावरण सुगंधित हो उठता है।
कलसूबाई का मन्दिर
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साल के बारहों मास देश के कोने-कोने से लोग महाराष्ट्र के इस अद्भुत सौंदर्य का दर्शन करने आते हैं। पर्वत की चोटी पर स्थित है देवी कलसूबाई का मन्दिर। उनके नाम पर ही इस चोटी का नाम ’माउण्ट कलसूबाई’ पड़ा और सप्ताहांत में यहां खास जमावड़ा लगता है। बाड़ी गांव से कलसूबाई की चढ़ाई प्रारंभ होती है। चढ़ाई तकरीबन साढ़े तीन घण्टे की है जो टेढ़े-मेढ़े और घुमावदार पथरीले रास्तों से तय होती है। कहीं पहाड़ों को सीढ़ीनुमा बनाया गया है तो कहीं लोहे की सीढ़ियों का प्रयोग किया गया है।[1]
पर्यटन और कृषि
पर्यटन और कृषि ग्रामवासियों की आय का प्रमुख स्त्रोत है। धान यहां की प्रमुख फसल है। यहां एक खास तिलहन की खेती होती है, जिसे स्थानीय भाषा में खुरासनी कहा जाता है। इसके पौधे 2-3 फीट लंबे होते हैं और इसकी पत्तियां अरहर की पत्तियों के समान होती हैं। इनके बीज सूरजमुखी के बीज के समान काले रंग के होते हैं। इसका प्रयोग खाने के अलावा औषधि के रूप में भी किया जाता है। खुरासनी के तेल का प्रयोग स्थानीय लोग चोट और जले-कटे स्थानों पर दवा की तरह करते थे।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ महाराष्ट्र का एवरेस्ट है कलसूबाई (हिंदी) gaonconnection.com। अभिगमन तिथि: 20 जुलाई, 2020।
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