क्षिप्रा नदी: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
सपना वर्मा (talk | contribs) No edit summary |
आदित्य चौधरी (talk | contribs) m (Text replacement - "आंखे" to "आँखें") |
||
(One intermediate revision by one other user not shown) | |||
Line 6: | Line 6: | ||
क्षिप्रा नदी का उद्गम मध्य प्रदेश के महू छावनी से लगभग 17 किलोमीटर दूर जानापाव की पहाडिय़ों से माना गया है। यह स्थान [[विष्णु|भगवान विष्णु]] के अवतार भगवान [[परशुराम]] का जन्म स्थान भी माना गया है। क्षिप्रा नदी को मोक्ष देने वाली यानि जनम-मरण के बंधन से मुक्त करने वाली माना गया है।<ref name="दैनिक भास्कर"/> | क्षिप्रा नदी का उद्गम मध्य प्रदेश के महू छावनी से लगभग 17 किलोमीटर दूर जानापाव की पहाडिय़ों से माना गया है। यह स्थान [[विष्णु|भगवान विष्णु]] के अवतार भगवान [[परशुराम]] का जन्म स्थान भी माना गया है। क्षिप्रा नदी को मोक्ष देने वाली यानि जनम-मरण के बंधन से मुक्त करने वाली माना गया है।<ref name="दैनिक भास्कर"/> | ||
====पौराणिक कथा==== | ====पौराणिक कथा==== | ||
क्षिप्रा नदी की उत्पत्ति के संबंध में पौराणिक कथा है। पुरातन काल में ऋषि [[अत्रि]] ने [[अवंतिका|अवंतिकापुरी]] में हजारों वर्षों घोर तप किया। तप पूरा होने पर जब ऋषि अत्रि ने अपनी [[आंख| | क्षिप्रा नदी की उत्पत्ति के संबंध में पौराणिक कथा है। पुरातन काल में ऋषि [[अत्रि]] ने [[अवंतिका|अवंतिकापुरी]] में हजारों वर्षों घोर तप किया। तप पूरा होने पर जब ऋषि अत्रि ने अपनी [[आंख|आँखेंं]] खोली तो पाया कि उनके तन से दो जलधाराएं बह रही हैं। इनमें से एक जलधारा ने अंतरिक्ष की ओर जाकर [[चंद्रमा]] का रुप ले लिया और दूसरी जलधारा भूमि की ओर बह गई। इसी जलधारा का क्षिप्रा नदी के रुप में उद्गम हुआ।<ref name="दैनिक भास्कर">{{cite web |url=http://religion.bhaskar.com/article/kshipra-1029330.html |title=जनम-मरण के बंधन से मुक्त करती है - क्षिप्रा नदी |accessmonthday=10 जनवरी |accessyear=2013 |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=दैनिक भास्कर |language= हिंदी}}</ref> | ||
[[चित्र:Shipra-River-1.jpg|thumb|right|शिप्रा नदी]] | [[चित्र:Shipra-River-1.jpg|thumb|right|शिप्रा नदी]] | ||
==मान्यता एवं महत्ता== | ==मान्यता एवं महत्ता== | ||
Line 21: | Line 21: | ||
<gallery> | <gallery> | ||
चित्र:Shipra-River-2.jpg|शिप्रा नदी | चित्र:Shipra-River-2.jpg|शिप्रा नदी | ||
चित्र:Shipra-River-3.jpg|शिप्रा नदी | |||
</gallery> | </gallery> | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== |
Latest revision as of 05:44, 4 February 2021
[[चित्र:Shipra-River.jpg|thumb|शिप्रा नदी]]
क्षिप्रा नदी (अंग्रेज़ी: Shipra River) मध्य प्रदेश में बहने वाली एक प्रसिद्ध और ऐतिहासिक नदी है। इसको शिप्रा नदी के नाम से भी जाना जाता है। यह भारत की पवित्र नदियों में एक है। उज्जैन में कुम्भ मेला इसी नदी के किनारे लगता है। द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वरम् भी यहां ही है।
- REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें
उद्गम
क्षिप्रा नदी का उद्गम मध्य प्रदेश के महू छावनी से लगभग 17 किलोमीटर दूर जानापाव की पहाडिय़ों से माना गया है। यह स्थान भगवान विष्णु के अवतार भगवान परशुराम का जन्म स्थान भी माना गया है। क्षिप्रा नदी को मोक्ष देने वाली यानि जनम-मरण के बंधन से मुक्त करने वाली माना गया है।[1]
पौराणिक कथा
क्षिप्रा नदी की उत्पत्ति के संबंध में पौराणिक कथा है। पुरातन काल में ऋषि अत्रि ने अवंतिकापुरी में हजारों वर्षों घोर तप किया। तप पूरा होने पर जब ऋषि अत्रि ने अपनी आँखेंं खोली तो पाया कि उनके तन से दो जलधाराएं बह रही हैं। इनमें से एक जलधारा ने अंतरिक्ष की ओर जाकर चंद्रमा का रुप ले लिया और दूसरी जलधारा भूमि की ओर बह गई। इसी जलधारा का क्षिप्रा नदी के रुप में उद्गम हुआ।[1] thumb|right|शिप्रा नदी
मान्यता एवं महत्ता
हिन्दू धर्म ग्रंथों में अनेक पवित्र नदियों की महिमा बताई गई है। इनमें परम पवित्र गंगा नदी पापों का नाश करने वाली मानी गई है। हर नदी का अपना धार्मिक महत्व बताया गया है। इसी क्रम में मध्य प्रदेश की दो पवित्र नदियों नर्मदा और क्षिप्रा से भी जन-जन की आस्था जुड़ी है। जहां नर्मदा को ज्ञान प्रदायिनी यानि ज्ञान देने वाली माना गया है। वहीं उज्जैन नगर की जीवन धारा क्षिप्रा को मोक्ष देने वाली यानि जनम-मरण के बंधन से मुक्त करने वाली माना गया है।[1]
- स्कंद पुराण में भी क्षिप्रा नदी की महिमा बताई है। यह नदी अपने उद्गम स्थल बहते हुए चंबल नदी से मिल जाती है। मान्यता है कि प्राचीन समय में इसके तेज बहाव के कारण ही इसका नाम क्षिप्रा प्रसिद्ध हुआ।
- उज्जैन में ज्योर्तिंलिंग महाकालेश्वर, शक्तिपीठ हरसिद्धि, पवित्र वट वृक्ष सिद्धवट सहित अनेक पवित्र धार्मिक स्थल होने के साथ 12 वर्षों में होने वाले सिंहस्थ स्नान के कारण क्षिप्रा नदी का धार्मिक महत्व है।
- मेष राशि में सूर्य और सिंह राशि में गुरु के योग बनने पर उज्जैन की पुण्य भूमि पर क्षिप्रा नदी के अमृत समान जल में कुंभ स्नान करने पर कोई भी व्यक्ति जनम-मरण के बंधन से छूट जाता है।
- क्षिप्रा नदी के किनारे स्थित सांदीपनी आश्रम में भगवान श्रीकृष्ण, बलराम और उनके प्रिय सखा सुदामा ने विद्या अध्ययन किया। राजा भर्तृहरि और गुरु गोरखनाथ ने भी इस पवित्र नदी के तट पर तपस्या से सिद्धि प्राप्त की।
- क्षिप्रा नदी के किनारे के घाटों का भी पौराणिक महत्व है। जिनमें रामघाट मुख्य घाट माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम ने पिता दशरथ का श्राद्धकर्म और तर्पण इसी घाट पर किया था। इसके अलावा नृसिंह घाट, गंगा घाट, पिशाचमोचन तीर्थ, गंधर्व तीर्थ भी प्रमुख घाट हैं।
- उज्जैन नगर को शिव की नगरी माना जाता है। अत: यहां महाशिवरात्रि पर्व के साथ ही कार्तिक पूर्णिमा और गंगा दशहरा के दिन श्रद्धालु क्षिप्रा में स्नान के लिए बड़ी संख्या में आते हैं। स्नान, दान, जप कर वह धर्म लाभ अर्जित करते हैं।[1]
|
|
|
|
|
वीथिका
-
शिप्रा नदी
-
शिप्रा नदी
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 1.2 1.3 जनम-मरण के बंधन से मुक्त करती है - क्षिप्रा नदी (हिंदी) (एच.टी.एम.एल) दैनिक भास्कर। अभिगमन तिथि: 10 जनवरी, 2013।
संबंधित लेख