बलराज साहनी: Difference between revisions

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साम्यवादी विचारधारा के मुखर समर्थक साहनी जनमानस के अभिनेता थे जो अपने सशक्त अभिनय से दर्शकों को पर्दे के पात्र से भावनात्मक रूप से जोड़ देते।  
साम्यवादी विचारधारा के मुखर समर्थक साहनी जनमानस के अभिनेता थे जो अपने सशक्त अभिनय से दर्शकों को पर्दे के पात्र से भावनात्मक रूप से जोड़ देते।  


जब पर्दे पर वह अपनी [[दो बीघा ज़मीन]] फ़िल्म में ज़मीन गंवा चुके मज़दूर, रिक्शाचालक की भूमिका में नज़र आए तो कहीं से नहीं महसूस हुआ कि [[कोलकाता]] की सड़कों पर रिक्शा खींच रहा रिक्शाचालक शंभु नहीं बल्कि कोई स्थापित अभिनेता है। दरअसल पात्रों में पूरी तरह डूब जाना उनकी खूबी थी। यह काबुली वाला, लाजवंती, हकीकत, दो बीघा जमीन, धरती के लाल, गरम हवा, वक्त, दो रास्ते सहित उनकी किसी भी फ़िल्म में महसूस किया जा सकता है।
जब पर्दे पर वह अपनी [[दो बीघा ज़मीन]] फ़िल्म में ज़मीन गंवा चुके मज़दूर, रिक्शाचालक की भूमिका में नज़र आए तो कहीं से नहीं महसूस हुआ कि [[कोलकाता]] की सड़कों पर रिक्शा खींच रहा रिक्शाचालक शंभु नहीं बल्कि कोई स्थापित अभिनेता है। दरअसल पात्रों में पूरी तरह डूब जाना उनकी खूबी थी। यह काबुली वाला, लाजवंती, हकीकत, दो बीघा ज़मीन, धरती के लाल, गरम हवा, वक्त, दो रास्ते सहित उनकी किसी भी फ़िल्म में महसूस किया जा सकता है।
==साहित्यकार के रुप में==
==साहित्यकार के रुप में==
बलराज साहनी बेहतरीन साहित्यकार भी थे जिन्होंने [[पाकिस्तान]] का सफ़र और रूसी सफरनामा जैसे चर्चित यात्रा वृतांतों की रचना की जिनमें उन देशों की राजनीतिक, भौगोलिक, आर्थिक और सामाजिक परिस्थतियों का शानदार चित्रण किया गया है।  
बलराज साहनी बेहतरीन साहित्यकार भी थे जिन्होंने [[पाकिस्तान]] का सफ़र और रूसी सफरनामा जैसे चर्चित यात्रा वृतांतों की रचना की जिनमें उन देशों की राजनीतिक, भौगोलिक, आर्थिक और सामाजिक परिस्थतियों का शानदार चित्रण किया गया है।  

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thumb|बलराज साहनी

  • बलराज साहनी (जन्म: 1 मई, 1913; मृत्यु: 13 अप्रैल, 1973) हिन्दी फ़िल्मों के अभिनेता थे।
  • बलराज साहनी का जन्म 1 मई 1913 को रावलपिंडी में हुआ था।
  • बलराज साहनी ख्यात लेखक भीष्म साहनी के बड़े भाई व चरित्र अभिनेता परीक्षत साहनी के पिता हैं।
  • बलराज साहनी रंगमंच और सिनेमा की अप्रतिम प्रतिभा थे।
  • बलराज साहनी ऐसे अभिनेता थे जिन्हे रंगमंच और फ़िल्म दोनों माध्यमों में समान दिलचस्पी थी।

अभिनय

साम्यवादी विचारधारा के मुखर समर्थक साहनी जनमानस के अभिनेता थे जो अपने सशक्त अभिनय से दर्शकों को पर्दे के पात्र से भावनात्मक रूप से जोड़ देते।

जब पर्दे पर वह अपनी दो बीघा ज़मीन फ़िल्म में ज़मीन गंवा चुके मज़दूर, रिक्शाचालक की भूमिका में नज़र आए तो कहीं से नहीं महसूस हुआ कि कोलकाता की सड़कों पर रिक्शा खींच रहा रिक्शाचालक शंभु नहीं बल्कि कोई स्थापित अभिनेता है। दरअसल पात्रों में पूरी तरह डूब जाना उनकी खूबी थी। यह काबुली वाला, लाजवंती, हकीकत, दो बीघा ज़मीन, धरती के लाल, गरम हवा, वक्त, दो रास्ते सहित उनकी किसी भी फ़िल्म में महसूस किया जा सकता है।

साहित्यकार के रुप में

बलराज साहनी बेहतरीन साहित्यकार भी थे जिन्होंने पाकिस्तान का सफ़र और रूसी सफरनामा जैसे चर्चित यात्रा वृतांतों की रचना की जिनमें उन देशों की राजनीतिक, भौगोलिक, आर्थिक और सामाजिक परिस्थतियों का शानदार चित्रण किया गया है।

स्वाभिमान को ठेस

बलराज साहनी का फ़िल्मों में आना संयोग ही रहा। उन्होंने हंस पत्रिका को एक कहानी लिखी थी जो अस्वीकृत होकर लौट आई। उन्होंने खुद ही लिखा है कि वह उन भाग्यशाली लेखकों में थे जिनकी भेजी हुई कोई रचना अस्वीकृत नहीं हुई थी। लेकिन बीच में चार साल तक उन्होंने कोई कहानी नहीं लिखी। जब छूटे अभ्यास को बहाल करने का प्रयास करते हुए उन्होंने एक कहानी लिखी और उसे हंस पत्रिका को भेज दिया लेकिन वह अस्वीकृत होकर वापस आ गई। इससे उनके स्वाभिमान को ठेस लगी और उसके बाद उन्होंने कोई कहानी नहीं लिखी। उन्होंने अपने एक आलेख में लिखा था कि फ़िल्मों का मार्ग अपनाने का कारण वह अस्वीकृत कहानी भी रही।

मृत्यु

बलराज साहनी की मृत्यु 13 अप्रैल 1973 को मुंबई में हुआ ।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख