पत्थर का आसमान -आदित्य चौधरी: Difference between revisions
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दूर की बात है | दूर की बात है | ||
हम तो उन्हें | हम तो उन्हें | ||
ख़रोंच भी नहीं पाते हैं | |||
-आदित्य चौधरी | -आदित्य चौधरी | ||
मुंशी प्रेमचन्द की कहानी 'पूस की रात', मोहन राकेश | मुंशी प्रेमचन्द की कहानी 'पूस की रात', मोहन राकेश के नाटक 'आषाढ़ का एक दिन' और दुष्यंत कुमार की इन पंक्तियों की स्मृति में | ||
एक पत्थर तो तबियत से उछालो यार | एक पत्थर तो तबियत से उछालो यार |
Revision as of 12:34, 7 April 2012
पत्थर का आसमान -आदित्य चौधरी
पूस की रात ने
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