रामायण सामान्य ज्ञान 2: Difference between revisions
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{निम्न में से कौन [[लक्ष्मण]] एवं [[शत्रुघ्न]] की [[माता]] थीं? | |||
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+[[सुमित्रा]] | |||
-[[कौशल्या]] | |||
-[[कैकेयी]] | |||
-इनमें से कोई नहीं | |||
||'सुमित्रा' [[रामायण]] की प्रमुख पात्र और राजा [[दशरथ]] की तीन महारानियों में से एक हैं। सुमित्रा [[अयोध्या]] के राजा दशरथ की पत्नी तथा [[लक्ष्मण]] एवं [[शत्रुघ्न]] की माता थीं। महारानी [[कौशल्या]] पट्टमहिषी थीं। महारानी [[कैकेयी]] महाराज को सर्वाधिक प्रिय थीं और शेष में सुमित्रा जी ही प्रधान थीं। महाराज दशरथ प्राय: कैकेयी के महल में ही रहा करते थे। सुमित्रा महारानी कौशल्या के सन्निकट रहना तथा उनकी सेवा करना ही अपना [[धर्म]] समझती थीं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सुमित्रा]] | |||
{निम्न में से [[इन्द्र]] के विमान का नाम क्या है? | {निम्न में से [[इन्द्र]] के विमान का नाम क्या है? | ||
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-[[विभीषण]] | -[[विभीषण]] | ||
||युवराज 'अंगद' [[बालि]] के पुत्र थे। बालि इनसे सर्वाधिक प्रेम करता था। ये परम बुद्धिमान, अपने [[पिता]] के समान बलशाली तथा भगवान श्री [[राम]] के परम [[भक्त]] थे। भगवान श्री राम का अंगद के शौर्य और बुद्धिमत्ता पर पूर्ण विश्वास था, इसीलिये उन्होंने [[रावण]] की सभा में युवराज अंगद को अपना दूत बनाकर भेजा। रावण भी नीतिज्ञ था और उसने भेदनीति से काम लेते हुए अंगद से कहा- 'बाली मेरा मित्र था। ये [[राम]]-[[लक्ष्मण]] बाली को मारने वाले हैं। यह बड़ी लज्जा की बात है कि तुम अपने पितृघातियों के लिये दूतकर्म कर रहे हो।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें- [[अंगद (बाली पुत्र)|अंगद]] | ||युवराज 'अंगद' [[बालि]] के पुत्र थे। बालि इनसे सर्वाधिक प्रेम करता था। ये परम बुद्धिमान, अपने [[पिता]] के समान बलशाली तथा भगवान श्री [[राम]] के परम [[भक्त]] थे। भगवान श्री राम का अंगद के शौर्य और बुद्धिमत्ता पर पूर्ण विश्वास था, इसीलिये उन्होंने [[रावण]] की सभा में युवराज अंगद को अपना दूत बनाकर भेजा। रावण भी नीतिज्ञ था और उसने भेदनीति से काम लेते हुए अंगद से कहा- 'बाली मेरा मित्र था। ये [[राम]]-[[लक्ष्मण]] बाली को मारने वाले हैं। यह बड़ी लज्जा की बात है कि तुम अपने पितृघातियों के लिये दूतकर्म कर रहे हो।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें- [[अंगद (बाली पुत्र)|अंगद]] | ||
{[[हनुमान]] किसके पेट के भीतर जाकर वापस आ गये थे? | {[[हनुमान]] किसके पेट के भीतर जाकर वापस आ गये थे? | ||
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-[[मंदोदरी]] | -[[मंदोदरी]] | ||
-विपाशा | -विपाशा | ||
{सर्गों की गणना करने पर सम्पूर्ण [[रामायण]] में कितने सर्ग मिलते हैं? | |||
|type="()"} | |||
-621 | |||
-651 | |||
+645 | |||
-655 | |||
||[[रामायण]] [[कवि]] [[वाल्मीकि]] द्वारा लिखा गया [[संस्कृत]] का एक अनुपम महाकाव्य है। इसके 24,000 [[श्लोक]] [[हिन्दू]] स्मृति का वह अंग हैं, जिसके माध्यम से [[रघुवंश]] के राजा [[राम]] की गाथा कही गयी। रामायण के कुल सात अध्याय हैं, इस प्रकार सात काण्डों में वाल्मीकि ने रामायण को निबद्ध किया है। इन सात काण्डों में कथित सर्गों की गणना करने पर सम्पूर्ण रामायण में 645 सर्ग मिलते हैं। सर्गानुसार श्लोकों की संख्या 23,440 आती है, जो 24,000 से 560 श्लोक कम है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[रामायण]] | |||
{[[राम]] और [[लक्ष्मण]] को आश्रमों की रक्षा करने के लिए वन में कौन-से ब्रह्म ॠषि ले गये थे? | {[[राम]] और [[लक्ष्मण]] को आश्रमों की रक्षा करने के लिए वन में कौन-से ब्रह्म ॠषि ले गये थे? | ||
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-संदीपन | -संदीपन | ||
-[[अंगिरस]] | -[[अंगिरस]] | ||
{[[राम]] को वनवास देने की प्रेरणा [[कैकेयी]] को किससे मिली थी? | |||
|type="()"} | |||
+[[मन्थरा]] | |||
-[[उर्मिला]] | |||
-[[कैकसी]] | |||
-[[मंदोदरी]] | |||
{[[मथुरा|मधुरापुरी]] नगरी की स्थापना किसने की थी? | |||
|type="()"} | |||
-[[राम]] | |||
-[[लक्ष्मण]] | |||
-[[भरत]] | |||
+[[शत्रुघ्न]] | |||
||शत्रुघ्न का शौर्य भी अनुपम था। वनवास के बाद एक दिन [[ऋषि|ऋषियों]] ने भगवान श्री [[राम]] की सभा में उपस्थित होकर [[लवणासुर]] के अत्याचारों का वर्णन किया और उसका वध करके उसके अत्याचारों से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना की। [[शत्रुघ्न]] ने भगवान श्री राम की आज्ञा से वहाँ जाकर प्रबल पराक्रमी लवणासुर का वध किया और 'मधुरापुरी', आधुनिक [[मथुरा]], को बसाकर वहाँ बहुत दिनों तक शासन किया। भगवान राम के परमधाम पधारने के समय मथुरा में अपने पुत्रों का राज्यभिषेक करके शत्रुघ्न [[अयोध्या]] पहुँच गये।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[शत्रुघ्न]] | |||
{[[हनुमान]] ने [[अशोक वाटिका]] में [[सीता]] को किस वृक्ष के नीचे बैठा देखा? | |||
|type="()"} | |||
-[[वट]] | |||
+शिंशपा | |||
-[[अशोक वृक्ष|अशोक]] | |||
-[[पीपल]] | |||
{[[मेघनाद]] का दूसरा नाम क्या था? | |||
|type="()"} | |||
-[[कुम्भकर्ण]] | |||
-[[विचित्रवीर्य]] | |||
+[[इन्द्रजित]] | |||
-दशानन | |||
||'मेघनाद' [[लंका]] के राजा [[रावण]] का बेटा था। मेघनाद ने युवास्था में ही दैत्यों के गुरु [[शुक्राचार्य]] की सहायता से 'सप्तयज्ञ' किए और [[शिव]] के आशीर्वाद से रथ, दिव्यास्त्र और तामसी माया प्राप्त की थी। उसने [[राम]] की सेना से मायावी युद्ध किया था। कभी वह अंतर्धान हो जाता तो कभी प्रकट हो जाता। [[विभीषण]] प्रज्ञास्त्र द्वारा उन दोनों को होश में लाया तथा वानर राज [[सुग्रीव]] ने अभिमन्त्रित विशल्या नामक औषधि से उन्हें स्वस्थ किया। [[मेघनाद]] को 'इन्द्रजित' कहकर भी पुकारा जाता था, क्योंकि उसने युद्ध में देवराज [[इन्द्र]] को भी पराजित किया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें- [[इन्द्रजित]] | |||
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Revision as of 06:41, 11 April 2012
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