चमचारथी -आदित्य चौधरी: Difference between revisions
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छोटे शहरों की नालियाँ सूचना तंत्र का काम करती हैं। यदि किसी घर की नाली काफ़ी दिन से सूखी है, तो चोरों को सूचना देती हैं कि इस घर में दो-चार दिन से कोई नहीं है। यदि बरसात में रुक गई हैं, तो पर्यावरण वालों को सूचना देती हैं कि पॉलीथिन का इस्तेमाल, इस शहर में अभी तक जारी है। यदि नालियों के किनारे सफ़ेद चूने की लाइन बनी हों, तो किसी वी.आई. | छोटे शहरों की नालियाँ सूचना तंत्र का काम करती हैं। यदि किसी घर की नाली काफ़ी दिन से सूखी है, तो चोरों को सूचना देती हैं कि इस घर में दो-चार दिन से कोई नहीं है। यदि बरसात में रुक गई हैं, तो पर्यावरण वालों को सूचना देती हैं कि पॉलीथिन का इस्तेमाल, इस शहर में अभी तक जारी है। यदि नालियों के किनारे सफ़ेद चूने की लाइन बनी हों, तो किसी वी.आई.पी. के आने की सूचना देती हैं। | ||
सुबह उठे, टहलने गए, तो देखा चूना पड़ा था। सुबह-सुबह बिजली भी नहीं गई, तो पक्का ही हो गया कि राजधानी से कोई वी.आई.पी. आने वाला है। ज़िला केन्द्र होने के कारण अधिकारियों ने वही सब करना शुरू कर दिया जो ऐसे मौक़े पर किया जाता है और विभिन्न लेखक और पत्रकार उसे अपने-अपने तरीक़े से लिखते हैं। एक अख़बार ने लिखा 'हड़कम्प मचा', दूसरे ने लिखा 'आपाधापी शुरू', तीसरे ने 'सरगर्मी चालू', चौथे ने 'मारा-मारी शुरू'... , और अधिकारी गण भी, बैठक, आदेश, निर्देश, समाचार, पत्राचार, अत्याचार के साथ-साथ भ्रष्टाचार में भी लग गए। | सुबह उठे, टहलने गए, तो देखा चूना पड़ा था। सुबह-सुबह बिजली भी नहीं गई, तो पक्का ही हो गया कि राजधानी से कोई वी.आई.पी. आने वाला है। ज़िला केन्द्र होने के कारण अधिकारियों ने वही सब करना शुरू कर दिया जो ऐसे मौक़े पर किया जाता है और विभिन्न लेखक और पत्रकार उसे अपने-अपने तरीक़े से लिखते हैं। एक अख़बार ने लिखा 'हड़कम्प मचा', दूसरे ने लिखा 'आपाधापी शुरू', तीसरे ने 'सरगर्मी चालू', चौथे ने 'मारा-मारी शुरू'... , और अधिकारी गण भी, बैठक, आदेश, निर्देश, समाचार, पत्राचार, अत्याचार के साथ-साथ भ्रष्टाचार में भी लग गए। | ||
इस तरह की आवाज़ों से शासकीय परिसर गूँजने लगे-[[चित्र:Helecopter-01.jpg|border|right|300px]] | इस तरह की आवाज़ों से शासकीय परिसर गूँजने लगे-[[चित्र:Helecopter-01.jpg|border|right|300px]] | ||
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सर ! आपका माइंड तो कंप्यूटर की तरह है... एक्स्ट्राऑरडिनरी मॅमोरी है सर आपकी... | सर ! आपका माइंड तो कंप्यूटर की तरह है... एक्स्ट्राऑरडिनरी मॅमोरी है सर आपकी... | ||
... न जाने ऐसे कितने हथकण्डे हैं, जो अपनाए जाते हैं... | ... न जाने ऐसे कितने हथकण्डे हैं, जो अपनाए जाते हैं... | ||
"बड़े बाबू ! उस ब्लॅक-लिस्टॅड ठेकेदार को बुलाओ... रात-रात में रोड कम्पलीट होनी है... वी.आई. | "बड़े बाबू ! उस ब्लॅक-लिस्टॅड ठेकेदार को बुलाओ... रात-रात में रोड कम्पलीट होनी है... वी.आई.पी. को खाटेसुरी बाबा के यहाँ भी जाना है... वहाँ की रोड बनवाने के लिए ही तो वी.आई.पी. को वहाँ बुलाया जा रहा है... सी.डी.ओ. कहाँ है ?" जब वी.आई.पी. के आने की भी सूचना मिली तो ज़िलाधिकारी महोदय तुरंत ही आदेश जारी करने के विश्व-कीर्तिमान बनाने में जुट गए थे। | ||
अधिकारी और कर्मचारी सब कुछ 'ठीक-ठाक' करने में जुट गए। पत्रकार 'सॅट' कर दिए गए। धरने प्रदर्शन करने वाले महारथियों को 'संतुष्ट' कर दिया गया। शासक पार्टी के अध्यक्ष का भतीजा 'ऐडहॉक नियुक्ति' पा गया। महिला-समाज प्रतिनिधि मंडल सज-सँवर कर तैयार हो गया। | अधिकारी और कर्मचारी सब कुछ 'ठीक-ठाक' करने में जुट गए। पत्रकार 'सॅट' कर दिए गए। धरने प्रदर्शन करने वाले महारथियों को 'संतुष्ट' कर दिया गया। शासक पार्टी के अध्यक्ष का भतीजा 'ऐडहॉक नियुक्ति' पा गया। महिला-समाज प्रतिनिधि मंडल सज-सँवर कर तैयार हो गया। | ||
बंदनवार और स्वागतद्वार सजने लगे, माला और हार बनने लगे और अधिकारियों के साथ-साथ ठेकेदार भी सहमने लगे... फिर वी.आई.पी. आ गए... | बंदनवार और स्वागतद्वार सजने लगे, माला और हार बनने लगे और अधिकारियों के साथ-साथ ठेकेदार भी सहमने लगे... फिर वी.आई.पी. आ गए... |
Revision as of 08:30, 19 June 2012
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