गंधमादन पर्वत: Difference between revisions
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*अपने अज्ञातवास के समय हिमवंत पार करके [[पाण्डव]] गंधमादन के पास पहुँचे थे। | *अपने अज्ञातवास के समय हिमवंत पार करके [[पाण्डव]] गंधमादन के पास पहुँचे थे। | ||
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*यह देव पर्वत शिखर अमृत और अक्षय आनन्द अनुभूति का महास्त्रोत है।<ref>[[महाभारत]], [[आदि पर्व महाभारत|आदिपर्व]], अध्याय 2, 30, 36, 119, [[सभा पर्व महाभारत|सभापर्व]], अध्याय 10, [[वन पर्व महाभारत|वनपर्व]], 12, 37, 140-141, 143, 145, 146, 152, 155, 158, 159-160 174, 188, 244, 275 आदि।</ref> | *यह देव पर्वत शिखर अमृत और अक्षय आनन्द अनुभूति का महास्त्रोत है।<ref>[[महाभारत]], [[आदि पर्व महाभारत|आदिपर्व]], अध्याय 2, 30, 36, 119, [[सभा पर्व महाभारत|सभापर्व]], अध्याय 10, [[वन पर्व महाभारत|वनपर्व]], 12, 37, 140-141, 143, 145, 146, 152, 155, 158, 159-160 174, 188, 244, 275 आदि।</ref> | ||
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Revision as of 06:22, 5 December 2012
गंधमादन पर्वत का उल्लेख कई पौराणिक हिन्दू धर्मग्रंथों में हुआ है। महाभारत की पुरा-कथाओं में भी गंधमादन पर्वत का वर्णन प्रमुखता से आता है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार माना जाता है कि यहाँ देवता रमण करते हैं। पर्वतों में श्रेष्ठ इस पर्वत पर कश्यप ऋषि ने भी तपस्या की थी। गंधमादन पर्वत के शिखर पर किसी भी वाहन से नहीं पहुँचा जा सकता। यहाँ पापात्मा नहीं पहुँच पाते। पापियों को विषैले सरीसृप, कीड़े-मकौड़े डस लेते हैं।
- अपने अज्ञातवास के समय हिमवंत पार करके पाण्डव गंधमादन के पास पहुँचे थे।
- कुबेर के राजप्रासाद में गंधमादन की उपस्थिति देखी जाती है।
- इंद्र लोक में जाते समय अर्जुन को हिमवंत और गंधमादन को पार करते दिखाया गया है।
- गंधमादन में ऋषि, सिद्ध, चारण, विद्याधर, देवता, गन्धर्व, अप्सराएँ और किन्नर निवास करते हैं। वे सब यहाँ निर्भीक विचरण करते हैं।
- इसी पर्वत पर भीमसेन और श्रीराम के भक्त हनुमान का मिलन हुआ था।
- भीमसेन ने यहाँ क्रोधवश्वत को पराजित किया था।
- हिमवत पर गंधमादन के पास वृषपर्वन का आश्रम स्थित था।
- यहाँ नित्य सिद्ध, चारण, विद्याधर, किन्नर आदि परिभ्रमण करते दृष्टिगोचर होते हैं।
- मार्कण्डेय ऋषि ने नारायण के उदर में गंधमादन के दर्शन किए थे।
- स्वर्ण नगरी लंका को खो देने पर कुबेर ने गंधमादन पर ही निवास किया था।
- गंधमादन शिखर पर गुह्यों के स्वामी, कुबेर, राक्षस और अप्सराएँ आनन्द पूर्वक रहते हैं।
- गंधमादन के पास कई छोटी स्वर्ण, मणि, मोतियों सी चमकती पर्वत मालाएँ हैं।
- माना जाता है कि इस पर्वत पर मानव जीवन की अवधि 11,000 वर्ष है।
- यहाँ आदमी सर्वानंद प्राप्त करता है, स्त्रियाँ कमलवत् लावण्यमयी हैं।
- गंधमादन पर देवता और ऋषिगण आदि पितामह ब्रह्मा की साधना में साधनारत रहते हैं।
- यह देव पर्वत शिखर अमृत और अक्षय आनन्द अनुभूति का महास्त्रोत है।[1]
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