राजा रवि वर्मा: Difference between revisions
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*[http://www.livehindustan.com/news/lifestyle/jeevenjizyasa/article1-story-50-51-113405.html आम लोगों के करीब थी राजा रवि वर्मा की शैली] | |||
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*[http://www.cyberkerala.com/rajaravivarma/ Raja Ravi Varma (1848-1906) (Oil paintings)] | |||
*[http://www.desicolours.com/paintings-by-raja-ravi-varma/03/08/2009 Paintings by Raja Ravi Varma] | |||
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Revision as of 10:13, 19 April 2013
राजा रवि वर्मा
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पूरा नाम | राजा रवि वर्मा |
जन्म | 29 अप्रैल 1848 |
जन्म भूमि | तिरुवनंतपुरम, केरल |
मृत्यु | 2 अक्टूबर 1906 |
मृत्यु स्थान | तिरुवनंतपुरम |
प्रसिद्धि | चित्रकार |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | उनके द्वारा बनाई गई एक ऐतिहासिक कलाकृति, जो भारत में ब्रिटिश राज के दौरान ब्रितानी राज के एक उच्च अधिकारी और महाराजा की मुलाक़ात को चित्रित करती है, 1.24 मिलियन डॉलर (लगभग 6 करोड़) में बिकी है। |
राजा रवि वर्मा (अंग्रेज़ी: Raja Ravi Varma, 29 अप्रैल 1848 - 2 अक्टूबर 1906) भारत के विख्यात चित्रकार थे। उन्होंने भारतीय साहित्य और संस्कृति के पात्रों का चित्रण किया। उनके चित्रों की सबसे बड़ी विशेषता हिन्दू महाकाव्यों और धर्म ग्रंथों पर बनाए गए चित्र हैं। हिन्दू मिथकों का बहुत ही प्रभावशाली इस्तेमाल उनके चित्रों में दिखता है। इस संग्रहालय में उनके चित्रों का बहुत बड़ा संग्रह है।
जीवन परिचय
राजा रवि वर्मा का जन्म 29 अप्रैल 1848 को केरल के एक छोटे से गांव किलिमन्नूर में हुआ। पांच वर्ष की छोटी-सी आयु में ही उन्होंने अपने घर की दीवारों को दैनिक जीवन की घटनाओं से चित्रित करना प्रारंभ कर दिया था। उनके चाचा कलाकार राजा राजा वर्मा ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और कला की प्रारंभिक शिक्षा दी। चौदह वर्ष की आयु में वे उन्हें तिरुवनंतपुरम ले गये जहाँ राजमहल में उनकी तैल चित्रण की शिक्षा हुई। बाद में चित्रकला के विभिन्न आयामों में दक्षता के लिये उन्होंने मैसूर, बड़ौदा और देश के अन्य भागों की यात्रा की।
राजा रवि वर्मा की सफलता का श्रेय उनकी सुव्यवस्थित कला शिक्षा को जाता है। उन्होंने पहले पारंपरिक तंजावुर कला में महारत प्राप्त की और फिर यूरोपीय कला का अध्ययन किया। उनकी कला कृतियों को तीन प्रमुख श्रेणियों में बाँटा जा सकता है-
यद्यपि जनसाधारण में राजा रवि वर्मा की लोकप्रियता इतिहास पुराण व देवी-देवताओं के चित्रों के कारण हुई लेकिन तैल माध्यम में बनी अपनी प्रतिकृतियों के कारण वे विश्व में सर्वोत्कृष्ट चित्रकार के रूप में जाने गए। आज तक तैलरंगों में उनकी जैसी सजीव प्रतिकृतियाँ बनाने वाला कलाकार दूसरा नहीं हुआ। उनका देहांत 2 अक्तूबर 1906 को हुआ।
रोचक तथ्य
अक्टूबर 2007 में उनके द्वारा बनाई गई एक ऐतिहासिक कलाकृति, जो भारत में ब्रिटिश राज के दौरान ब्रितानी राज के एक उच्च अधिकारी और महाराजा की मुलाक़ात को चित्रित करती है, 1.24 मिलियन डॉलर (लगभग 6 करोड़) में बिकी है। इस पेंटिंग में त्रावणकोर के महाराज और उनके भाई को मद्रास के गवर्नर जनरल रिचर्ड टेंपल ग्रेनविले को स्वागत करते हुए दिखाया गया है। ग्रेनविले 1880 में आधिकारिक यात्रा पर त्रावणकोर गए थे जो अब केरल राज्य में है। विश्व की सबसे महंगी साड़ी राजा रवि वर्मा के चित्रों की नक़ल से सुसज्जित है। बेशकीमती 12 रत्नों व धातुओं से जड़ी, 40 लाख रुपये की साड़ी को दुनिया की सबसे महंगी साड़ी के तौर पर 'लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रेकार्ड' में शामिल किया गया है।
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वीथिका
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'जमुना'(गोपियों के साथ कृष्ण), द्वारा- राजा रवि वर्मा
बाहरी कड़ियाँ
- आधिकारिक वेबसाइट
- राजा रवि वर्मा : भारतीय कला जगत के अनश्वर नागरिक
- राजा रवि वर्मा आदरांजली – चित्र प्रदर्शनी
- आम लोगों के करीब थी राजा रवि वर्मा की शैली
- raja ravi verma gallery
- Raja Ravi Varma (1848-1906) (Oil paintings)
- Paintings by Raja Ravi Varma
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