User:रविन्द्र प्रसाद/2: Difference between revisions
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-[[गरुड़]] द्वारा अमृत लाना | -[[गरुड़]] द्वारा अमृत लाना | ||
+[[जनमेजय]] का सर्पसत्र | +[[जनमेजय]] का सर्पसत्र | ||
||'[[महाभारत आदिपर्व]]' की संक्षिप्त कथा में [[महाभारत]] जैसे विशाल [[ग्रन्थ]] की मूल प्रस्तावना है। प्रारम्भ में महाभारत के पर्वों और उनके विषयों का संक्षिप्त संग्रह है। कथा-प्रवेश के बाद [[च्यवन]] का जन्म, पुलोमा दानव का भस्म होना, [[जनमेजय]] के सर्पसत्र की सूचना, [[नाग|नागों]] का वंश, कद्रू और [[विनता]] की कथा, [[देवता|देवों]]-दानवों द्वारा '[[समुद्र मंथन]]', [[परीक्षित]] का आख्यान, सर्पसत्र, राजा [[उपरिचर]] का वृत्तान्त, [[व्यास]] आदि की उत्पत्ति, [[दुष्यन्त]]-[[शकुन्तला]] की कथा, [[पुरूरवा]], [[नहुष]] और [[ययाति]] के चरित्र का वर्णन, [[भीष्म]] का जन्म और [[कौरव|कौरवों]]-[[पाण्डव|पाण्डवों]] की उत्पत्ति, [[कर्ण]]-[[द्रोण]] आदि का वृत्तान्त, [[द्रुपद]] की कथा, [[लाक्षागृह]] का वृत्तान्त, [[हिडिम्ब]] का वध और [[हिडिम्बा]] का [[विवाह]], [[बकासुर]] का वध, [[धृष्टद्युम्न]] और [[द्रौपदी]] की उत्पत्ति, द्रौपदी-स्वयंवर और विवाह आदि।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देंखे:-[[आदिपर्व महाभारत|आदिपर्व]] | ||[[चित्र:Krishna-arjun1.jpg|right|120px|महाभारत]]'[[महाभारत आदिपर्व]]' की संक्षिप्त कथा में [[महाभारत]] जैसे विशाल [[ग्रन्थ]] की मूल प्रस्तावना है। प्रारम्भ में महाभारत के पर्वों और उनके विषयों का संक्षिप्त संग्रह है। कथा-प्रवेश के बाद [[च्यवन]] का जन्म, पुलोमा दानव का भस्म होना, [[जनमेजय]] के सर्पसत्र की सूचना, [[नाग|नागों]] का वंश, कद्रू और [[विनता]] की कथा, [[देवता|देवों]]-दानवों द्वारा '[[समुद्र मंथन]]', [[परीक्षित]] का आख्यान, सर्पसत्र, राजा [[उपरिचर]] का वृत्तान्त, [[व्यास]] आदि की उत्पत्ति, [[दुष्यन्त]]-[[शकुन्तला]] की कथा, [[पुरूरवा]], [[नहुष]] और [[ययाति]] के चरित्र का वर्णन, [[भीष्म]] का जन्म और [[कौरव|कौरवों]]-[[पाण्डव|पाण्डवों]] की उत्पत्ति, [[कर्ण]]-[[द्रोण]] आदि का वृत्तान्त, [[द्रुपद]] की कथा, [[लाक्षागृह]] का वृत्तान्त, [[हिडिम्ब]] का वध और [[हिडिम्बा]] का [[विवाह]], [[बकासुर]] का वध, [[धृष्टद्युम्न]] और [[द्रौपदी]] की उत्पत्ति, द्रौपदी-स्वयंवर और विवाह आदि।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देंखे:-[[आदिपर्व महाभारत|आदिपर्व]] | ||
{[[महाभारत|महाभारत महाकाव्य]] कितने [[वर्ष|वर्षों]] में पूरा हुआ था?(हि.ध.प्र.- 132) | {[[महाभारत|महाभारत महाकाव्य]] कितने [[वर्ष|वर्षों]] में पूरा हुआ था?(हि.ध.प्र.- 132) | ||
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+तीन वर्ष | +तीन वर्ष | ||
-चार वर्ष | -चार वर्ष | ||
||'महाभारत' [[हिन्दू|हिन्दुओं]] का एक प्रमुख काव्य [[ग्रंथ]] है, जो [[हिन्दू धर्म]] के उन धर्म-ग्रन्थों का समूह है, जिनकी मान्यता श्रुति से नीची श्रेणी की हैं और जो मानवों द्वारा उत्पन्न थे। कभी-कभी सिर्फ़ 'भारत' कहा जाने वाला यह काव्य-ग्रंथ [[भारत]] का अनुपम, धार्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक और दार्शनिक ग्रंथ है। [[महर्षि व्यास]] की प्रार्थना पर भगवान [[गणेश]] [[महाभारत]] [[महाकाव्य]] को लिखने के लिए तैयार हुए थे। गणेश जी ने यह शर्त रखी थी कि एक बार लिखना प्रारम्भ कर देने के बाद वे रुकेंगे नहीं। अतः व्यास ने भी अपनी चतुरता से एक शर्त रखी कि कोई भी [[श्लोक]] लिखने से पहले गणेश को उसका अर्थ समझना होगा। गणेशजी ने यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। जब गणेश श्लोक के अर्थ पर विचार कर रहे होते, उतने समय में ही व्यास कुछ और नये श्लोक रच देते। इस प्रकार सम्पूर्ण [[महाभारत]] तीन वर्षों के अन्तराल में लिखी गयी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देंखे:-[[महाभारत]] | |[[चित्र:Krishna-Arjuna.jpg|right|100px|कृष्ण तथा अर्जुन]]|'महाभारत' [[हिन्दू|हिन्दुओं]] का एक प्रमुख काव्य [[ग्रंथ]] है, जो [[हिन्दू धर्म]] के उन धर्म-ग्रन्थों का समूह है, जिनकी मान्यता श्रुति से नीची श्रेणी की हैं और जो मानवों द्वारा उत्पन्न थे। कभी-कभी सिर्फ़ 'भारत' कहा जाने वाला यह काव्य-ग्रंथ [[भारत]] का अनुपम, धार्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक और दार्शनिक ग्रंथ है। [[महर्षि व्यास]] की प्रार्थना पर भगवान [[गणेश]] [[महाभारत]] [[महाकाव्य]] को लिखने के लिए तैयार हुए थे। गणेश जी ने यह शर्त रखी थी कि एक बार लिखना प्रारम्भ कर देने के बाद वे रुकेंगे नहीं। अतः व्यास ने भी अपनी चतुरता से एक शर्त रखी कि कोई भी [[श्लोक]] लिखने से पहले गणेश को उसका अर्थ समझना होगा। गणेशजी ने यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। जब गणेश श्लोक के अर्थ पर विचार कर रहे होते, उतने समय में ही व्यास कुछ और नये श्लोक रच देते। इस प्रकार सम्पूर्ण [[महाभारत]] तीन वर्षों के अन्तराल में लिखी गयी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देंखे:-[[महाभारत]] | ||
{[[वसिष्ठ|ऋषि वसिष्ठ]] के अभिशाप के परिणामस्वरूप पवित्र [[गंगा]] से कौन उत्पन्न हुए थे?(हि.ध.प्र.- 132) | {[[वसिष्ठ|ऋषि वसिष्ठ]] के अभिशाप के परिणामस्वरूप पवित्र [[गंगा]] से कौन उत्पन्न हुए थे?(हि.ध.प्र.- 132) | ||
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-दो [[अश्विनीकुमार|अश्विनी कुमार]] | -दो [[अश्विनीकुमार|अश्विनी कुमार]] | ||
-ग्यारह [[रुद्र]] | -ग्यारह [[रुद्र]] | ||
||'वसु' पौराणिक धर्म ग्रंथों और [[हिन्दू]] मान्यताओं के अनुसार [[देवता|देवताओं]] का एक गण है, जिसके अंतर्गत आठ देवता माने गये हैं। '[[श्रीमद्भागवत]]' के अनुसार [[दक्ष|दक्ष प्रजापति]] की पुत्री तथा धर्म की पत्नी 'वसु' के गर्भ से ही सब वसु उत्पन्न हुए थे। [[महाभारत]] के प्रसिद्ध चरित्रों में से एक और महाराज [[शांतनु]] के पुत्र [[भीष्म]] भी आठ वसुओं में से एक थे। [[वसिष्ठ|ऋषि वसिष्ठ]] के शाप के कारण ही इन आठ वसुओं का गंगा के गर्भ से [[पृथ्वी]] पर जन्म हुआ था, जिनमें से सात को गंगा ने [[जल]] में डुबो दिया था। केवल आठवें वसु को बचा लिया गया, जो भीष्म के नाम से प्रसिद्ध हुए थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देंखे:-[[वसु]] | ||[[चित्र:Vashishtha.jpg|right|100px|वसिष्ठ]]'वसु' पौराणिक धर्म ग्रंथों और [[हिन्दू]] मान्यताओं के अनुसार [[देवता|देवताओं]] का एक गण है, जिसके अंतर्गत आठ देवता माने गये हैं। '[[श्रीमद्भागवत]]' के अनुसार [[दक्ष|दक्ष प्रजापति]] की पुत्री तथा धर्म की पत्नी 'वसु' के गर्भ से ही सब वसु उत्पन्न हुए थे। [[महाभारत]] के प्रसिद्ध चरित्रों में से एक और महाराज [[शांतनु]] के पुत्र [[भीष्म]] भी आठ वसुओं में से एक थे। [[वसिष्ठ|ऋषि वसिष्ठ]] के शाप के कारण ही इन आठ वसुओं का गंगा के गर्भ से [[पृथ्वी]] पर जन्म हुआ था, जिनमें से सात को गंगा ने [[जल]] में डुबो दिया था। केवल आठवें वसु को बचा लिया गया, जो भीष्म के नाम से प्रसिद्ध हुए थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देंखे:-[[वसु]] | ||
{[[अर्जुन]] के पुत्र [[अभिमन्यु]] किसके [[अवतार]] थे?(हि.ध.प्र.- 132) | {[[अर्जुन]] के पुत्र [[अभिमन्यु]] किसके [[अवतार]] थे?(हि.ध.प्र.- 132) |
Revision as of 12:51, 29 May 2013
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