स्मरणांजलि -रामधारी सिंह दिनकर: Difference between revisions

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'''स्मरणांजलि''' [[हिन्दी]] के प्रसिद्ध लेखक, निबन्धकार और [[राष्ट्रकवि]] [[रामधारी सिंह 'दिनकर']] की कृति है। युगदृष्टा रामधारी सिंह 'दिनकर' अपने समकालीनों की चर्चा करना बहुत नाजुक काम मानते थे, लेकिन समकालीनों पर लिखने पर उनको सुखद अनुभूति भी होती थी। 'स्मरणांजलि' दिनकर जी के मित्रों और समकालीन महापुरुषों, जिन्होंने उनके [[हृदय]] पर अमिट छाप छोड़ी, के विषय में [[निबन्ध|निबन्धों]] और यात्रा-संस्मरणों की अनूठी कृति है।
'''स्मरणांजलि''' [[हिन्दी]] के प्रसिद्ध लेखक, निबन्धकार और [[राष्ट्रकवि]] [[रामधारी सिंह 'दिनकर']] की कृति है। युगद्रष्टारामधारी सिंह 'दिनकर' अपने समकालीनों की चर्चा करना बहुत नाजुक काम मानते थे, लेकिन समकालीनों पर लिखने पर उनको सुखद अनुभूति भी होती थी। 'स्मरणांजलि' दिनकर जी के मित्रों और समकालीन महापुरुषों, जिन्होंने उनके [[हृदय]] पर अमिट छाप छोड़ी, के विषय में [[निबन्ध|निबन्धों]] और यात्रा-संस्मरणों की अनूठी कृति है।
==विषय==
==विषय==
दिनकर जी की इस पुस्तक में [[भारत]] के प्रख्यात विद्वानों-साहित्यकारों और राजनेताओं के अन्तरंग जीवन की झाँकियाँ हैं तथा उनके अनजाने रूप, देश की राजनीति को प्रभावित करने वाले प्रसंगों और उन मानवीय गुणों का भी इसमें उद्घाटन हुआ है, जिन्होंने इन विभूतियों को सबका श्रद्धास्पद बना दिया। यह पुस्तक जहाँ एक तरफ़ [[पुरुषोत्तम दास टंडन|राजर्षि टंडन]], [[राजेन्द्र प्रसाद]], राजेन्द्र बाबू, [[काका कालेलकर]], [[डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन]], [[लालबहादुर शास्त्री]], [[राम मनोहर लोहिया]], [[जाकिर हुसैन|डॉ. जाकिर हुसेन]], [[श्रीकृष्ण सिंह|डॉ. श्रीकृष्ण सिंह]], जायसवाल, [[राहुल सांकृत्यायन]], [[बनारसीदास चतुर्वेदी]], [[रघुवीर, डॉ.|आचार्य रघुवीर]], पंडित किशोरीदास बाजपेयी, [[शिवपूजन सहाय]], [[रामवृक्ष बेनीपुरी]], डॉ. लक्ष्मीनारायण ‘सुधांशु’, पंडित बंशीधर विद्यालंकार, [[मैथिलीशरण गुप्त]], [[माखनलाल चतुर्वेदी]], [[सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला']], [[सुमित्रानन्दन पन्त]], [[महादेवी वर्मा]], [[बालकृष्ण शर्मा नवीन]], [[हरिवंशराय बच्चन]], इन विभूतियों के परिचय देती है, वहीं राष्ट्रकवि [[रामधारी सिंह 'दिनकर']] की [[यूरोप]] यात्रा, जर्मन यात्रा, [[चीन]] यात्रा, मॉरिशस यात्रा का रोचक वर्णन करती है।<ref>{{cite web |url=http://pustak.org/home.php?bookid=6841 |title=स्मरणांजलि |accessmonthday=11 अक्टूबर|accessyear= 2013|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref>
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Latest revision as of 05:01, 4 February 2021

स्मरणांजलि -रामधारी सिंह दिनकर
कवि रामधारी सिंह दिनकर
मूल शीर्षक 'स्मरणांजलि'
प्रकाशक लोकभारती प्रकाशन
प्रकाशन तिथि 1 जनवरी, 2008
ISBN 978-81-8031-330
देश भारत
भाषा हिंदी
विधा लेख-निबन्ध
मुखपृष्ठ रचना सजिल्द
विशेष दिनकरजी की इस पुस्तक में भारत के प्रख्यात विद्वानों-साहित्यकारों और राजनेताओं के अन्तरंग जीवन की झाँकियाँ हैं तथा उनके अनजाने रूप, देश की राजनीति को प्रभावित करने वाले प्रसंगों आदि का उद्घाटन हुआ है।

स्मरणांजलि हिन्दी के प्रसिद्ध लेखक, निबन्धकार और राष्ट्रकवि रामधारी सिंह 'दिनकर' की कृति है। युगद्रष्टारामधारी सिंह 'दिनकर' अपने समकालीनों की चर्चा करना बहुत नाजुक काम मानते थे, लेकिन समकालीनों पर लिखने पर उनको सुखद अनुभूति भी होती थी। 'स्मरणांजलि' दिनकर जी के मित्रों और समकालीन महापुरुषों, जिन्होंने उनके हृदय पर अमिट छाप छोड़ी, के विषय में निबन्धों और यात्रा-संस्मरणों की अनूठी कृति है।

विषय

दिनकर जी की इस पुस्तक में भारत के प्रख्यात विद्वानों-साहित्यकारों और राजनेताओं के अन्तरंग जीवन की झाँकियाँ हैं तथा उनके अनजाने रूप, देश की राजनीति को प्रभावित करने वाले प्रसंगों और उन मानवीय गुणों का भी इसमें उद्घाटन हुआ है, जिन्होंने इन विभूतियों को सबका श्रद्धास्पद बना दिया। यह पुस्तक जहाँ एक तरफ़ राजर्षि टंडन, राजेन्द्र प्रसाद, राजेन्द्र बाबू, काका कालेलकर, डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, लालबहादुर शास्त्री, राम मनोहर लोहिया, डॉ. जाकिर हुसेन, डॉ. श्रीकृष्ण सिंह, जायसवाल, राहुल सांकृत्यायन, बनारसीदास चतुर्वेदी, आचार्य रघुवीर, पंडित किशोरीदास बाजपेयी, शिवपूजन सहाय, रामवृक्ष बेनीपुरी, डॉ. लक्ष्मीनारायण ‘सुधांशु’, पंडित बंशीधर विद्यालंकार, मैथिलीशरण गुप्त, माखनलाल चतुर्वेदी, सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला', सुमित्रानन्दन पन्त, महादेवी वर्मा, बालकृष्ण शर्मा नवीन, हरिवंशराय बच्चन, इन विभूतियों के परिचय देती है, वहीं राष्ट्रकवि रामधारी सिंह 'दिनकर' की यूरोप यात्रा, जर्मन यात्रा, चीन यात्रा, मॉरिशस यात्रा का रोचक वर्णन करती है।[1]

भाषा-शैली

संस्मरणात्मक निबन्धों और महत्त्वपूर्ण यात्रा-वृत्तान्तों से सुसज्जति, सरस भाषा-शैली में लिखित यह पुस्तक अमूल्य है।

लेखक विचार

इस पुस्तक के विषय में लेखक का विचार है "अपमे समकालीनों की चर्चा करना बहुत ही नाजुक काम है, मगर यह चर्चा लेखक के लिए सुखद भी होती है। स्वर्गीय डॉ. काशीप्रसाद जायसवाल को अपना समकालीन मानने में कुछ संकोच होता है, मगर बात तो सच है कि कुछ दिनों के लिए वे हमारे भी समकालीन थे। इसी प्रकार डॉ. राजेन्द्र प्रसाद और राहुल सांकृत्यायन तथा टंडन जी भी हमारे समकालीन थे। मित्रों और समकालीन महापुरुषों ने मेरे हृदय पर जो छाप डाली, मैंने उसी का विवरण लिखा है। अधिकांश संस्मरणों में अन्तरंगता की झलक मिलेगी, मगर कुछ में थोड़ी विवेचना भी आ गई है। अगर पाठकों को ये संस्करण पसन्द आए, तो समझूँगा कि मेरा प्रयास सार्थक है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. स्मरणांजलि (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 11 अक्टूबर, 2013।

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