राजस्थान अभिलेखागार: Difference between revisions
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==अभिलेख संकलन== | ==अभिलेख संकलन== | ||
बीकानेर स्थित इस अभिलेखागार में आधुनिक पत्रावली के साथ-साथ [[मुग़ल काल]] और [[मध्य काल]] के [[अभिलेख]], फ़रमान निशान, मंसूर, पट्टा, परवाना, रुक्का, बहियात, अर्जिया, खरीता, पानड़ी, तोजी दी वरकी, चौपनिया, पंचांग खरीता भी उपलब्ध हैं। इनमें [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]], [[उर्दू भाषा|उर्दू]] व [[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]] सहित भाषा के विभिन्न रूप ढूँढाड़ी, मेवाड़ी, [[मारवाड़ी बोली|मारवाड़ी]], हाड़ौती के अभिलेख उपलब्ध हैं। | बीकानेर स्थित इस अभिलेखागार में आधुनिक पत्रावली के साथ-साथ [[मुग़ल काल]] और [[मध्य काल]] के [[अभिलेख]], फ़रमान निशान, मंसूर, पट्टा, परवाना, रुक्का, बहियात, अर्जिया, खरीता, पानड़ी, तोजी दी वरकी, चौपनिया, पंचांग खरीता भी उपलब्ध हैं। इनमें [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]], [[उर्दू भाषा|उर्दू]] व [[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]] सहित भाषा के विभिन्न रूप ढूँढाड़ी, मेवाड़ी, [[मारवाड़ी बोली|मारवाड़ी]], हाड़ौती के अभिलेख उपलब्ध हैं। |
Revision as of 13:41, 21 August 2014
राजस्थान अभिलेखागार
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विवरण | 'राजस्थान राज्य अभिलेखागार' बीकानेर के पर्यटन स्थलों में से एक है। यह देश के सबसे अच्छे और विश्व के चर्चित अभिलेखागारों में गिना जाता है। |
ज़िला | बीकानेर |
राज्य | राजस्थान |
स्थापना | इस अभिलेखागार की स्थापना 1955 में जयपुर में की गई थी, जिसे 1960 में बीकानेर में स्थानांतरित कर दिया गया। |
शाखाएँ | जयपुर, कोटा, उदयपुर, अलवर, भरतपुर तथा अजमेर |
अभिलेख | 'राजस्थान राज्य अभिलेखागार' में फ़ारसी, उर्दू व अंग्रेज़ी सहित भाषा के विभिन्न रूप ढूँढाड़ी, मेवाड़ी, मारवाड़ी, हाड़ौती के अभिलेख उपलब्ध हैं। |
अन्य जानकारी | संस्कृति व सभ्यता की दृष्टि से खास पहचान रखने वाले बीकानेर के अभिलेखागार में हर वर्ष करीब 500 शोधार्थी विभिन्न विषयों पर शोध करने आते हैं। यहां शोध के लिए आने वाले शोधार्थियों में विदेशी छात्र भी शामिल हैं। |
राजस्थान राज्य अभिलेखागार बीकानेर, राजस्थान में स्थित है। प्रारम्भ में इसकी स्थापना 1955 में जयपुर में की गई थी, जिसे 1960 में बीकानेर में स्थानांतरित कर दिया गया। इसका उद्देश्य राजा के स्थायी महत्त्व के अभिलेखों को सुरक्षा प्रदान करना, वैज्ञानिक पद्धति द्वारा संरक्षण प्रदान करना तथा आवश्यकता पड़ने पर उसे न्यायालय, नागरिक, सरकार के विभाग, शोध अध्येताओं को उपलब्ध कराना है। इसकी शाखाएँ जयपुर, कोटा, उदयपुर, अलवर, भरतपुर तथा अजमेर में स्थित हैं।[1]
अभिलेख संकलन
बीकानेर स्थित इस अभिलेखागार में आधुनिक पत्रावली के साथ-साथ मुग़ल काल और मध्य काल के अभिलेख, फ़रमान निशान, मंसूर, पट्टा, परवाना, रुक्का, बहियात, अर्जिया, खरीता, पानड़ी, तोजी दी वरकी, चौपनिया, पंचांग खरीता भी उपलब्ध हैं। इनमें फ़ारसी, उर्दू व अंग्रेज़ी सहित भाषा के विभिन्न रूप ढूँढाड़ी, मेवाड़ी, मारवाड़ी, हाड़ौती के अभिलेख उपलब्ध हैं।
दुर्लभ दस्तावेज तथा स्रोत
आजादी से पूर्व रियासतकालीन तथा मुग़लकालीन इतिहास स्रोतों के विविध स्वरूप यहां सुरक्षित तथा संरक्षित हैं। यही कारण है कि राजस्थान और भारतीय इतिहास पर काम करने वाले देशी-विदेशी शोधार्थिओं और जिज्ञासुओं का यहां निरंतर आना-जाना बना रहता है। इस अभिलेखागार में विभिन्न स्वरूपों में संग्रहित मूल स्रोत सामग्री नयी पीढ़ी के लिए सौगात से कम नहीं है। यहां मुगलकालीन कई महत्त्वपूर्ण वस्तुएँ संग्रहीत तथा संरक्षित हैं। इस अभिलेखागार के संदर्भ पुस्तकालय की बात ही की जाए तो वहां 51 विषयों के अनुसार व्यवस्थित 50 हजार किताबें हैं। आजादी पूर्व की रियासतों के दुलर्भ प्रकाशन, विविध जनसंख्या रिपोर्टें, रिसर्च जर्नल तथा शोध पत्रिकाएं इसमें शामिल हैं।[2]
कार्य
'राजस्थान राज्य अभिलेखागार' के कार्य निम्नलिखित हैं[2]-
- भूतपूर्व रियासतों तथा 25 वर्ष से अधिक के दीर्घकालीन महत्त्व के अभिलेख सुरक्षित किए जाते हैं।
- शोध का प्रकाशन करना तथा संदर्भ सूचियाँ तैयार करना।
- अभिलेखों की मरम्मत करना तथा पुनर्वास करना।
- सरकारी कार्यालयों में कार्यरत कर्मचारियों को प्रशिक्षित करना।
- निजी संस्थाओं, परिवारों एवं व्यक्तियों से सम्पर्क कर अभिलेखों का पता लगाना।
- मौखिक इतिहास परियोजना द्वारा स्वतंत्रता सेनानियों की यशोगाथा एवं संस्मरणों को ध्वनिबद्ध कर सामग्री तैयार करना।
- अभिलेख सप्ताह के माध्यम से प्रदर्शनी लगाकर लोगों को जागरुक करना।
विशेषताएँ
बीकानेर का 'राजस्थान राज्य अभिलेखागार' देश के सबसे अच्छे और विश्व के चर्चित अभिलेखागारों में से एक है। इस अभिलेखागार की स्थापना सन् 1955 ई. में हुई और यह अपनी अपार व अमूल्य अभिलेख निधि के लिए प्रतिष्ठित है। यहाँ संरक्षित दुर्लभ दस्तावेज़ों की सुव्यवस्थित व्यवस्था काबिले तारीफ़ है। अपने समृद्ध इतिहास स्रोतों और उनके बेहतर प्रबंधन, रखरखाव के चलते ही शायद इसे देश का सबसे अच्छा अभिलेखागार माना जाता है। इस अभिलेखागार की तीन विशेषताऐं हैं-
- यहाँ उपलब्ध महत्त्वपूर्ण सामग्री, इस लिहाज़ से निसंदेह यह देश के सबसे समृद्ध अभिलेखागारों में से एक है।
- उपलब्ध सामग्री को संरक्षित सुरक्षित रखने के तौर तरीक़े
- इस अभिलेखागार का प्रबंधन उच्च कोटि का तथा बेहतरीन है
शोधार्थी
संस्कृति व सभ्यता की दृष्टि से खास पहचान रखने वाले बीकानेर के अभिलेखागार में हर वर्ष करीब 500 शोधार्थी विभिन्न विषयों पर शोध करने आते हैं। यहां शोध के लिए आने वाले शोधार्थियों में विदेशी छात्र भी शामिल हैं। रियासतकालीन समय में कच्चे घरों पर की जाने वाली रंग-बिरंगी छपाई एवं पशु-पक्षियों के शिकार की घटनाओं पर आज भी विदेशों से विद्यार्थी यहां आकर शोध करते हैं। विदेशों से आने वाले शोधार्थी रियासतकाल में होने वाले आय-व्यय एवं उनके काम करने की प्रक्रिया पर ज्यादा शोध करते हैं। वर्ष 2008-2009 में बीकानेर के अभिलेखागार में 10 विदेशी विद्यार्थियों ने विभिन्न विषयों पर शोध कर पीएच.डी. की डिग्री हासिल की। देश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों से विद्यार्थी यहां आते हैं, जिसमें नई दिल्ली के 'जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय', 'जामिया मिलिया', 'अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय', पंजाब की 'चंडीगढ़ विश्वविद्यालय', 'बनारस विश्वविद्यालय' प्रमुख हैं। वर्ष 2004 से पहले यहां आने वाले शोधार्थियों की संख्या बहुत कम थी, लेकिन जैसे-जैसे यहां पर रियासतकालीन अभिलेखों को नया रूप दिया जा रहा है, वैसे-वैसे शोधार्थियों की संख्या भी बढ़ रही है।[2]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ धरोहर राजस्थान सामान्य ज्ञान |लेखक: कुँवर कनक सिंह राव |प्रकाशक: पिंक सिटी पब्लिशर्स, जयपुर |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: डी-50 |
- ↑ 2.0 2.1 2.2 बीकानेर अभिलेखागार- समृद्ध व व्यवस्थित (हिन्दी) कांकड़। अभिगमन तिथि: 21 अगस्त, 2014।
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