उड़िया भाषा: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "==संबंधित लिंक==" to "==सम्बंधित लिंक==") |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "==सम्बंधित लिंक==" to "==संबंधित लेख==") |
||
Line 27: | Line 27: | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> | ||
== | ==संबंधित लेख== | ||
{{भाषा और लिपि}} | {{भाषा और लिपि}} | ||
[[Category:उड़ीसा राज्य]][[Category:भाषा और लिपि]][[Category:साहित्य कोश]] | [[Category:उड़ीसा राज्य]][[Category:भाषा और लिपि]][[Category:साहित्य कोश]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
Revision as of 13:23, 14 September 2010
उड़िया भाषा उड़ीसा राज्य की मुख्य सरकारी भाषा है, जिसने भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में मान्यता प्राप्त की है। इस भाषा की तीन प्रमुख बोलियाँ हैं–
- संबलपुरी (पश्चिमी उड़िया),
- देसिया (दक्षिणी उड़िया) और
- कटकी (तटीय उड़िया)।
इनमें से अन्तिम बोली मानक है और विद्यालय स्तर पर शिक्षा के माध्यम के रूप में इसका उपयोग होता है।
भाषा की उत्पत्ति
उड़िया भारतीय भाषा परिवार के पूर्व समूह से सम्बद्ध है और इसकी उत्पत्ति अर्द्ध मागधी प्राकृत से हुई है। कहा जाता है कि 10वीं शताब्दी में यह अलग भाषा के रूप में उभरी। इसके बाद की सदियों में यह मुख्यतः द्रविड़ भाषाओं, अरबी, फ़ारसी और अंग्रेज़ी के सम्पर्क में आई। तमिल, तेलुगु, मराठी, फ़ारसी, अरबी, तुर्की, फ़्रेंच, पुर्तग़ाली, अंग्रेज़ी और संस्कृत के गृहीत शब्दों से इसकी शब्दावली समृद्ध हुई।
स्वरूप
संस्कृत से गृहीत शब्द दो स्वरूपों में हैं–तत्सम[1] और तद्भव (मूल स्वरूप से अलग)। उड़िया भाषा में समास होता है, लेकिन संस्कृत के विपरीत इसमें लोप[2] नहीं होता। समास का उपयोग उड़िया के बोले जाने वाले स्वरूप के बजाय लिखित स्वरूप में अधिक होता है। अनौपचारिक शैली में शाब्दिक द्वयक[3] अधिक प्रयुक्त होते हैं, जबकि पुनर्द्विगुणित (अक्षर या शब्द की पुनरावृत्ति) भाषा के सभी स्वरूपों में होते हैं। उड़िया में छह शुद्ध स्वर, नौ संयुक्त स्वर, 28 व्यंजन[4] और चार उपस्वर हैं। इस भाषा में शब्दों का अन्त व्यंजनों से नहीं होता।
व्यंजन
उड़िया भाषा के व्यंजनों में एकवचन और बहुवचन; उत्तम, मध्यम तथा अन्य पुरुष; और पुल्लिंग व स्त्रीलिंग क विभेद है। वाक्यों में कर्ता–कर्म–क्रिया का क्रम होता है। इस भाषा में त्रिस्तरीय काल प्रणाली है और समापिका क्रिया के पुरुष और वचन का निर्धारण कर्ता के अनुरूप होता है तथा इसमें सम्मानसूचक चिह्न भी होते हैं। इसमें समुच्चयबोधक और यौगिक क्रियाएँ भी होती हैं। मुख्य क्रिया–भाव निश्चयार्थ, आज्ञार्थ प्रश्नवाचक और संभाव्य क्रियार्थ हैं।
विशेषताएँ
उड़िया भाषा का इतिहास कुछ बहुवचन चिह्न और परसर्गों के लोप को दर्शाता है। अंग्रेज़ी के साथ सम्पर्क के फलस्वरूप उड़िया भाषा में असाक्षात्कथन, सम्बन्धसूचक उपवाक्य और कर्मवाच्य वाक्य–विन्यास जैसी कुछ व्याकरणीय विशेषताएँ शामिल हो गईं। लेकिन अब भी यह पूर्ण नहीं हैं। निबन्ध, समाचार, रिपोर्टिंग और विश्लेषण जैसी प्रबन्ध शैली का समावेश अंग्रेज़ी से हुआ। विद्वत भाषण और लेखन पर आज भी संस्कृतनिष्ठता क़ायम है।
छन्द
इस भाषा में सबसे पहला छन्द और गद्य सम्भवतः क्रमशः 10वीं और 13वीं शताब्दी के हैं। पहली काव्यशास्त्रीय कृति की रचना 15वीं शताब्दी में हुई, जबकि साहित्यिक गद्य ने 18वीं शताब्दी में रूप लेना शुरू किया।
|
|
|
|
|