कंचन: Difference between revisions

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सोना। [[स्वर्ण]]।
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2. धन। संपत्ति।
उदाहरण-
 
(क) चलन चलन सब कोउ कहै पहुंचे बिरला कोय। इक कंचन इक कामिनी दुर्गम घाटी दोय। - [[कबीरदास]]<br />
(ख) बंचक भगत कहाय राम के। किकर कंचन कोह काम के। - [[तुलसीदास|तुलसी]]<ref>तुलसी साहब की शब्दावली ([[हाथरस]] वाले‌) बेलवेडियर प्रेस, इलाहाबाद, [[1909]], [[1911]]</ref>
 
3. धतूरा।
 
4. एक प्रकार का कचनार। रक्त कांचन।
 
5. ([[स्त्रीलिंग]] कंचनी) एक जाति का नाम, जिसमें स्त्रियाँ प्रायः वेश्या का काम करती हैं।


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Revision as of 10:49, 17 October 2021

कंचन - संज्ञा पुल्लिंग (संस्कृत काञ्चन)[1]

1. सोना। स्वर्ण

मुहावरा

कंचन बरसना

(किसी स्थान का) समृद्धि और शोभा से युक्त होना।[2]

उदाहरण- तुलसी वहाँ न जाइए कंचन बरसै मेह। - तुलसी[3]

2. धन। संपत्ति। उदाहरण-

(क) चलन चलन सब कोउ कहै पहुंचे बिरला कोय। इक कंचन इक कामिनी दुर्गम घाटी दोय। - कबीरदास
(ख) बंचक भगत कहाय राम के। किकर कंचन कोह काम के। - तुलसी[4]

3. धतूरा।

4. एक प्रकार का कचनार। रक्त कांचन।

5. (स्त्रीलिंग कंचनी) एक जाति का नाम, जिसमें स्त्रियाँ प्रायः वेश्या का काम करती हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिंदी शब्द सागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी.ए. (मूल सम्पादक) |प्रकाशक: शंभुनाथ वाजपेयी द्वारा, नागरी मुद्रण वाराणसी |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 718 |
  2. हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 719 |
  3. तुलसी साहब की शब्दावली (हाथरस वाले‌) बेलवेडियर प्रेस, इलाहाबाद, 1909, 1911
  4. तुलसी साहब की शब्दावली (हाथरस वाले‌) बेलवेडियर प्रेस, इलाहाबाद, 1909, 1911

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