भरतपुर: Difference between revisions
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भरतपुर [[राजस्थान]] का एक प्रमुख शहर होने के साथ-साथ देश का सबसे प्रसिद्ध पक्षी उद्यान भी है । 29 वर्ग किमी. में फैला यह उद्यान पक्षी प्रेमियों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है । विश्व धरोहर सूची में शामिल यह स्थान प्रवासी पक्षियों का भी बसेरा है । भरतपुर शहर की बात की जाए तो इसकी स्थापना [[जाट]] शासक राजा [[सूरजमल]] ने की थी और यह अपने समय में जाटों का गढ़ हुआ करता था। यहाँ के मंदिर, महल व क़िले जाटों के कला कौशल की गवाही देते हैं। राष्ट्रीय उद्यान के अलावा भी देखने के लिए यहाँ अनेक जगह हैं । इसका नामकरण राम के भाई भरत के नाम पर किया गया है । लक्ष्मण इस राजपरिवार के कुलदेव माने गये हैं। इसके पूर्व यह जगह सोगरिया जाट सरदार रुस्तम के अधिकार में था जिसको महाराजा सूरजमल ने जीता और 1733 में भरतपुर नगर की नींव डाली । | भरतपुर [[राजस्थान]] का एक प्रमुख शहर होने के साथ-साथ देश का सबसे प्रसिद्ध पक्षी उद्यान भी है । 29 वर्ग किमी. में फैला यह उद्यान पक्षी प्रेमियों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है । विश्व धरोहर सूची में शामिल यह स्थान प्रवासी पक्षियों का भी बसेरा है । भरतपुर शहर की बात की जाए तो इसकी स्थापना [[जाट]] शासक राजा [[सूरजमल]] ने की थी और यह अपने समय में जाटों का गढ़ हुआ करता था। यहाँ के मंदिर, महल व क़िले जाटों के कला कौशल की गवाही देते हैं। राष्ट्रीय उद्यान के अलावा भी देखने के लिए यहाँ अनेक जगह हैं । इसका नामकरण [[राम]] के भाई [[भरत]] के नाम पर किया गया है । [[लक्ष्मण]] इस राजपरिवार के कुलदेव माने गये हैं। इसके पूर्व यह जगह सोगरिया जाट सरदार रुस्तम के अधिकार में था जिसको महाराजा सूरजमल ने जीता और 1733 में भरतपुर नगर की नींव डाली । | ||
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भरतपुर राजस्थान का एक प्रमुख शहर होने के साथ-साथ देश का सबसे प्रसिद्ध पक्षी उद्यान भी है । 29 वर्ग किमी. में फैला यह उद्यान पक्षी प्रेमियों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है । विश्व धरोहर सूची में शामिल यह स्थान प्रवासी पक्षियों का भी बसेरा है । भरतपुर शहर की बात की जाए तो इसकी स्थापना जाट शासक राजा सूरजमल ने की थी और यह अपने समय में जाटों का गढ़ हुआ करता था। यहाँ के मंदिर, महल व क़िले जाटों के कला कौशल की गवाही देते हैं। राष्ट्रीय उद्यान के अलावा भी देखने के लिए यहाँ अनेक जगह हैं । इसका नामकरण राम के भाई भरत के नाम पर किया गया है । लक्ष्मण इस राजपरिवार के कुलदेव माने गये हैं। इसके पूर्व यह जगह सोगरिया जाट सरदार रुस्तम के अधिकार में था जिसको महाराजा सूरजमल ने जीता और 1733 में भरतपुर नगर की नींव डाली ।
जाट-रियासत
भरतपुर की शोभा बढ़ाने तथा राजधानी को सुंदर तथा शानदार महलों से अलंकृत करने का कार्य राजा सूरजमल जाट ने किया जो भरतपुर का सर्वश्रेष्ठ शासक था। 1803 ई. में लार्ड लेक ने भरतपुर के क़िले का घेरा डाला। इस समय भरतपुर तथा परिवर्ती प्रदेश मे आगरे तक राजा जवाहर सिंह का राज्य था। क़िले की स्थूल मिट्टी की दीवारों को तोप के गोलों से टूटता न देख कर लेक ने इन की नींव में बारूद भरकर इन्हें उड़ा दिया। इस युद्ध के पश्चात भरतपुर की रियासत अंग्रेजो के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत आ गई।
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