वसंत गोवारिकर: Difference between revisions
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Latest revision as of 07:43, 25 December 2021
वसंत गोवारिकर
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पूरा नाम | डॉ. वसंत रणछोड़ गोवारिकर |
जन्म | 25 मार्च, 1933 |
जन्म भूमि | पुणे, महाराष्ट्र |
मृत्यु | 2 जनवरी, 2015 |
मृत्यु स्थान | पुणे, महाराष्ट्र |
पति/पत्नी | सुधा गोवारिकर |
कर्म भूमि | भारत |
कर्म-क्षेत्र | विज्ञान एवं अभियांत्रिकी |
शिक्षा | मास्टर और डॉक्टरेट की डिग्री, केमिकल इंजीनियरिंग |
विद्यालय | बर्मिंघम विश्वविद्यालय, इंग्लैंड |
पुरस्कार-उपाधि | पद्म श्री, 1984 |
प्रसिद्धि | वैज्ञानिक |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | डॉ. वसंत गोवारिकर 1973 में रसायन और सामग्री समूह के निदेशक बने और अंत में 1979 में केंद्र के निदेशक बने और 1985 तक उस पद पर बने रहे। |
डॉ. वसंत रणछोड़ गोवारिकर (अंग्रेज़ी: Dr. Vasant Ranchhod Gowarikar, जन्म- 25 मार्च, 1933; मृत्यु- 2 जनवरी, 2015) भारतीय वैज्ञानिक थे। उन्हें भारत सरकार द्वारा विज्ञान एवं अभियांत्रिकी के क्षेत्र में योगदान हेतु सन 1984 में पद्म श्री और 2008 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। उनके उल्लेखनीय योगदानों में से एक मानसून की सटीक भविष्यवाणी के लिए पहले स्वदेशी मौसम पूर्वानुमान मॉडल का विकास है। उनके नेतृत्व में इसका संचालन किया गया।
परिचय
वसंत गोवारिकर 25 मार्च, 1933 को पुणे में पैदा हुए थे। भारत में स्नातक होने के बाद उन्होंने इंग्लैंड के बर्मिंघम विश्वविद्यालय से केमिकल इंजीनियरिंग में मास्टर और डॉक्टरेट की डिग्री हासिल की। डॉक्टरेट अनुसंधान के दौरान डॉ. एफ.एच. गार्नर के साथ उनके सहयोग के परिणामस्वरूप 'गार्नर-गोवारीकर सिद्धांत' सामने आया, जो ठोस और तरल पदार्थ के बीच गर्मी और द्रव्यमान हस्तांतरण का एक उपन्यास विश्लेषण था।[1]
कार्यकाल
सन 1959 से 1967 तक इंग्लैंड में रहने के दौरान वसंत गोवारिकर ने पहले हारवेल में (ब्रिटिश) परमाणु ऊर्जा अनुसंधान प्रतिष्ठान में और बाद में रॉकेट मोटर्स के उत्पादन में लगे संगठन समरफील्ड में काम किया। उन्होंने ऑक्सफोर्ड और कैम्ब्रिज परीक्षा बोर्ड के परीक्षकों के बाहरी पैनल के सदस्य के रूप में भी काम किया और पेर्गमोन के बाहरी संपादकीय स्टाफ के रूप में भी काम किया, जहां उन्होंने कई वैज्ञानिक पुस्तकों के संपादन में मदद की। विक्रम साराभाई के कहने पर डॉ. गोवारिकर ने 1967 में थुंबा, तिरुवनंतपुरम में अंतरिक्ष केंद्र में प्रणोदक अभियंता के रूप में कार्यभार ग्रहण किया। बाद में यह केंद्र अन्य अंतरिक्ष अनुसंधान प्रतिष्ठानों के साथ 1972 में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) की छत्रछाया में आ गया।
उच्च पद
- डॉ. वसंत गोवारिकर 1986 से 1991 तक भारत सरकार, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के सचिव थे।
- उन्होंने 1991 से 1993 तक प्रधानमंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में भी कार्य किया।
- उन्हें पुणे विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में नियुक्त किया गया था।
- सन 1994 और 2000 के बीच मराठी विज्ञान परिषद के वह अध्यक्ष थे।[1]
मुख्य योगदान
डॉ. वसंत गोवारिकर 1973 में रसायन और सामग्री समूह के निदेशक बने और अंत में 1979 में केंद्र के निदेशक बने और 1985 तक उस पद पर बने रहे। भारत के पहले लॉन्च वाहन एसएलवी-3 ने वीएसएससी के निदेशक के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान अपनी विजयी सफलता हासिल की। डॉ. गोवारिकर ने भारत के लॉन्च वाहनों के लिए महत्वपूर्ण ठोस ईंधन प्रौद्योगिकी को पूरी तरह से स्वदेशी और उन्नत देशों में तुलनीय बनाने में पेशेवर नेतृत्व प्रदान किया। उनके नेतृत्व में इसरो का 'सॉलिड प्रोपेलेंट स्पेस बूस्टर प्लांट' 5,500 एकड़ से अधिक भूमि में स्थापित किया गया था। उनके नेतृत्व में स्थापित विभिन्न संयंत्रों में सभी रणनीतिक कच्चे माल का शोध, विकास और उत्पादन भी किया जाता है।
उर्वरक विश्वकोश
वसंत गोवारिकर ने अपने सहयोगियों के साथ 'उर्वरक विश्वकोश' (2008) भी संकलित किया, जिसमें उर्वरकों की रासायनिक संरचना का विवरण देने वाली 4,500 प्रविष्टियां शामिल थीं, और सभी उनके निर्माण और अनुप्रयोग से लेकर उनके आर्थिक और पर्यावरणीय विचारों तक की जानकारी।
सम्मान
राष्ट्र ने उन्हें 1984 में पद्म श्री और 2008 में पद्म भूषण से सम्मानित किया। वह एस्ट्रोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया द्वारा 'आर्यभट पुरस्कार' के प्राप्तकर्ता भी थे।[1]
मृत्यु
डॉ. वसंत गोवारिकर का 81 साल की उम्र में 2 जनवरी, 2015 को निधन हो गया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 1.2 वसंत गोवारिकर (हिंदी) vssc.gov.in। अभिगमन तिथि: 18 दिसम्बर, 2021।
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