अब्दुल कलाम: Difference between revisions

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अब्दुल कलाम सयुंक्त परिवार में रहते थे। परिवार की सदस्य संख्या का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि यह स्वयं पाँच भाई एवं पाँच बहन थे और घर में तीन परिवार रहा करते थे। इनका कहना था कि वह घर में तीन झूले (जिसमें बच्चों को रखा और सुलाया जाता है) देखने के अभ्यस्त थे। इनकी दादी माँ एवं माँ द्वारा ही पूरे परिवार की परवरिश की जाती थी। घर के वातावरण में प्रसन्नता और वेदना दोनों का वास था।
अब्दुल कलाम सयुंक्त परिवार में रहते थे। परिवार की सदस्य संख्या का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि यह स्वयं पाँच भाई एवं पाँच बहन थे और घर में तीन परिवार रहा करते थे। इनका कहना था कि वह घर में तीन झूले (जिसमें बच्चों को रखा और सुलाया जाता है) देखने के अभ्यस्त थे। इनकी दादी माँ एवं माँ द्वारा ही पूरे परिवार की परवरिश की जाती थी। घर के वातावरण में प्रसन्नता और वेदना दोनों का वास था।
==विद्यार्थी जीवन==
श्री अब्दुल कलाम प्रात: चार बजे ही उठते थे और स्नान करने के बाद गणित के अध्यापक स्वामीयर के पास गणित पढ़ने चले जाते थे। स्वामीयर की यह विशेषता थी कि जो विद्यार्थी स्नान करके नहीं आता था, वह उसे नहीं पढ़ाते थे। स्वामीयर एक अनोखे अध्यापक थे और पाँच विद्यार्थियों को प्रतिवर्ष नि:शुल्क ट्यूशन पढ़ाते थे। इनकी माता इन्हें उठाकर स्नान कराती थीं और नाश्ता करवाकर ट्यूशन पढ़ने भेज देती थीं। अब्दुल कलाम ट्यू्शन पढ़कर साढ़े पाँच बजे वापस आते थे। उसके बाद अपने पिता के साथ नमाज पढ़ते थे। फिर क़ुरान शरीफ़ का अध्ययन करने के लिए वह अरेशिक स्कूल (मदरसा) चले जाते थे। इसके पश्चात्त अब्दुल कलाम रामेश्वरम के रेलवे स्टेशन और बस स्टैण्ड पर जाकर समाचार पत्र एकत्र करते थे। इस प्रकार इन्हें तीन किलोमीटर जाना पढ़ता था। उन दिनों धनुषकोड़ी से मेल ट्रेन गुजरती थी, लेकिन वहाँ उसका ठहराव नहीं होता था। चलती ट्रेन से ही अख़बार के बण्डल प्लेटफार्म पर फेंक दिए जाते थे। अब्दुल कलाम अख़बार लेने के बाद रामेश्वरम शहर की सड़कों पर दौड़-दौड़कर सबसे पहले उसका वितरण करते थे।
श्री अब्दुल कलाम अख़बार वितरण का कार्य करके प्रतिदिन प्रात: 8 बजे घर लौट आते थे। इनकी माता अन्य बच्चों की तुलना में इन्हें अच्छा नाश्ता देती थीं, क्योंकि यह पढ़ाई और धनार्जन दोनों कार्य कर रहे थे। शाम को स्कूल से लौटने के बाद यह पुन: रामेश्वरम जाते थे ताकि ग्राहकों से बकाया पैसा प्राप्त कर सकें। इस प्रकार वह एक किशोर के रूप में भाग-दौड़ करते हुए पढ़ाई और धनार्जन कर रहे थे। उन्हीं दिनों की बात है, एक दिन अब्दुल कलाम अपने भाई-बहनों के मध्य बैठकर खाना खा रहे थे। इनकी माताजी ने इन्हें चपातियाँ दीं। तब परिवार में चावल ज़्यादा खाए जाते थे और गेंहू की चपातियों पर एक प्रकार से राशनिंग थी। खाना खाने के बाद इनके बड़े भाई ने अलग से ले जाकर कहा कि माँ तुम्हें चपातियाँ खिला रही थीं और उन्होंने स्वयं के लिए भी चपाती नहीं बचाई। वह बहुत कठिन समय था और उनके भाई चाहते थे कि अब्दुल कलाम ज़िम्मेदारी का व्यवहार करें। तब यह अपने जज़्बातों प काबू नहीं पा सके और दौड़कर माँ के गले से जा लगे। उन दिनों कलाम कक्षा पाँच के विद्यार्थी थे। इन्हें परिवार में सबसे अधिक स्नेह प्राप्त हुआ क्योंकि यह परिवार में सबसे छोटे थे। तब घरों में विद्युत नहीं थी और केरोसिन तेल के दीपक जला करते थे, जिनका समय रात्रि 7 से 9 तक नियत था। लेकिन यह अपनी माता के अतिरिक्त स्नेह के कारण पढ़ाई करने हेतु रात के 11 बजे तक दीपक का उपयोग करते थे। अब्दुल कलाम के जीवन में इनकी माता का बहुत महत्वपूर्ण स्थान रहा है। इनकी माता ने 92 वर्ष की उम्र पाई। वह प्रेम, दया और स्नेह की प्रतिमूर्ति थीं। उनका स्वभाव बेहद शालीन था। इनकी माता पाँचों समय की नमाज अदा करती थीं। जब इन्हें नमाज करते हुए अब्दुल कलाम देखते थे तो इन्हें रूहानी सुकूल और प्रेरणा प्राप्त होती थी।
*अब्दुल कलाम ने 1958 में 'मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेकनालॉजी' से अंतरिक्ष विज्ञान में स्नातक की उपाधि प्राप्त की।  
*अब्दुल कलाम ने 1958 में 'मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेकनालॉजी' से अंतरिक्ष विज्ञान में स्नातक की उपाधि प्राप्त की।  
*1962 में वे 'भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन' में आये।  
*1962 में वे 'भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन' में आये।  

Revision as of 16:17, 10 October 2010

अब्दुल कलाम
पूरा नाम अवुल पकिर जैनुलाअबदीन अब्दुल कलाम
अन्य नाम अब्दुल कलाम
जन्म 15 अक्तूबर, 1931
जन्म भूमि रामेश्वरम, तमिलनाडु
पद भारत के 11वें राष्ट्रपति, वैज्ञानिक
कार्य काल 25 जुलाई 2002 से 25 जुलाई 2007
शिक्षा स्नातक
विद्यालय मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेकनालॉजी
पुरस्कार-उपाधि भारत रत्न (1931), पद्म भूषण (1981)
अद्यतन‎

अवुल पकिर जैनुलाअबदीन अब्दुल कलाम

कार्यकाल- 25 जुलाई 2002 से 25 जुलाई 2007
डॉक्टर ए॰पी॰जे॰ अब्दुल कलाम भारतीय गणतंत्र के ग्यारहवें निर्वाचित राष्ट्रपति के रूप में जाने जाते है। यह एक गैर राजनीतिक व्यक्ति रहे है। विज्ञान की दुनिया में चमत्कारिक प्रदर्शन के कारण ही राष्ट्रपति भवन के द्वार इनके लिए स्वत: खुल गए। जो व्यक्ति किसी क्षेत्र विशेष में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करता है, उसके लिए सब सहज हो जाता है और कुछ भी दुर्लभ नहीं रहता। अब्दुल कलाम इस उद्धरण का प्रतिनिधित्व करते नज़र आते हैं। अब्दुल कलाम 77 वर्ष की आयु प्राप्त कर चुके हैं। इन्होंने विवाह नहीं किया है। इनकी जीवन गाथा किसी रोचक उपन्यास के नायक की कहानी से कम नहीं है। चमत्कारिक प्रतिभा के धनी अब्दुल कलाम का व्यक्तित्व इतना उन्नत है कि वह सभी धर्म, जाति एवं सम्प्रदायों के व्यक्ति नज़र आते हैं। यह एक ऐसे स्वीकार्य भारतीय हैं, जो सभी के लिए एक महान आदर्श बन चुके हैं। विज्ञान की दुनिया से देश का प्रथम नागरिक बनना कपोल कल्पना मात्र नहीं है क्योंकि यह एक जीवित प्रणेता की सत्यकथा है।

जन्म और परिवार

अब्दूल कलाम का पूरा नाम डॉक्टर अवुल पाकिर जैनुलाबदीन अब्दुल कलाम है। इनका जन्म 15 अक्टूबर 1931 को रामेश्वरम तमिलनाडु में हुआ। इनके पिता मछुआरों को नाव किराये पर दिया करते थे। इनके संबंध रामेश्वरम के हिन्दू नेताओं तथा अध्यापकों के साथ काफी स्नेहपूर्ण थे। अब्दुल कलाम ने अपनी आरंभिक शिक्षा जारी रखने के लिए अख़बार वितरित करने का कार्य भी किया था। जिस घर में इनका जन्म हुआ, वह आज भी रामेश्वरम में मस्ज़िद मार्ग पर स्थित है। इसके साथ ही इनके भाई की कलाकृतियों की दुकान भी संलग्न है। यहाँ पर्यटक इसी कारण खिंचे चले आते हैं, क्योंकि अब्दुल कलाम का आवास स्थित है। डॉक्टर अब्दुल कलाम प्रकृति के काफी निकट रहे हैं। रामेश्वरम का प्राकृतिक सौन्दर्य समुद्र की निकटता के कारण सदैव बहुत दर्शनीय रहा है। 1964 में 33 वर्ष की उम्र में डॉक्टर अब्दुल कलाम ने जल की भयानक विनाशलीला देखी और जल की शक्ति का वास्तविक अनुमान लगाया। चक्रवाती तूफान में पायबन पुल और यात्रियों से भरी एक रेलगाड़ी के साथ-साथ अब्दुल कलाम का पुश्तैनी गाँव धनुषकोड़ी भी बह गया था। जब यह मात्र 19 वर्ष के थे, तब द्वितीय विश्व युद्ध की विभीषिका को भी महसूस किया। युद्ध का दवानल रामेश्वरम के द्वार तक पहुँचा था। इन परिस्थितियों में भोजन सहित सभी आवश्यक वस्तुओं का अभाव हो गया था।

अब्दुल कलाम सयुंक्त परिवार में रहते थे। परिवार की सदस्य संख्या का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि यह स्वयं पाँच भाई एवं पाँच बहन थे और घर में तीन परिवार रहा करते थे। इनका कहना था कि वह घर में तीन झूले (जिसमें बच्चों को रखा और सुलाया जाता है) देखने के अभ्यस्त थे। इनकी दादी माँ एवं माँ द्वारा ही पूरे परिवार की परवरिश की जाती थी। घर के वातावरण में प्रसन्नता और वेदना दोनों का वास था।

विद्यार्थी जीवन

श्री अब्दुल कलाम प्रात: चार बजे ही उठते थे और स्नान करने के बाद गणित के अध्यापक स्वामीयर के पास गणित पढ़ने चले जाते थे। स्वामीयर की यह विशेषता थी कि जो विद्यार्थी स्नान करके नहीं आता था, वह उसे नहीं पढ़ाते थे। स्वामीयर एक अनोखे अध्यापक थे और पाँच विद्यार्थियों को प्रतिवर्ष नि:शुल्क ट्यूशन पढ़ाते थे। इनकी माता इन्हें उठाकर स्नान कराती थीं और नाश्ता करवाकर ट्यूशन पढ़ने भेज देती थीं। अब्दुल कलाम ट्यू्शन पढ़कर साढ़े पाँच बजे वापस आते थे। उसके बाद अपने पिता के साथ नमाज पढ़ते थे। फिर क़ुरान शरीफ़ का अध्ययन करने के लिए वह अरेशिक स्कूल (मदरसा) चले जाते थे। इसके पश्चात्त अब्दुल कलाम रामेश्वरम के रेलवे स्टेशन और बस स्टैण्ड पर जाकर समाचार पत्र एकत्र करते थे। इस प्रकार इन्हें तीन किलोमीटर जाना पढ़ता था। उन दिनों धनुषकोड़ी से मेल ट्रेन गुजरती थी, लेकिन वहाँ उसका ठहराव नहीं होता था। चलती ट्रेन से ही अख़बार के बण्डल प्लेटफार्म पर फेंक दिए जाते थे। अब्दुल कलाम अख़बार लेने के बाद रामेश्वरम शहर की सड़कों पर दौड़-दौड़कर सबसे पहले उसका वितरण करते थे।

श्री अब्दुल कलाम अख़बार वितरण का कार्य करके प्रतिदिन प्रात: 8 बजे घर लौट आते थे। इनकी माता अन्य बच्चों की तुलना में इन्हें अच्छा नाश्ता देती थीं, क्योंकि यह पढ़ाई और धनार्जन दोनों कार्य कर रहे थे। शाम को स्कूल से लौटने के बाद यह पुन: रामेश्वरम जाते थे ताकि ग्राहकों से बकाया पैसा प्राप्त कर सकें। इस प्रकार वह एक किशोर के रूप में भाग-दौड़ करते हुए पढ़ाई और धनार्जन कर रहे थे। उन्हीं दिनों की बात है, एक दिन अब्दुल कलाम अपने भाई-बहनों के मध्य बैठकर खाना खा रहे थे। इनकी माताजी ने इन्हें चपातियाँ दीं। तब परिवार में चावल ज़्यादा खाए जाते थे और गेंहू की चपातियों पर एक प्रकार से राशनिंग थी। खाना खाने के बाद इनके बड़े भाई ने अलग से ले जाकर कहा कि माँ तुम्हें चपातियाँ खिला रही थीं और उन्होंने स्वयं के लिए भी चपाती नहीं बचाई। वह बहुत कठिन समय था और उनके भाई चाहते थे कि अब्दुल कलाम ज़िम्मेदारी का व्यवहार करें। तब यह अपने जज़्बातों प काबू नहीं पा सके और दौड़कर माँ के गले से जा लगे। उन दिनों कलाम कक्षा पाँच के विद्यार्थी थे। इन्हें परिवार में सबसे अधिक स्नेह प्राप्त हुआ क्योंकि यह परिवार में सबसे छोटे थे। तब घरों में विद्युत नहीं थी और केरोसिन तेल के दीपक जला करते थे, जिनका समय रात्रि 7 से 9 तक नियत था। लेकिन यह अपनी माता के अतिरिक्त स्नेह के कारण पढ़ाई करने हेतु रात के 11 बजे तक दीपक का उपयोग करते थे। अब्दुल कलाम के जीवन में इनकी माता का बहुत महत्वपूर्ण स्थान रहा है। इनकी माता ने 92 वर्ष की उम्र पाई। वह प्रेम, दया और स्नेह की प्रतिमूर्ति थीं। उनका स्वभाव बेहद शालीन था। इनकी माता पाँचों समय की नमाज अदा करती थीं। जब इन्हें नमाज करते हुए अब्दुल कलाम देखते थे तो इन्हें रूहानी सुकूल और प्रेरणा प्राप्त होती थी।

  • अब्दुल कलाम ने 1958 में 'मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेकनालॉजी' से अंतरिक्ष विज्ञान में स्नातक की उपाधि प्राप्त की।
  • 1962 में वे 'भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन' में आये।
  • 'रोहिणी' उपग्रह के सफल प्रक्षेपण, 'अग्नि' व 'पृथ्वी' मिसाइल के निर्माण तथा 'पोखरण के परमाणु परीक्षण' में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका मानी जाती है।
  • अबुल पकिर जैनुलाअबदीन अब्दुल कलाम को भारत सरकार द्वारा 1981 में प्रशासकीय सेवा के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।
  • डॉक्टर कलाम को भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से 1997 में सम्मानित किया गया।
  • 18 जुलाई, 2002 को डॉक्टर कलाम को नब्बे प्रतिशत बहुमत द्वारा 'भारत का राष्ट्रपति' चुना गया था और उन्होंने 25 जुलाई 2002 को अपना पदभार ग्र्हण किया।
  • इस पद के लिये उनका नामांकन सत्तासीन राष्ट्रीय प्रजातांत्रिक गठबंधन की सरकार ने किया था, जिसे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का सम्रथन हासिल हुआ था।


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