माहम अनगा: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "महत्व" to "महत्त्व") |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "==टीका टिप्पणी और संदर्भ==" to "{{संदर्भ ग्रंथ}} ==टीका टिप्पणी और संदर्भ==") |
||
Line 19: | Line 19: | ||
|शोध= | |शोध= | ||
}} | }} | ||
{{संदर्भ ग्रंथ}} | |||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
(पुस्तक 'भारतीय इतिहास कोश') पृष्ठ संख्या-362 | (पुस्तक 'भारतीय इतिहास कोश') पृष्ठ संख्या-362 |
Revision as of 10:24, 21 March 2011
- माहम अनगा बादशाह अकबर के बचपन में उसकी मुख्य अनगा (दूधमाता) थी।
- वह एक कटु राजनीतिज्ञ महिला और अदहम ख़ाँ की माँ थी।
- वह हरम के अन्दर उस दल में सम्मिलित थी, जो बैरम ख़ाँ के राज्य का सर्वेसर्वा बने रहने का विरोधी था।
- उसने अकबर को बैरम ख़ाँ के हाथ से सल्तनत की बाग़डोर छीनने के लिए प्रोत्साहित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की।
- 1560 ई. में अकबर बैरम ख़ाँ को आगरा में छोड़कर दिल्ली अपनी बेवा माँ के पास चला आया।
- इसके बाद अगले दो साल तक माहम अनगा का अकबर के ऊपर बहुत अधिक प्रभाव रहा।
- 1561 ई. में उसने अकबर के कोप से अपने बेटे अदहम ख़ाँ को बचाया, परन्तु अगले साल जब अदहम ख़ाँ ने अतगा ख़ाँ, वज़ीर की हत्या कर डाली तो वह उसकी रक्षा नहीं कर सकी।
- अकबर के हुक़्म से अतगा ख़ाँ को बाँधकर क़िले के परकोटे से नीचे फेंक दिया गया, जिससे उसकी मृत्यु हो गई।
- अपने बेटे के शोक में माहम अनगा की भी शीघ्र ही मृत्यु हो गई।
- उसकी मृत्यु से अकबर हरम के प्रभाव से मुक्त हो गया।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
(पुस्तक 'भारतीय इतिहास कोश') पृष्ठ संख्या-362