फिरोज़शाह मेहता: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
('अपने समय के प्रसिद्ध भारतीय नेता और स्पष्ट वक्ता '''फ...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
No edit summary |
||
Line 7: | Line 7: | ||
'''फ़ीरोजशाह मेहता शिक्षा पर बहुत ज़ोर देते थे'''। नौकरशाही को जनता की माँ-बाप समझने की प्रवृत्ति का उन्होंने सदा विरोध किया। वे अपने समय के उन थोड़े से नेताओं में से थे, जिनका जनता और अंग्रेज़ सरकार दोनों सम्मान करते थे। समय-समय पर वे सरकार से भिड़ भी जाते थे। अपने जीवन के अन्तिम दिनों में फ़ीरोजशाह मेहता ने [[अंग्रेज़ी]] दैनिक पत्र ‘बाम्बे क्रानिकल’ का प्रकाशनश आरम्भ किया। बाद में इस पत्र का देश के स्वतंत्रता संग्राम में बड़ा योगदान रहा। | '''फ़ीरोजशाह मेहता शिक्षा पर बहुत ज़ोर देते थे'''। नौकरशाही को जनता की माँ-बाप समझने की प्रवृत्ति का उन्होंने सदा विरोध किया। वे अपने समय के उन थोड़े से नेताओं में से थे, जिनका जनता और अंग्रेज़ सरकार दोनों सम्मान करते थे। समय-समय पर वे सरकार से भिड़ भी जाते थे। अपने जीवन के अन्तिम दिनों में फ़ीरोजशाह मेहता ने [[अंग्रेज़ी]] दैनिक पत्र ‘बाम्बे क्रानिकल’ का प्रकाशनश आरम्भ किया। बाद में इस पत्र का देश के स्वतंत्रता संग्राम में बड़ा योगदान रहा। | ||
==मृत्यु== | ==मृत्यु== | ||
5 नवम्बर, 1915 ई. को | [[5 नवम्बर]], [[1915]] ई. को फ़िरोजशाह मेहता का निधन हो गया। | ||
{{प्रचार}} | {{प्रचार}} | ||
Line 15: | Line 15: | ||
{{cite book | last =शर्मा | first =लीलाधर | title =भारतीय चरित कोश | edition = | publisher =शिक्षा भारती, दिल्ली | location =भारत डिस्कवरी पुस्तकालय | language =हिन्दी | pages =पृष्ठ 501 | chapter =}} | {{cite book | last =शर्मा | first =लीलाधर | title =भारतीय चरित कोश | edition = | publisher =शिक्षा भारती, दिल्ली | location =भारत डिस्कवरी पुस्तकालय | language =हिन्दी | pages =पृष्ठ 501 | chapter =}} | ||
<references/> | <references/> | ||
[[Category: | ==संबंधित लेख== | ||
{{समाज सुधारक}} | |||
[[Category:राजनीतिज्ञ]] | |||
[[Category:राजनेता]] | |||
[[Category:राजनीति कोश]] | |||
[[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व]] | |||
[[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]] | |||
[[Category:समाज सुधारक]] | |||
__INDEX__ | __INDEX__ | ||
__NOTOC__ |
Revision as of 07:10, 21 May 2011
अपने समय के प्रसिद्ध भारतीय नेता और स्पष्ट वक्ता फ़ीरोजशाह मेहता का जन्म 4 अगस्त, 1845 ई. को मुम्बई के एक प्रसिद्ध व्यवसायी परिवार में हुआ था। आपने भारत में उच्च शिक्षा प्राप्त की थी। पारसी समाज में एम. ए. पास करने वाले फ़ीरोजशाह मेहता पहले युवक थे।
शिक्षा व राजनीति में प्रवेश
फ़ीरोजशाह मेहता बेरिस्टरी की शिक्षा प्राप्त करने के लिए इंग्लैण्ड गए। वहाँ उनका दादाभाई नौरोजी से भी सम्पर्क हुआ। वे वहाँ भारत के पक्ष में आवाज़ उठाने वाली संस्थाओं से भी जुड़े रहे। भारत आकर उन्होंने वकालत आरम्भ की और शीघ्र ही उनकी गणना सफल बेरिस्टरों में होने लगी। उन्होंने 'मुम्बई म्युनिसिपल बोर्ड' के कार्यों में गहरी रुचि ली। उनका नगर में इतना प्रभाव था कि उन्हें ‘मुम्बई का मुकुटहीन राजा’ कहा जाता था। फ़ीरोजशाह मेहता 1886 में 'मुम्बई लेजिस्लेटिव कौंसिल' के लिए मनोनीत किए गए। बाद में केन्द्र की 'इंपीरियल कौंसिल' के भी सदस्य रहे।
अंग्रेज़ों के प्रशंसक
कांग्रेस से उनका सम्बन्ध उसकी स्थापना के समय ही हो गया था। उस समय के अनेक नेताओं की भाँति फ़ीरोजशाह मेहता भी नरम विचारों के राजनीतिज्ञ थे। वे अंग्रेज़ों के प्रशंसक थे। 1890 ई. में उन्होंने कांग्रेस के कोलकाता अधिवेशन की अध्यक्षता की। इस अवसर पर उन्होंने अपने भाषण में कहा था कि, ‘यदि आप अंग्रेज़ों के सामाजिक, नैतिक, मानसिक और राजनीतिक गुणों को अपनायेंगे तो भारत और ब्रिटेन के बीच सदा अच्छा सम्बन्ध रहेगा।’ 1904 की मुम्बई कांग्रेस के स्वागताध्यक्ष के रूप में भाषण करते हुए उन्होंने कहा कि, ‘मैंने दुनिया को नहीं बनाया। जिसने इसे बनाया है, वह स्वयं इसे सम्भालेगा। इसीलिए मैं तो अंग्रेज़ी राज को ईश्वर की देन मानता हूँ।’
शिक्षा के पक्षधर
फ़ीरोजशाह मेहता शिक्षा पर बहुत ज़ोर देते थे। नौकरशाही को जनता की माँ-बाप समझने की प्रवृत्ति का उन्होंने सदा विरोध किया। वे अपने समय के उन थोड़े से नेताओं में से थे, जिनका जनता और अंग्रेज़ सरकार दोनों सम्मान करते थे। समय-समय पर वे सरकार से भिड़ भी जाते थे। अपने जीवन के अन्तिम दिनों में फ़ीरोजशाह मेहता ने अंग्रेज़ी दैनिक पत्र ‘बाम्बे क्रानिकल’ का प्रकाशनश आरम्भ किया। बाद में इस पत्र का देश के स्वतंत्रता संग्राम में बड़ा योगदान रहा।
मृत्यु
5 नवम्बर, 1915 ई. को फ़िरोजशाह मेहता का निधन हो गया।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
शर्मा, लीलाधर भारतीय चरित कोश (हिन्दी)। भारत डिस्कवरी पुस्तकालय: शिक्षा भारती, दिल्ली, पृष्ठ 501।
संबंधित लेख