कुमारन आशान
कुमारन आशान
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पूरा नाम | कुमारन आशान |
जन्म | 12 अप्रॅल 1873 |
जन्म भूमि | तिरुवनंतपुरम |
मृत्यु | 1924 |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | महाकवि कुमारन आशान की सबसे बड़ी देन मलयालम साहित्य को उनके काव्य ग्रंथ हैं यद्यपि उन्होंने कुछ नाटक और गद्य ग्रंथ भी लिखे पर सर्वाधिक ख्याति उनके काव्य की है। |
अद्यतन | 18:25, 21 जून 2017 (IST)
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कुमारन आशान (अंग्रेज़ी: Kumaran aashan, जन्म: 12 अप्रॅल 1873, मृत्यु: 1924) केरल के प्रसिद्ध समाज सुधारक और मलयालम के ख्याति-प्राप्त महाकवि थे। इनका जन्म तिरुवनंतपुरम जिले में एक अंत्यज परिवार में हुआ था।
संक्षिप्त परिचय
- केरल में प्राथमिक शिक्षा देने वालों को 'आशान' कहते थे। इसलिए जब कुमारन ने शिक्षा का काम शुरु किया तो उनका नाम 'कुमार आशान' हो गया।
- उन्होंने बंगलौर और कोलकाता जाकर संस्कृत की शिक्षा ली। यहाँ उन पर रविन्द्रनाथ ठाकुर के काव्य का प्रभाव पड़ा। साथ ही रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानंद के साहित्य से भी वे प्रभावित हुए।
- शिक्षा पूरी करने के बाद कुमारन आशान ने श्रीनारायण गुरु के पास उनके गुरुकुल में रहकर अपनी जाति की अस्पृश्यता समाप्त करने के लिए काम करना आरंभ किया।
- उनके प्रयत्न से दावनकोर की विधानसभा में उनकी जाति को प्रतिनिधित्व प्राप्त हो सका था।
- अस्पृश्यता के कारण उन्हें बचपन से ही अनेक यंत्रणाएं झेलनी पड़ी थीं। उनका निश्चित मत था कि इस कलंक के मिटने पर ही भारतीय समाज में शांति स्थापित हो सकती है।
- महाकवि कुमारन आशान की सबसे बड़ी देन मलयालम साहित्य को उनके काव्य ग्रंथ हैं यद्यपि उन्होंने कुछ नाटक और गद्य ग्रंथ भी लिखे पर सर्वाधिक ख्याति उनके काव्य की है।
- कुमारन आशान की प्रौढ़ काव्यकृतियों में प्रमुख हैं-
- विणपूव (गिराफूल)
- नलिनी
- लीला
- श्री बुद्ध चरित्रम
- बाल रामायण
- प्ररोदनम
- चिन्ता किष्टयाय सीता
- पुष्पवारी
- दुरावस्था
- करुणा आदि
- भावगीत लिखकर महाकवि कुमारन आशान ने मलयालम में एक नई धारा को जन्म दिया। तथाकथित कुलीनों द्वारा अंत्यजों पर होने वाले अत्याचारों को भी उन्होंने अपनी रचनाओं का विषय बनाया। महाकवि कुमारन आशान का 1924 में देहांत हो गया।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 167 |