यमुना नदी: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[checked revision][checked revision]
No edit summary
No edit summary
Line 1: Line 1:
[[भारत]] की सर्वाधिक पवित्र और प्राचीन नदियों में यमुना की गणना [[गंगा नदी]] के साथ की जाती है। [[ब्रजमंडल]] की तो यमुना एक मात्र महत्वपूर्ण नदी है। जहाँ तक [[ब्रज]] संस्कृति का संबंध है, यमुना को केवल नदी कहना ही पर्याप्त नहीं है। वस्तुतः यह ब्रज संस्कृति की सहायक, इसकी दीर्घ कालीन परम्परा की प्रेरक और यहाँ की धार्मिक भावना की प्रमुख आधार रही है। यमुना या [[कालिंदी नदी]] को गंगा की ही तरह पवित्र माना जाता है। यमुना को [[श्रीकृष्ण]] की परम भक्त माना जाता है। गंगा ज्ञान की प्रतीक मानी जाती है तो यमुना भक्ति की।
[[भारत]] की सर्वाधिक पवित्र और प्राचीन नदियों में यमुना की गणना [[गंगा नदी]] के साथ की जाती है। [[ब्रजमंडल]] की तो यमुना एक मात्र महत्वपूर्ण नदी है। जहाँ तक [[ब्रज]] संस्कृति का संबंध है, यमुना को केवल नदी कहना ही पर्याप्त नहीं है। वस्तुतः यह ब्रज संस्कृति की सहायक, इसकी दीर्घ कालीन परम्परा की प्रेरक और यहाँ की धार्मिक भावना की प्रमुख आधार रही है। यमुना या [[कालिंदी नदी]] को गंगा की ही तरह पवित्र माना जाता है। यमुना को [[श्रीकृष्ण]] की परम भक्त माना जाता है। गंगा ज्ञान की प्रतीक मानी जाती है तो यमुना भक्ति की।
{{Panorama
|image= चित्र:Mathura-Yamuna.jpg
|height= 200
|alt= यमुना
|caption= [[मथुरा]] नगर का यमुना नदी पार से विहंगम दृश्य <br /> Panoramic View of Mathura Across The Yamuna
}}
==उद्गम==
==उद्गम==
[[चित्र:Junction-Of-Gange-And-Yamuna-Allahabad.jpg|thumb|350px|मानचित्र में [[गंगा नदी|गंगा]] और यमुना का संगम, [[इलाहाबाद]] ([[1885]])]]
यमुना नदी का उद्गम [[यमनोत्री]] से हुआ है। यमनोत्री [[उत्तरांचल]] में स्थित है। गंगा के समानांतर बहते हुए यह नदी प्रयाग में गंगा में मिल जाती है। भारत के उत्तर में [[हिमालय]] पर्वत है। इसकी एक चोटी का नाम बन्दरपुच्छ है। यह चोटी उत्तरप्रदेश के टिहरी-गढ़वाल ज़िले में है। बड़ी ऊंची है, 20,731 फुट। इसे [[सुमेरु]] भी कहते हैं। इसके एक भाग का नाम कलिंद है। यहीं से यमुना निकलती है। इसी से यमुना का नाम कलिंदजा और [[कालिंदी नदी|कालिंदी]] भी है। दोनों का मतलब कलिंद की बेटी होता है। यह जगह बहुत सुन्दर है, पर यहाँ पहुंचना बहुत कठिन है।  
यमुना नदी का उद्गम [[यमनोत्री]] से हुआ है। यमनोत्री [[उत्तरांचल]] में स्थित है। गंगा के समानांतर बहते हुए यह नदी प्रयाग में गंगा में मिल जाती है। भारत के उत्तर में [[हिमालय]] पर्वत है। इसकी एक चोटी का नाम बन्दरपुच्छ है। यह चोटी उत्तरप्रदेश के टिहरी-गढ़वाल ज़िले में है। बड़ी ऊंची है, 20,731 फुट। इसे [[सुमेरु]] भी कहते हैं। इसके एक भाग का नाम कलिंद है। यहीं से यमुना निकलती है। इसी से यमुना का नाम कलिंदजा और [[कालिंदी नदी|कालिंदी]] भी है। दोनों का मतलब कलिंद की बेटी होता है। यह जगह बहुत सुन्दर है, पर यहाँ पहुंचना बहुत कठिन है।  
[[चित्र:Junction-Of-Gange-And-Yamuna-Allahabad.jpg|thumb|350px|left|मानचित्र में [[गंगा नदी|गंगा]] और यमुना का संगम, [[इलाहाबाद]] ([[1885]])]]
अपने उद्गम से आगे कई मील तक विशाल हिमगारों और हिंम मंडित कंदराओं में अप्रकट रूप से बहती हुई तथा पहाड़ी ढलानों पर से अत्यन्त तीव्रतापूर्वक उतरती हुई इसकी धारा यमुनोत्तरी पर्वत 20,731 फीट ऊँचाई से प्रकट होती है। वहां इसके दर्शनार्थ हज़ारों श्रद्धालु यात्री प्रतिवर्ष भारतवर्ष के कोंने-कोंने से पहुँचते हैं। [[ब्रजभाषा]] के भक्त कवियों और विशेषतया वल्लभ सम्प्रदायी कवियों ने गिरिराज [[गोवर्धन]] की भाँति यमुना के प्रति भी अतिशय श्रद्धा व्यक्त की है। इस सम्प्रदाय का शायद ही कोई कवि हो, जिसने अपनी यमुना के प्रति अपनी काव्य - श्रद्धांजलि अर्पित न की हो। उनका यमुना स्तुति संबंधी साहित्य ब्रजभाषा भक्ति काव्य का एक उल्लेखनीय अंग है।
अपने उद्गम से आगे कई मील तक विशाल हिमगारों और हिंम मंडित कंदराओं में अप्रकट रूप से बहती हुई तथा पहाड़ी ढलानों पर से अत्यन्त तीव्रतापूर्वक उतरती हुई इसकी धारा यमुनोत्तरी पर्वत 20,731 फीट ऊँचाई से प्रकट होती है। वहां इसके दर्शनार्थ हज़ारों श्रद्धालु यात्री प्रतिवर्ष भारतवर्ष के कोंने-कोंने से पहुँचते हैं। [[ब्रजभाषा]] के भक्त कवियों और विशेषतया वल्लभ सम्प्रदायी कवियों ने गिरिराज [[गोवर्धन]] की भाँति यमुना के प्रति भी अतिशय श्रद्धा व्यक्त की है। इस सम्प्रदाय का शायद ही कोई कवि हो, जिसने अपनी यमुना के प्रति अपनी काव्य - श्रद्धांजलि अर्पित न की हो। उनका यमुना स्तुति संबंधी साहित्य ब्रजभाषा भक्ति काव्य का एक उल्लेखनीय अंग है।


Line 18: Line 12:
{{संदर्भ| मथुरा| गंगा नदी| प्रयाग| पूर्वी यमुना नहर| ब्रह्मपुत्र नदी| आगरा नहर|कालिंदी नदी|यमुनोत्री}}
{{संदर्भ| मथुरा| गंगा नदी| प्रयाग| पूर्वी यमुना नहर| ब्रह्मपुत्र नदी| आगरा नहर|कालिंदी नदी|यमुनोत्री}}


==यमुना स्नान, यम–द्वितीया==
{{Panorama
|image= चित्र:Mathura-Yamuna.jpg
|height= 200
|alt= यमुना
|caption= [[मथुरा]] नगर का यमुना नदी पार से विहंगम दृश्य <br /> Panoramic View of Mathura Across The Yamuna
}}
 
==यम–द्वितीया==
{{Main|यम द्वितीया}}
कार्तिक सुदी दौज को [[विश्राम घाट मथुरा|विश्राम घाट]] पर भाई–बहन हाथ पकड़कर एक साथ स्नान करते हैं । यह ब्रज का बहुत बड़ा पर्व है । यम की बहन यमुना है और विश्वास है कि आज के दिन जो भाई–बहन यमुना में स्नान करते हैं, यम उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता । यहाँ यमुना स्नान के लिए लाखों में दूर–दूर से श्रृद्धालु आते हैं और विश्राम घाट पर स्नान कर पूजा आर्चना करते हैं । इसे भाई दूज भी कहते हैं  और बहनें भाई को रोली का टीका भी करती हैं ।
कार्तिक सुदी दौज को [[विश्राम घाट मथुरा|विश्राम घाट]] पर भाई–बहन हाथ पकड़कर एक साथ स्नान करते हैं । यह ब्रज का बहुत बड़ा पर्व है । यम की बहन यमुना है और विश्वास है कि आज के दिन जो भाई–बहन यमुना में स्नान करते हैं, यम उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता । यहाँ यमुना स्नान के लिए लाखों में दूर–दूर से श्रृद्धालु आते हैं और विश्राम घाट पर स्नान कर पूजा आर्चना करते हैं । इसे भाई दूज भी कहते हैं  और बहनें भाई को रोली का टीका भी करती हैं ।


Line 57: Line 59:
चित्र:Yamuna.jpg|यमुना की प्रतिमा
चित्र:Yamuna.jpg|यमुना की प्रतिमा
</gallery>
</gallery>
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{भारत की नदियाँ}}
{{भारत की नदियाँ}}
[[Category:मथुरा]][[Category:ब्रज]]
[[Category:भूगोल कोश]]  
[[Category:भूगोल कोश]]  
[[Category:भारत की नदियाँ]]
[[Category:भारत की नदियाँ]]
__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__
__NOTOC__

Revision as of 13:12, 21 July 2011

भारत की सर्वाधिक पवित्र और प्राचीन नदियों में यमुना की गणना गंगा नदी के साथ की जाती है। ब्रजमंडल की तो यमुना एक मात्र महत्वपूर्ण नदी है। जहाँ तक ब्रज संस्कृति का संबंध है, यमुना को केवल नदी कहना ही पर्याप्त नहीं है। वस्तुतः यह ब्रज संस्कृति की सहायक, इसकी दीर्घ कालीन परम्परा की प्रेरक और यहाँ की धार्मिक भावना की प्रमुख आधार रही है। यमुना या कालिंदी नदी को गंगा की ही तरह पवित्र माना जाता है। यमुना को श्रीकृष्ण की परम भक्त माना जाता है। गंगा ज्ञान की प्रतीक मानी जाती है तो यमुना भक्ति की।

उद्गम

[[चित्र:Junction-Of-Gange-And-Yamuna-Allahabad.jpg|thumb|350px|मानचित्र में गंगा और यमुना का संगम, इलाहाबाद (1885)]] यमुना नदी का उद्गम यमनोत्री से हुआ है। यमनोत्री उत्तरांचल में स्थित है। गंगा के समानांतर बहते हुए यह नदी प्रयाग में गंगा में मिल जाती है। भारत के उत्तर में हिमालय पर्वत है। इसकी एक चोटी का नाम बन्दरपुच्छ है। यह चोटी उत्तरप्रदेश के टिहरी-गढ़वाल ज़िले में है। बड़ी ऊंची है, 20,731 फुट। इसे सुमेरु भी कहते हैं। इसके एक भाग का नाम कलिंद है। यहीं से यमुना निकलती है। इसी से यमुना का नाम कलिंदजा और कालिंदी भी है। दोनों का मतलब कलिंद की बेटी होता है। यह जगह बहुत सुन्दर है, पर यहाँ पहुंचना बहुत कठिन है। अपने उद्गम से आगे कई मील तक विशाल हिमगारों और हिंम मंडित कंदराओं में अप्रकट रूप से बहती हुई तथा पहाड़ी ढलानों पर से अत्यन्त तीव्रतापूर्वक उतरती हुई इसकी धारा यमुनोत्तरी पर्वत 20,731 फीट ऊँचाई से प्रकट होती है। वहां इसके दर्शनार्थ हज़ारों श्रद्धालु यात्री प्रतिवर्ष भारतवर्ष के कोंने-कोंने से पहुँचते हैं। ब्रजभाषा के भक्त कवियों और विशेषतया वल्लभ सम्प्रदायी कवियों ने गिरिराज गोवर्धन की भाँति यमुना के प्रति भी अतिशय श्रद्धा व्यक्त की है। इस सम्प्रदाय का शायद ही कोई कवि हो, जिसने अपनी यमुना के प्रति अपनी काव्य - श्रद्धांजलि अर्पित न की हो। उनका यमुना स्तुति संबंधी साहित्य ब्रजभाषा भक्ति काव्य का एक उल्लेखनीय अंग है।

शास्त्रों में यमुना

शास्त्रों के अनुसार यमुना नदी को यमराज की बहन माना गया है। यमराज और यमुना दोनों का ही स्वरूप काला बताया जाता है जबकि यह दोनों ही परम तेजस्वी सूर्य की संतान है। फिर भी इनका स्वरूप काला है। ऐसा माना जाता है कि सूर्य की एक पत्नी छाया थी, छाया दिखने में भयंकर काली थी इसी वजह से उनकी संतान यमराज और यमुना भी श्याम वर्ण पैदा हुए। यमुना से यमराज से वरदान ले रखा है कि जो भी व्यक्ति यमुना में स्नान करेगा उसे यमलोक नहीं जाना पड़ेगा। दीपावली के दूसरे दिन यम द्वितीया को यमुना और यमराज के मिलन बताया गया है। इसी वह से इस दिन भाई-बहन के लिए भाई दूज के रूप में मनाया जाता है।[1]

ब्रजमंडल में यमुना

मथुरा में यमुना के 24 घाट हैं जिन्हें तीर्थ भी कहा जाता है। ब्रज में यमुना का महत्त्व वही है जो शरीर में आत्मा का, यमुना के बिना ब्रज और ब्रज की संस्कृति का कोई महत्त्व ही नहीं है। [[चित्र:Yamuna-Mathura-2.jpg|यमुना नदी, मथुरा
River Yamuna, Mathura|thumb|200px]] पश्चिमी हिमालय से निकल कर उत्तर प्रदेश एवं हरियाणा की सीमा के सहारे सहारे 95 मील का सफ़र कर उत्तरी सहारनपुर (मैदानी इलाक़ा) पहुंचती है। फिर यह दिल्ली, आगरा से होती हुई इलाहाबाद में गंगा नदी में मिल जाती है (कुल लम्बाई 1370 किलोमीटर या 852 मील)। ब्रजमंडल की तो यमुना एक मात्र महत्त्वपूर्ण नदी है । जहां भगवान् श्री कृष्ण ब्रज संस्कृति के जनक कहे जाते हैं, वहाँ यमुना इसकी जननी मानी जाती है। इस प्रकार यह सच्चे अर्थों में ब्रजवासियों की माता है। अतः ब्रज में इसे यमुना मैया कहना सर्वथा सार्थक है। भारतवर्ष की सर्वाधिक पवित्र और प्राचीन नदियों में यमुना की गणना गंगा के साथ की जाती है। यमुना और गंगा के दो आब की पुण्यभूमि में ही आर्यों की पुरातन संस्कृति का गौरवशाली रूप बन सका था। जहां तक ब्रज संस्कृति का संबध है, यमुना को केवल नदी कहना ही पर्याप्त नहीं है। वस्तुतः यह ब्रज संस्कृति की सहायक, इसकी दीर्ध कालीन परम्परा की प्रेरक और यहाँ की धार्मिक भावना की प्रमुख आधार रही है।

चित्र:Seealso.gifयमुना नदी का उल्लेख इन लेखों में भी है: मथुरा, गंगा नदी, प्रयाग, पूर्वी यमुना नहर, ब्रह्मपुत्र नदी, आगरा नहर, कालिंदी नदी एवं यमुनोत्री
[[चित्र:Mathura-Yamuna.jpg|x200px|alt=यमुना|मथुरा नगर का यमुना नदी पार से विहंगम दृश्य
Panoramic View of Mathura Across The Yamuna]]
मथुरा नगर का यमुना नदी पार से विहंगम दृश्य
Panoramic View of Mathura Across The Yamuna

यम–द्वितीया

  1. REDIRECTसाँचा:मुख्य

कार्तिक सुदी दौज को विश्राम घाट पर भाई–बहन हाथ पकड़कर एक साथ स्नान करते हैं । यह ब्रज का बहुत बड़ा पर्व है । यम की बहन यमुना है और विश्वास है कि आज के दिन जो भाई–बहन यमुना में स्नान करते हैं, यम उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता । यहाँ यमुना स्नान के लिए लाखों में दूर–दूर से श्रृद्धालु आते हैं और विश्राम घाट पर स्नान कर पूजा आर्चना करते हैं । इसे भाई दूज भी कहते हैं और बहनें भाई को रोली का टीका भी करती हैं ।

कथा

[[चित्र:yamuna-mathura-l10.jpg|यमुना नदी, मथुरा
River Yamuna, Mathura|thumb|250px]] सूर्य भगवान की स्त्री का नाम संज्ञा देवी था। इनकी दो संतानें, पुत्र यमराज तथा कन्या यमुना थी। संज्ञा देवी पति सूर्य की उद्दीप्त किरणों को न सह सकने के कारण उत्तरी ध्रुव प्रदेश में छाया बन कर रहने लगीं। उसी छाया से ताप्ती नदी तथा शनीचर का जन्म हुआ। इधर छाया का यम तथा यमुना से विमाता सा व्यवहार होने लगा। इससे खिन्न होकर यम ने अपनी एक नई नगरी यमपुरी बसाई, यमपुरी में पापियों को दण्ड देने का कार्य सम्पादित करते भाई को देखकर यमुनाजी गो लोक चली आईं जो कि कृष्णावतार के समय भी थी। यमुना अपने भाई यमराज से बड़ा स्नेह करती थी। वह उससे बराबर निवेदन करती कि वह उसके घर आकर भोजन करें। लेकिन यमराज अपने काम में व्यस्त रहने के कारण यमुना की बात को टाल जाते थ। बहुत समय व्यतीत हो जाने पर एक दिन सहसा यम को अपनी बहन की याद आई। उन्होंने दूतों को भेजकर यमुना की खोज करवाई, मगर वह मिल न सकीं। फिर यमराज स्वयं ही गोलोक गए जहाँ विश्राम घाट पर यमुनाजी से भेंट हुई। भाई को देखते ही यमुनाजी ने हर्ष विभोर होकर उनका स्वागत सत्कार किया तथा उन्हें भोजन करवाया। इससे प्रसन्न हो यम ने वर माँगने को कहा – यमुना ने कहा – हे भइया मैं आपसे यह वरदान माँगना चाहती हूँ कि मेरे जल में स्नान करने वाले नर-नारी यमपुरी न जाएँ। प्रश्न बड़ा कठिन था, यम के ऐसा वर देने से यमपुरी का अस्तित्व ही समाप्त हो जाता। भाई को असमंजस में देख कर यमुना बोलीं – आप चिंता न करें मुझे यह वरदान दें कि जो लोग आज के दिन बहन के यहाँ भोजन करके, इस मथुरा नगरी स्थित विश्राम घाट पर स्नान करें वे तुम्हारे लोक को न जाएँ। इसे यमराज ने स्वीकार कर लिया। उन्होंने बहन यमुनाजी को आश्वासन दिया – ‘इस तिथि को जो सज्जन अपनी बहन के घर भोजन नहीं करेंगे उन्हें मैं बाँधकर यमपुरी ले जाऊँगा और तुम्हारे जल में स्नान करने वालों को स्वर्ग होगा।’ तभी से यह त्योहार मनाया जाता है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

वीथिका

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. यमुना नदी काली क्यों है? (हिंदी) (एच.टी.एम.एल) दैनिक भास्कर। अभिगमन तिथि: 21 जुलाई, 2011।

संबंधित लेख