भारतकोश सम्पादकीय 3 मार्च 2012: Difference between revisions
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Revision as of 13:32, 10 March 2012
कौऔं का वायरस
एक बहुत ही सयाना कौआ अपने तीन बच्चों को दुनियादारी की ट्रेनिंग देते हुए गूढ़-ज्ञान की बातें बता रहा था। "सुनो ध्यान से! भगवान ने हमको ही सबसे ज़्यादा चालाक बनाया हो ऐसा नहीं है। असल में दूसरी तरह के कौए हमसे भी ज़्यादा चालाक हैं और हमको चैन से खाने-पीने और जीने नहीं देते। हमारी जान इसीलिए बची हुई है कि हमने जान बचाने की आदत डाल रखी है। इन ख़तरनाक कौऔं से बचने के लिए एक बहुत ज़रूरी आदत तुमको डालनी ही होगी। हमेशा-हमेशा याद रखो! अगर इस दुनियाँ में सरवाइव करना है तो जान बचाने की आदत डाल लेनी चाहिए, तो जान बचाने के लिए... " thumb|left|300px|मैं और मेरी छोटी बेटी 'अनी चौधरी' (ये फ़ोटो अनी के विशेष आग्रह पर) |