बस एक चान्स -आदित्य चौधरी: Difference between revisions
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इस बात का पता 'चंद लोगों' को ही था कि छोटे पहलवान दुनियाँ का सबसे अक़्लमंद लड़का है। इन 'चंद लोगों' में थे- एक तो छोटे पहलवान ख़ुद और बाक़ी उसके माता-पिता और परिवारी जन। बाहर की दुनियाँ से छोटे का ज़्यादा सम्पर्क हुआ नहीं था। इसी दौर में उसे यह भी महसूस होने लगा कि वह दुनियाँ का महानतम विद्वान भी है। अपनी पहली किताब के छपते ही एक ज़बर्दस्त हंगामा होने का ख़याल लिए वो अपना वक़्त क्रिकेट और फ़ुटबॉल खेलने में बिताता था। बारातों में बच्चों को पैसे लूटते देखकर वो सोचता था कि उसकी किताब की भी ऐसी ही लूट मचेगी एक दिन, बस ज़रा लिखने भर की देर है। | इस बात का पता 'चंद लोगों' को ही था कि छोटे पहलवान दुनियाँ का सबसे अक़्लमंद लड़का है। इन 'चंद लोगों' में थे- एक तो छोटे पहलवान ख़ुद और बाक़ी उसके माता-पिता और परिवारी जन। बाहर की दुनियाँ से छोटे का ज़्यादा सम्पर्क हुआ नहीं था। इसी दौर में उसे यह भी महसूस होने लगा कि वह दुनियाँ का महानतम विद्वान भी है। अपनी पहली किताब के छपते ही एक ज़बर्दस्त हंगामा होने का ख़याल लिए वो अपना वक़्त क्रिकेट और फ़ुटबॉल खेलने में बिताता था। बारातों में बच्चों को पैसे लूटते देखकर वो सोचता था कि उसकी किताब की भी ऐसी ही लूट मचेगी एक दिन, बस ज़रा लिखने भर की देर है। |
Revision as of 14:41, 5 May 2012
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टीका टिप्पणी और संदर्भ