विज्ञापन लोक -आदित्य चौधरी: Difference between revisions
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ठीक इसी तरह की बात और भी बहुत से उत्पादों के संबंध में है, जिनके कि हम विज्ञापन देखते-देखते बीच में थोड़ी बहुत फ़िल्म या सीरियल भी देख लेते हैं। | ठीक इसी तरह की बात और भी बहुत से उत्पादों के संबंध में है, जिनके कि हम विज्ञापन देखते-देखते बीच में थोड़ी बहुत फ़िल्म या सीरियल भी देख लेते हैं। | ||
सामान्यत: डेली सोप या 'सोप ओपेरा ' (सही है 'सोप ऑप्रा ') आदि ही कहा जाता है, इन विज्ञापनों से 'ग्रसित' धारावाहिकों को, इनकी शुरुआत तब हुई जब साबुन कम्पनी ने ऐसे नाटकों को प्रायोजित करना शुरू किया। ये रही होगी, करीब 1950 के आसपास की बात, जब अमरीका में यह शुरूआत हुई। 'ऑप्रा' शब्द लैटिन भाषा के शब्द 'ऑपस' से बना है, जिसका अर्थ है 'कोई कार्य', विशेषकर संगीत आदि से संबंधित और इस शब्द को संस्कृत शब्द उपाय, उपक्रम या उपासा आदि से भी जोड़ा जा सकता है। | सामान्यत: डेली सोप या 'सोप ओपेरा ' (सही है 'सोप ऑप्रा ') आदि ही कहा जाता है, इन विज्ञापनों से 'ग्रसित' धारावाहिकों को, इनकी शुरुआत तब हुई जब साबुन कम्पनी ने ऐसे नाटकों को प्रायोजित करना शुरू किया। ये रही होगी, करीब 1950 के आसपास की बात, जब अमरीका में यह शुरूआत हुई। 'ऑप्रा' शब्द लैटिन भाषा के शब्द 'ऑपस' से बना है, जिसका अर्थ है 'कोई कार्य', विशेषकर संगीत आदि से संबंधित और इस शब्द को संस्कृत शब्द उपाय, उपक्रम या उपासा आदि से भी जोड़ा जा सकता है। | ||
साबुन का विज्ञापन तो शुरू-शुरू में [[एनी बेसेन्ट]], [[रवीन्द्रनाथ टैगोर]] और [[चक्रवर्ती राजगोपालाचारी]] ने भी किया। ये विज्ञापन स्वराज को ध्यान में रखते हुए थे और गॉदरेज कम्पनी के साबुन के थे। गुरु रवीन्द्रनाथ ने अख़बार में यह विज्ञापन दिया- "I know of no foreign soap better than Godrej, and I have made it a point to use Godrej soaps | साबुन का विज्ञापन तो शुरू-शुरू में [[एनी बेसेन्ट]], [[रवीन्द्रनाथ टैगोर]] और [[चक्रवर्ती राजगोपालाचारी]] ने भी किया। ये विज्ञापन स्वराज को ध्यान में रखते हुए थे और गॉदरेज कम्पनी के साबुन के थे। गुरु रवीन्द्रनाथ ने अख़बार में यह विज्ञापन दिया- "I know of no foreign soap better than Godrej, and I have made it a point to use Godrej soaps." बाद में अनेक नेताओं विज्ञापन दिए, जैसे [[जयप्रकाश नारायण]] ने 'नीम टूथपेस्ट' की वकालत की, तो टी.एन. शेषन ने 'सफल' की सब्ज़ियों की... | ||
ख़ैर... | ख़ैर... | ||
बाद में हालात कुछ बदल गए, राज्य सभा और लोक सभा के सांसद जो फ़िल्म के क्षेत्र से आए हैं, सभी विज्ञापनों में भाग लेते हैं, जिसकी दलील ये है कि वे यह विज्ञापन एक कलाकार की हैसियत से कर रहे हैं न कि सांसद की। क्या ये मुमकिन है कि एक ही व्यक्ति, एक साथ दो व्यक्तियों की तरह व्यवहार करे। ऐसे में कुछ उत्साही सांसद सर ठंडा रखने से लेकर घुटने ठीक करने तक का तेल बेचते हैं, पानी साफ़ करने के फ़िल्टर से लेकर इंवर्टर तक के विज्ञापन करते हैं। दलील ये है कि ये उनका पेशा है। मेरे विचार से जिन्हें विज्ञापन देने हैं, उन्हें जन प्रतिनिधि नहीं होना चाहिए और जो जन प्रतिनिधि हैं, उन्हें व्यावसायिक विज्ञापन नहीं देने चाहिए... | बाद में हालात कुछ बदल गए, राज्य सभा और लोक सभा के सांसद जो फ़िल्म के क्षेत्र से आए हैं, सभी विज्ञापनों में भाग लेते हैं, जिसकी दलील ये है कि वे यह विज्ञापन एक कलाकार की हैसियत से कर रहे हैं न कि सांसद की। क्या ये मुमकिन है कि एक ही व्यक्ति, एक साथ दो व्यक्तियों की तरह व्यवहार करे। ऐसे में कुछ उत्साही सांसद सर ठंडा रखने से लेकर घुटने ठीक करने तक का तेल बेचते हैं, पानी साफ़ करने के फ़िल्टर से लेकर इंवर्टर तक के विज्ञापन करते हैं। दलील ये है कि ये उनका पेशा है। मेरे विचार से जिन्हें विज्ञापन देने हैं, उन्हें जन प्रतिनिधि नहीं होना चाहिए और जो जन प्रतिनिधि हैं, उन्हें व्यावसायिक विज्ञापन नहीं देने चाहिए... |
Revision as of 13:54, 25 June 2012
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