छूट भागे रास्ते -आदित्य चौधरी: Difference between revisions

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माजरा ये देखकर अब दश्त भी हैरान है
माजरा ये देखकर अब दश्त भी हैरान है
मर्हले चलने लगे हैं क़ाफ़िलों के वास्ते <ref>मर्हले = मंज़िलें</ref>
मरहले चलने लगे हैं क़ाफ़िलों के वास्ते <ref>मरहले= मंज़िलें</ref>


मौत के आने से पहले एक लम्हा जी लिया
मौत के आने से पहले एक लम्हा जी लिया

Revision as of 05:27, 27 August 2012

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छूट भागे रास्ते -आदित्य चौधरी


मंज़िलों की क़ैद से अब छूट भागे रास्ते
है बक़ाया ज़िन्दगी आवारगी के वास्ते

छोड़ कर रस्मो-रिवाज़ों की गली को आ गए
अब हुआ हर शख़्स हाज़िर दोस्ती के वास्ते

उसकी महफ़िल और उसके रंग से क्या साबिका [1]
अब हज़ारों मस्तियाँ हर बज़्म मेरे वास्ते [2]

ये सफ़र ताबीर है उन हसरतों के ख़ाब की [3]
जो कभी होती थीं तेरी सुह्‌बतों के वास्ते [4]

अब कोई आक़ा नियम क़ानून क्या बतलाएगा
आँधियाँ भी रुक गईं हैं इस सबा के वास्ते [5]

माजरा ये देखकर अब दश्त भी हैरान है
मरहले चलने लगे हैं क़ाफ़िलों के वास्ते [6]

मौत के आने से पहले एक लम्हा जी लिया
कौन रगड़े एड़ियाँ अब ज़िन्दगी के वास्ते

सम्पादकीय विषय सूची
अतिथि रचनाकार 'चित्रा देसाई' की कविता सम्पादकीय आदित्य चौधरी की कविता

शब्दार्थ

  1. साबिका या साबका = संबंध, वास्ता
  2. बज़्म = महफ़िल
  3. ताबीर = नतीजा
  4. सुह्‌बत या सोहबत = संगत, साथ
  5. सबा = पुरवा हवा, मंद शीतल हवा
  6. मरहले= मंज़िलें