छत्रपति साहू महाराज: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replace - "मुफ्त" to "मुफ़्त")
Line 6: Line 6:


==विशेष योगदान==
==विशेष योगदान==
समाज की इस बुराई को दूर करने के लिए साहू जी ने [[1911]] ई. में ‘सत्य शोधक समाज’ की स्थापना की। कोल्हापुर में सत्यशोधक समाज पाठशाला चलाई। इससे पहले [[1873]] में [[ज्योतिबा फुले]] भी महाराष्ट्र में ‘सत्यशोधक समाज’ की स्थापना कर चुके थे। जाति-पाति के विरुद्ध इसी आंदोलन को छत्रपति साहू महाराज ने अपनी रियासत से आगे बढ़ाया। [[1919]] ई. में छत्रपति साहू महाराज [[डॉ. अम्बेडकर]] के संपर्क में आए और एक वर्ष बाद मार्च [[1920]] में कोल्हापुर रियासत में डॉ. अम्बेडकर की अध्यक्षता में दलितों का एक सम्मेलन हुआ। उस सम्मेलन में छत्रपति साहू महाराज ने यह भविष्यवाणी की थी कि डॉ. अम्बेडकर [[भारत]] के प्रथम श्रेणी के नेता के रूप में चमक उठेंगे। छत्रपति साहू महाराज के सहयोग से [[1920]] में नासिक में ‘विद्या व सतीगृह’ की स्थापना हुई। इस अवसर पर उन्होंने कहा- जाति-भेद से ही जाति-द्वेष पैदा होता है। इसलिए सबसे पहले जाति-भेद समाप्त करना चाहिए। उन्होंने आदिवासियों को गाँवों में बसाने का कार्य किया। प्राथमिक शिक्षा को अनिवार्य और मुफ्त करने का कानून बनाया।
समाज की इस बुराई को दूर करने के लिए साहू जी ने [[1911]] ई. में ‘सत्य शोधक समाज’ की स्थापना की। कोल्हापुर में सत्यशोधक समाज पाठशाला चलाई। इससे पहले [[1873]] में [[ज्योतिबा फुले]] भी महाराष्ट्र में ‘सत्यशोधक समाज’ की स्थापना कर चुके थे। जाति-पाति के विरुद्ध इसी आंदोलन को छत्रपति साहू महाराज ने अपनी रियासत से आगे बढ़ाया। [[1919]] ई. में छत्रपति साहू महाराज [[डॉ. अम्बेडकर]] के संपर्क में आए और एक वर्ष बाद मार्च [[1920]] में कोल्हापुर रियासत में डॉ. अम्बेडकर की अध्यक्षता में दलितों का एक सम्मेलन हुआ। उस सम्मेलन में छत्रपति साहू महाराज ने यह भविष्यवाणी की थी कि डॉ. अम्बेडकर [[भारत]] के प्रथम श्रेणी के नेता के रूप में चमक उठेंगे। छत्रपति साहू महाराज के सहयोग से [[1920]] में नासिक में ‘विद्या व सतीगृह’ की स्थापना हुई। इस अवसर पर उन्होंने कहा- जाति-भेद से ही जाति-द्वेष पैदा होता है। इसलिए सबसे पहले जाति-भेद समाप्त करना चाहिए। उन्होंने आदिवासियों को गाँवों में बसाने का कार्य किया। प्राथमिक शिक्षा को अनिवार्य और मुफ़्त करने का कानून बनाया।


==निधन==
==निधन==

Revision as of 10:25, 14 May 2013

छत्रपति साहू महाराज (जन्म 26 जुलाई, 1874; मृत्यु 10 मई, 1922) समाजसुधारक व्यक्ति थे जिन्होंने राजा होते हुए भी दलित और शोषित वर्ग के कष्ट को समझा और सदा उससे निकटता बनाए रहे।

जीवन परिचय

छत्रपति साहू महाराज का जन्म 26 जुलाई, 1874 ई. को हुआ था। उनके पिता का नाम श्रीमंत जयसिंह राव आबासाहब घाटले था। छत्रपति साहू महाराज का बचपन का नाम यशवंत राव था। उनकी शिक्षा राजकोट के राजकुमार महाविद्यालय और धारवाड़ में हुई। छत्रपति साहू जी 1894 ई. में कोल्हापुर रियासत के राजा बने। उन्होंने देखा कि जातिवाद के कारण समाज का एक वर्ग पिस रहा है। अतः उन्होंने दलितों के उद्धार के लिए योजना बनाई और उस पर अमल आरंभ किया। छत्रपति साहू महाराज ने दलित और पिछड़ी जाति के लोगों के लिए विद्यालय खोले और छात्रावास बनाए। इससे उनमें शिक्षा का प्रचार हुआ और सामाजिक स्थिति बदलने लगी। परन्तु उच्च वर्ग के लोगों ने इसका विरोध किया। वे छत्रपति को अपना शत्रु समझने लगे। उसके राजपुरोहित तक ने कह दिया- आप शूद्र हैं और शूद्र को वेद मंत्र सुनने का अधिकार नहीं है। छत्रपति साहू महाराज ने इस सारे विरोध का डट कर सामना किया।

विशेष योगदान

समाज की इस बुराई को दूर करने के लिए साहू जी ने 1911 ई. में ‘सत्य शोधक समाज’ की स्थापना की। कोल्हापुर में सत्यशोधक समाज पाठशाला चलाई। इससे पहले 1873 में ज्योतिबा फुले भी महाराष्ट्र में ‘सत्यशोधक समाज’ की स्थापना कर चुके थे। जाति-पाति के विरुद्ध इसी आंदोलन को छत्रपति साहू महाराज ने अपनी रियासत से आगे बढ़ाया। 1919 ई. में छत्रपति साहू महाराज डॉ. अम्बेडकर के संपर्क में आए और एक वर्ष बाद मार्च 1920 में कोल्हापुर रियासत में डॉ. अम्बेडकर की अध्यक्षता में दलितों का एक सम्मेलन हुआ। उस सम्मेलन में छत्रपति साहू महाराज ने यह भविष्यवाणी की थी कि डॉ. अम्बेडकर भारत के प्रथम श्रेणी के नेता के रूप में चमक उठेंगे। छत्रपति साहू महाराज के सहयोग से 1920 में नासिक में ‘विद्या व सतीगृह’ की स्थापना हुई। इस अवसर पर उन्होंने कहा- जाति-भेद से ही जाति-द्वेष पैदा होता है। इसलिए सबसे पहले जाति-भेद समाप्त करना चाहिए। उन्होंने आदिवासियों को गाँवों में बसाने का कार्य किया। प्राथमिक शिक्षा को अनिवार्य और मुफ़्त करने का कानून बनाया।

निधन

पुनर्विवाह को भी कानूनी मान्यता दी। उनका समाज के किसी वर्ग से द्वेष नहीं था, परन्तु दलित वर्ग के प्रति उनके मन में गहरा लगाव था। छत्रपति साहू महाराज का 10 मई, 1922 ई. को निधन हो गया।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख