फ़ासले मिटाके -आदित्य चौधरी: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
('{| width="100%" style="background:#fbf8df; border:thin groove #003333; border-radius:5px; padding:8px;" |- | <noinclude>[[चित्...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
m ("फ़ासले मिटाके -आदित्य चौधरी" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (अनिश्चित्त अवधि) [move=sysop] (अनिश्चित्त अवधि)))
(No difference)

Revision as of 13:12, 21 September 2013

50px|right|link=|

फ़ासले मिटाके -आदित्य चौधरी

कोई फ़ासले मिटाके, आया क़रीब होता
चाहे नसीब वाला या कम नसीब होता

उसे ज़िन्दगी में अपनी, मेरी तलाश होती
मैं उसकी सुबह होता, वो मेरी शाम होता

मेरी आरज़ू में उसके, ख़ाबों के फूल होते
यूँ साथ उसके रहना, कितना हसीन होता

जब शाम कोई तन्हा, खोई हुई सी होती
तब जिस्म से ज़ियादा, वो पास दिल के होता

दिल के हज़ार सदमे, ग़म के हज़ार लम्हे
इक साथ उसका होना, राहत तमाम होता


टीका टिप्पणी और संदर्भ