मेरा है वास्ता -आदित्य चौधरी: Difference between revisions

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तेरा हो या ना हो, मेरा है वास्ता
तेरा हो या ना हो, मेरा है वास्ता
जाना पहचाना लगता है ये रास्ता
जाना पहचाना लगता है ये रास्ता

Revision as of 14:20, 29 October 2013

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मेरा है वास्ता -आदित्य चौधरी

तेरा हो या ना हो, मेरा है वास्ता
जाना पहचाना लगता है ये रास्ता

उसके खेतों से और उसके खलिहान से
छोटे जुम्मन की फूफी की दूकान से
उसके कमज़ोर कांधों के सामान से

है मेरा वास्ता, मेरा है वास्ता

मांगते भीख इंसान इंसान से
सर्द रातों से लड़ती हुई जान से
और गाँवों के बनते वीरान से

है मेरा वास्ता, मेरा है वास्ता

आँख से जो न टपकी हो उस बूँद से
कसमसाते हुए दिल की हर गूँज से
बिन लिखे उन ख़तों के मज़मून से

है मेरा वास्ता, मेरा है वास्ता

करवटों से परेशान फ़ुटपाथ से
उस मुहल्ले के बिछड़े हुए साथ से
और हँसिए को थामे हुए हाथ से

मेरा है वास्ता, है मेरा वास्ता

उसके अल्लाह से और भगवान से
उसके भजनों से भी, उसकी आज़ान से
और दंगों में जाती हुई जान से

है मेरा वास्ता, मेरा है वास्ता

उसके चूल्हे की बुझती हुई आग से
उस हवेली की जूठन, बचे साग से
टूटी चूड़ी के फूटे हुए भाग से

है मेरा वास्ता, मेरा है वास्ता

कम्मो दादी की धोती के पैबंद से
और पसीने की आती हुई गंध से
उसके जूआ छुड़ाने की सौगंध से

है मेरा वास्ता, मेरा है वास्ता

उसकी छत से टपकती हुई बूँद से
सरहदों पर बहाए हुए ख़ून से
ज़ुल्म ढाते हुए स्याह क़ानून से

तेरा हो या ना हो, तेरा हो या ना हो, मेरा है वास्ता
जाना पहचाना लगता है ये रास्ता
कितना अपना सा लगता है ये रास्ता

मेरा है वास्ता, मेरा है वास्ता
मेरा है वास्ता, मेरा है वास्ता



टीका टिप्पणी और संदर्भ