फ़साने भर को -आदित्य चौधरी: Difference between revisions

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तुमसे मिलते हैं, सताने भर को  
तुमसे मिलते हैं, सताने भर को  


तेरी ख़ुशी से हम हैं ख़ुश कितने  
तेरी ख़ुशी से हम हैं आज ख़ुश कितने  
तुझसे मिलना है, बताने भर को  
तुझसे मिलना है, बताने भर को  



Latest revision as of 16:13, 9 November 2013

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फ़साने भर को -आदित्य चौधरी

दिल को समझाया, बहाने भर को
आज ज़िंदा हैं, फ़साने भर को

वो जो इक शाम जिससे यारी थी,
आज हासिल है, ज़माने भर को

बाद मुद्दत के हसरतों ने कहा
तुमसे मिलते हैं, सताने भर को

तेरी ख़ुशी से हम हैं आज ख़ुश कितने
तुझसे मिलना है, बताने भर को

कौन कहता है बेवफ़ा तुझको
तूने चाहा था दिखाने भर को


टीका टिप्पणी और संदर्भ