तख़्त बनते हैं -आदित्य चौधरी: Difference between revisions
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गुनाहों को छुपाने का हुनर उनका निराला है | गुनाहों को छुपाने का हुनर उनका निराला है | ||
तेरा ही ख़ून होता है हाथ तेरे ही सनते हैं | |||
न जाने कौनसी खिड़की से तू खाते बनाता है | न जाने कौनसी खिड़की से तू खाते बनाता है | ||
जो तेरी जेब के पैसे से उनके चॅक भुनते हैं | जो तेरी जेब के पैसे से उनके चॅक भुनते हैं | ||
बना है तेरी ही छत से | बना है तेरी ही छत से सुनहरा आसमां उनका | ||
मिलेगी छत चुनावों में, वहाँ तम्बू जो तनते हैं | मिलेगी छत चुनावों में, वहाँ तम्बू जो तनते हैं | ||
Revision as of 13:14, 28 January 2014
तख़्त बनते हैं -आदित्य चौधरी
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टीका टिप्पणी और संदर्भ