लहू बहता है -आदित्य चौधरी: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
('{| width="100%" style="background:#fbf8df; border:thin groove #003333; border-radius:5px; padding:8px;" |- | <noinclude>[[चित्...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
m ("लहू बहता है -आदित्य चौधरी" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (अनिश्चित्त अवधि) [move=sysop] (अनिश्चित्त अवधि)))
 
(No difference)

Latest revision as of 07:02, 29 June 2014

50px|right|link=|

लहू बहता है -आदित्य चौधरी

लहू बहता है तो कहना कि पसीना होगा
न जाने कब तलक इस दौर में जीना होगा

          'छलक ना' जाय सरे शाम कहीं महफ़िल में
          ये जाम-ए-सब्र तो हर हाल में पीना होगा

यूँ तो अहसास भी कम है चुभन का ज़ख़्मों की
तूने जो चाक़ किया तो हमें सीना होगा

          अब तो उम्मीद भी ठोकर की तरह दिखती है
          करना बदनाम यूँ किस्मत को सही ना होगा

यही वो शख़्स जो कुर्सी पे जाके बैठेगा
वक़्त आने पे वो तेरा तो कभी ना होगा


टीका टिप्पणी और संदर्भ