शक्रावतार: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
Line 1: Line 1:
*अभिज्ञानशाकुंतल<ref>अभिज्ञानशाकुंतल, अंक 5</ref> के उल्लेख के अनुसार [[हस्तिनापुर]] जाते समय शक्रावतार के अन्तर्गत शचीतीर्थ में [[गंगा]] के स्रोत में [[शकुंतला]] की अंगूठी गिरकर खो गई थी-
'''शक्रावतार''' एक पौराणिक स्थान है। [[अभिज्ञानशाकुंतलम|अभिज्ञानशाकुंतल]]<ref>अभिज्ञानशाकुंतल, अंक 5</ref> के उल्लेख के अनुसार [[हस्तिनापुर]] जाते समय शक्रावतार के अन्तर्गत शचीतीर्थ में [[गंगा]] के स्रोत में [[शकुंतला]] की अंगूठी गिरकर खो गई थी-
‘नूनं ते शक्रावताराभ्यन्तरे शचीतीर्थसलिले वन्दमानायाः प्रभ्रष्टमंगुलीयकम्’।  
‘नूनं ते शक्रावताराभ्यन्तरे शचीतीर्थसलिले वन्दमानायाः प्रभ्रष्टमंगुलीयकम्’।  
*यह अंगूठी शक्रवतार के धीवर को एक मछली के उदर से प्राप्त हुई थी-
*यह अंगूठी शक्रवतार के धीवर को एक [[मछली]] के उदर से प्राप्त हुई थी-
‘श्रृणुत इदानीम् अहं शक्रावतारवासी धीवरः’।<ref>अभिज्ञानशाकुंतल, अंक 6</ref>  
‘श्रृणुत इदानीम् अहं शक्रावतारवासी धीवरः’।<ref>अभिज्ञानशाकुंतल, अंक 6</ref>  
*शचीतीर्थ में गंगा की विद्यमानता का उल्लेख इस प्रकार है-
*शचीतीर्थ में गंगा की विद्यमानता का उल्लेख इस प्रकार है-
Line 15: Line 15:




{{लेख प्रगति|आधार=आधार1|प्रारम्भिक= |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>
==बाहरी कड़ियाँ==
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{पौराणिक स्थान}}
[[Category:महाभारत]]
[[Category:महाभारत]]
[[Category:इतिहास कोश]]
[[Category:इतिहास कोश]]
[[Category:नया पन्ना सितम्बर-2012]]
[[Category:पौराणिक स्थान]]
 
[[Category:पौराणिक कोश]]
__INDEX__
__INDEX__

Revision as of 14:40, 9 August 2014

शक्रावतार एक पौराणिक स्थान है। अभिज्ञानशाकुंतल[1] के उल्लेख के अनुसार हस्तिनापुर जाते समय शक्रावतार के अन्तर्गत शचीतीर्थ में गंगा के स्रोत में शकुंतला की अंगूठी गिरकर खो गई थी- ‘नूनं ते शक्रावताराभ्यन्तरे शचीतीर्थसलिले वन्दमानायाः प्रभ्रष्टमंगुलीयकम्’।

  • यह अंगूठी शक्रवतार के धीवर को एक मछली के उदर से प्राप्त हुई थी-

‘श्रृणुत इदानीम् अहं शक्रावतारवासी धीवरः’।[2]

  • शचीतीर्थ में गंगा की विद्यमानता का उल्लेख इस प्रकार है-

‘शचीतीर्थंवंदमानायाः संख्यास्ते हस्तादुर्गगास्रोतसि परिभ्रष्टम्’।[3]

  • एक मत के अनुसार शक्रवातार का अभिज्ञान मुज़फ़्फ़रनगर (उत्तर प्रदेश) में गंगा तट पर स्थित शुक्रताल नामक स्थान से किया जा सकता है।
  • शुक्रताल शक्रवातार का ही अपभ्रंश जान पड़ता है।
  • यह स्थान मालन नदी के निकट स्थित मंडावर (ज़िला बिजनौर) के सामने गंगा के दूसरी ओर स्थित है।
  • मंडावर में कण्वाश्रम की स्थिति परंपरा से मानी जाती है।
  • मंडावर से हस्तिनापुर (ज़िला मेरठ) जाते समय शुक्रताल, गंगा पार करने के पश्चात् दूसरे तट पर मिलता है और इस प्रकार कालिदास द्वारा वर्णित भौगोलिक परिस्थिति में यह अभिज्ञान ठीक बैठता है।
  • शुक्रताल का सम्बन्ध शुकदेव से बताया जाता है और यह स्थान अवश्य ही बहुत प्राचीन है।
  • बहुत संभव है कि शक्रावतार का शक ही शुक्र बन गया है और इस शब्द का शुकदेव से कोई सम्बन्ध नहीं है।
  • महाभारत[4] में उल्लिखित शक्रावर्त भी यही स्थान जान पड़ता है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. अभिज्ञानशाकुंतल, अंक 5
  2. अभिज्ञानशाकुंतल, अंक 6
  3. अभिज्ञानशाकुंतल,अंक 6
  4. महाभारत, वनपर्व 84, 29

संबंधित लेख