राज्यवर्धन सिंह राठौड़: Difference between revisions

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Revision as of 09:58, 10 November 2016

राज्यवर्धन सिंह राठौड़
पूरा नाम राज्यवर्धन सिंह राठौड़
अन्य नाम चिली
जन्म 29 जनवरी, 1970
जन्म भूमि जैसलमेर, राजस्थान
अभिभावक पिता- कर्नल लक्ष्मण सिंह, माता- मंजू
पति/पत्नी डॉ. गायत्री
संतान पुत्र- मानव आदित्य, पुत्री- भाग्यश्री
कर्म भूमि भारत
खेल-क्षेत्र निशानेबाज़ (शुटिंग)
पुरस्कार-उपाधि अर्जुन पुरस्कार’ (2004)
प्रसिद्धि भारतीय निशानेबाज़
नागरिकता भारतीय
संबंधित लेख समरेश जंग
अन्य जानकारी राज्यवर्धन सिंह राठौड़ स्कूली शिक्षा के जमाने से ही बास्केटबॉल, वालीबॉल, क्रिकेट, फ़ुटबॉल, कबड्डी और एथलेटिक्स के बेहतरीन खिलाड़ी रहे हैं। उन्होंने स्कूल गेम्स फैडरेशन ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित राष्ट्रीय क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन किया और चक्का फेंक प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता था।

राज्यवर्धन सिंह राठौड़ (अंग्रेज़ी: Rajyavardhan Singh Rathore, जन्म- 29 जनवरी, 1970, जैसलमेर, राजस्थान) भारत के प्रसिद्ध निशानेबाज़ हैं। अगस्त 2004 में होने वाले एथेंस ओलंपिक में 17 अगस्त को एक नए खिलाड़ी ने नया कीर्तिमान स्थापित किया था, उसने आज़ाद भारत को पहला ओलंपिक रजत पदक दिलाया। किसी व्यक्तिगत स्पर्धा में मिलने वाला रजत पदक भारत को राज्यवर्धन सिंह राठौड़ की बंदूक से मिला। स्वतंत्र भारत में भारत को प्रथम रजत पदक स्वतंत्रता के 57 वर्ष पश्चात मिला था। उनसे पहले ब्रितानी मूल के भारत में जन्मे नॉर्मन प्रिचर्ड ने 1900 ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक में दो रजत पदक जीते थे।

परिचय

राज्यवर्धन सिंह राठौड़ का जन्म 29 जनवरी, सन 1970 में जैसलमेर, राजस्थान के एक राजपूत परिवार में हुआ था। उनका घर का नाम ‘चिली’ है। उनकी पत्नी का नाम डॉ. गायत्री है। उनका 5 वर्षीय बेटा है- मानव आदित्य और बेटी है- भाग्यश्री। उनकी माँ का नाम मंजू तथा पिता कर्नल लक्ष्मण सिंह हैं। वह दिल्ली में रहते हैं।

शूटिंग की शुरुआत

1998 में राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने शुटिंग की शुरुआत की थी। जल्दी वह दुनिया के बेहतरीन ट्रैप शूटरों में गिने जाने लगे। साल 2003 में साइप्रस के शहर निकोसिया में उन्होंने विश्व चैंपियनशिप का कांस्य जीता था। स्पर्धा के पूर्व राठौड़ ने कहा था- ‘मैदाने जंग में शूटिंग ओलंपिक पदक जीतने से ज्यादा आसान है। स्पर्धा के माहौल में आपके अंदर का डर बाहर निकलकर आता है।" उन्होंने सेना छोड़कर खेल के मैदान में बाजी मारी। उन्होंने अपनी उपलब्धि के बारे में कहा- "हमारे देश में क्रिकेट बहुत महत्त्वपूर्ण है। मुझे भी यह पसन्द है, लेकिन मेरी उपलब्धि से लोग शूटिंग जैसे खेलों में भी आएंगे।"[1]

बेहतरीन खिलाड़ी

राज्यवर्धन सिंह राठौड़ स्कूली शिक्षा के जमाने से ही बास्केटबॉल, वालीबॉल, क्रिकेट, फ़ुटबॉल, कबड्डी और एथलेटिक्स के बेहतरीन खिलाड़ी रहे हैं। उन्होंने स्कूल गेम्स फैडरेशन ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित राष्ट्रीय क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन किया और चक्का फेंक प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता था। जब राज्यवर्धन कक्षा 10 के छात्र थे तो स्कूल गेम्स फेडरेशन की ओर से उन्हें स्कालरशिप दी गई थी। इसके बाद एन.डी.ए, राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एन.डी.ए.) में भी बास्केटबॉल टीम में शानदार प्रदर्शन किया और अनेक व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीते, जिससे उन्हें एन.डी.ए. के सर्वश्रेष्ठ खेल अवार्ड 'एन.डी.ए. ब्लेजर' से सम्मानित किया गया। इसके बाद 'इंडियन मिलिट्री एकेडेमी' (आइ.एम.ए.) में पहुंचने पर राज्यवर्धन ने वालीबॉल, फ़ुटबॉल, क्रिकेट, मुक्केबाज़ी और वाटरपोलो में स्वर्ण जीते। तब वह वालीबॉल टीम के कप्तान रहे। उन्हें ‘आइ.एम.ए. का ब्लेजर’ पुरस्कार भी दिया गया। इस कोर्स का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी होने के कारण उन्हें सिख रेजीमेंट का स्वर्ण पदक भी दिया गया। इसी कोर्स के दौरान उन्हें सर्वश्रेष्ठ कैडेट घोषित किया गया और ‘स्वोर्ड ऑफ ऑनर’ प्रदान किया गया।

1996 में राज्यवर्धन की शूटिंग की ट्रेनिंग आर्मी मार्क्समैन इन्फैंटरी स्कूल में हुई। फिर उसके बाद दिल्ली के डा. कर्णी सिंह शूटिंग रेंज, तुग़लक़ाबाद में उन्होंने शूटिंग का निरंतर अभ्यास किया। राष्ट्रीय चैंपियन मुराद अली खान, जो राज्यवर्धन के साथ खेल में पार्टनर भी थे, ने राज्यवर्धन के बारे में कहा- "उसका अनुशासन, मेहनत, लगन, आत्मविश्वास और आर्थिक सहायता ही उसे मेडल दिलाने में सफल हुए। राठौड़ ने अपने चयन के बाद बड़े ही वैज्ञानिक तरीके से अभ्यास का कार्यक्रम बनाया था। उसकी सबसे बड़ी खूबी यह भी है कि यह मेहनती शूटर समय बर्बाद किए बिना तुरन्त एक्शन में आ जाता है।" उनकी रुचियों में संगीत सुनना, शिकार करना, बाक्सिंग तथा गोल्फ खेलना है। उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर रहा है 191/200। वह अपनी मां तथा पिता से बेहद प्रभावित हैं।[1]

एथेंस ओलम्पिक के रजत विजेता

राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने वर्ष 2004 के एथेंस ओलम्पिक में भारत के लिये रजत पदक जीता। इसके साथ ही वे ओलंपिक पदक जीतने वाले प्रथम भारतीय निशानेबाज़ बन गए। राठौड़ ने क्वालीफाइंग राउंड में 135 (46,43,46) का स्कोर कर पांचवां स्थान प्राप्त किया था। लेकिन फ़ाइनल में उन्होंने अपना स्तर उठाते हुए 50 से 44 निशाने साधे और कुल 179 के स्कोर के साथ रजत पदक जीत लिया। संयुक्त अरब अमीरात के अहमद अल मख्तूम ने क्वालीफांइग दौर में 144 का स्कोर किया था और फ़ाइनल में 45 का स्कोर कर कुल स्कोर 189 पर पहुंचा कर स्वर्ण पदक हासिल किया। ओलंपिक इतिहास में भारत का यह चौथा व्यक्तिगत पदक और पहला व्यक्तिगत रजत पदक था। इससे पूर्व पहलवान खाशाबा जाधव ने 1952 के हेलसिंकी में कांस्य, टेनिस खिलाड़ी लिएंडर पेस ने 1996 के अटलांटा ओलंपिक में कांस्य और भारोत्तोलक कर्णम मल्लेश्वरी ने 2000 के सिडनी ओलंपिक में कांस्य पदक जीते थे।

पुरस्कार व सम्मान

राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को सितम्बर 2004 में ‘अर्जुन पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया। राष्ट्रपति से पुरस्कार लेने के लिए मंच पर आए राठौड़ का सबसे अधिक तालियों से स्वागत हुआ था, जो उनके नए राष्ट्रीय हीरो की स्वीकृति के रूप में थी। यह पुरस्कार राठौड़ की वर्ष 2003 की उपलब्धियों के लिए था। राठौड़ से जब इस पुरस्कार की प्राप्ति पर उनकी प्रतिक्रिया पूछी गई तो उनका कहना था, "मुझे नहीं लगता कि अर्जुन अवार्ड से खिलाड़ी प्रोत्साहित होते हैं। असली प्रेरणा तो मैदान में मिलती है। वहाँ मदद दी जानी चाहिए और जब खिलाड़ी आगे बड़े तो उसे प्रोत्साहन भी मिलना चाहिए, जैसा क्रिकेट के साथ हो रहा है। यह अच्छी बात है और इसे अन्य खेलों के साथ भी होना चाहिए।" उन्होंने कहा कि "किसी भी खिलाड़ी के लिए राष्ट्रपति से पुरस्कार लेना अपने आप में सबसे बड़ा सम्मान है। जब मैं मंच पर गया और तालियों की गड़गड़ाहट से अशोक हॉल गूंज उठा। मेरा सबसे बड़ा सम्मान था राष्ट्रपति से हाथ मिलाना। यह पुरस्कार आपकी उपलब्धियों को मान्यता प्रदान करता है।[1] ”वर्ष 2005 में हीरो होंडा स्पाइस अकादमीं ने राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को वर्ष 2004 का शुटिंग का श्रेष्ठतम खिलाड़ी नामांकित किया।

  • उन्हें वर्ष 2005 में 'राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार' से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार उन्हें राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम द्वारा प्रदान किया गया।
  • मेलबर्न में आयोजित 18वें राष्ट्रमंडल खेलों में राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को पेयर्स स्पर्धा में स्वर्ण पदक का दावेदार समझा जा रहा था, परन्तु वे अपने लक्ष्य से चूक गए और उन्हें दूसरे स्थान पर रह कर रजत पदक से ही संतोष करना पड़ा।
  • मई 2006 में राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने काहिरा के आई एस एस एफ वर्ल्ड कप में स्वर्ण पदक जीतकर बड़ी कामयाबी हासिल की। साथ ही बीजिंग में 2008 में होने वाले ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर लिया।
  • वर्ष 2006 में राठौड़ ने कैरो विश्व कप में स्वर्ण पदक जीता, जो किसी बड़ी उपलब्धि से कम नहीं। दिसम्बर 2006 में हुए दोहा एशियाड में उवल ट्रैप स्पर्धा में कांस्य पदक जीता और पुरुष डबल ट्रैप टीम स्पर्धा में विक्रम भटनागर और रंजन सोढी के साथ मिलकर रजत पदक जीता।

उपलब्धियाँ

राज्यवर्धन सिंह राठौड़ की प्रमुख उपलब्धियाँ निम्नलिखित हैं[1]-

  1. वर्ष 2002 के राष्ट्रमंडल खेलों में मानचेस्टर (इग्लैण्ड) में दो स्वर्ण पदक प्राप्त किए।
  2. आई.एस.एस.एफ. विश्व शाटगन कप, दिल्ली में 2003 में कांस्य पदक प्राप्त किया।
  3. 2003 में साइप्रस के निकोसियां में विश्व शूटिंग चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता।
  4. 2004 में सिडनी विश्व कप में स्वर्ण पदक जीता।
  5. 2004 में ही चेक मास्टर्स कप (चेक गणराज्य) में स्वर्ण पदक हासिल किया।
  6. 17 अगस्त, 2004 को एथेंस ओलंपिक, ग्रीस में रजत पदक प्राप्त किया। उनके रजत पदक जीतने पर राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने मेजर राठौड़ को राज्य सरकार की ओर से 11 लाख रुपये का नकद इनाम व आवास मंडल का साढ़े आठ लाख रुपये कीमत का एक फ़्लैट देने की घोषणा की थी।
  7. एशियाई क्ले विजन प्रतियोगिता, बैंकाक (थाईलैंड) में स्वर्ण पदक प्राप्त किया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 1.3 राज्यवर्धन सिंह राठौड़ का जीवन परिचय (हिन्दी) कैसे और क्या। अभिगमन तिथि: 03 सितम्बर, 2016।

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