निकोलस कॉपरनिकस: Difference between revisions

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*सन 1530 में कॉपरनिकस ने अपनी रचना "डि रिवोल्यूशनिबस' पूरी की, जिसमें कहा गया था कि [[पृथ्वी]] अपनी धुरी पर रोज़ एक चक्कर लगाती है और [[सूर्य]] का चक्कर लगाने में उसे एक [[वर्ष]] का समय लगता है।
*सन 1530 में कॉपरनिकस ने अपनी रचना "डि रिवोल्यूशनिबस' पूरी की, जिसमें कहा गया था कि [[पृथ्वी]] अपनी धुरी पर रोज़ एक चक्कर लगाती है और [[सूर्य]] का चक्कर लगाने में उसे एक [[वर्ष]] का समय लगता है।
*कॉपरनिकस ने यह निष्कर्ष कई वर्षों के अध्ययन के आधार पर निकाला था, जबकि उस समय तक दूरबीन का आविष्कार भी नहीं हुआ था।
*कॉपरनिकस ने यह निष्कर्ष कई वर्षों के अध्ययन के आधार पर निकाला था, जबकि उस समय तक दूरबीन का आविष्कार भी नहीं हुआ था।
*उस समय पश्चिमी जगत में यह मान्यता थी कि [[ब्रह्माण्ड]] एक गोलाकार बंद जगह है, जिसके परे कुछ नहीं है।
*उस समय पश्चिमी जगत् में यह मान्यता थी कि [[ब्रह्माण्ड]] एक गोलाकार बंद जगह है, जिसके परे कुछ नहीं है।
*सर्वप्रथम कॉपरनिकस ने ही यह सिद्धांत दिया कि सभी [[ग्रह]] सूर्य के चारों ओर घूमते हैं।
*सर्वप्रथम कॉपरनिकस ने ही यह सिद्धांत दिया कि सभी [[ग्रह]] सूर्य के चारों ओर घूमते हैं।
*कॉपरनिकस ने 'हीलियोसेंट्रिक सिद्धांत' प्रतिपादित किया, जिसने सिद्ध किया कि ब्रह्मांड के केंद्र में सूर्य है और सभी ग्रह लगातार उसका चक्कर लगाते रहते हैं।
*कॉपरनिकस ने 'हीलियोसेंट्रिक सिद्धांत' प्रतिपादित किया, जिसने सिद्ध किया कि ब्रह्मांड के केंद्र में सूर्य है और सभी ग्रह लगातार उसका चक्कर लगाते रहते हैं।

Latest revision as of 13:48, 30 June 2017

thumb|250px|निकोलस कॉपरनिकस निकोलस कॉपरनिकस (जन्म- 19 फ़रवरी, 1473, पोलैण्ड; मृत्यु- 24 मई, 1543) प्रसिद्ध यूरोपिय खगोलशास्त्री व गणितज्ञ थे। उनको 'आधुनिक खगोल विज्ञान का संस्थापक' माना जाता है। कॉपरनिकस ने ही सर्वप्रथम यह क्रांतिकारी सूत्र दिया था कि पृथ्वी अंतरिक्ष के केन्द्र में नहीं है। उन्होंने यह सिद्धांत दिया कि सभी ग्रह सूर्य के चारों ओर घूमते हैं।

  • सन 1530 में कॉपरनिकस ने अपनी रचना "डि रिवोल्यूशनिबस' पूरी की, जिसमें कहा गया था कि पृथ्वी अपनी धुरी पर रोज़ एक चक्कर लगाती है और सूर्य का चक्कर लगाने में उसे एक वर्ष का समय लगता है।
  • कॉपरनिकस ने यह निष्कर्ष कई वर्षों के अध्ययन के आधार पर निकाला था, जबकि उस समय तक दूरबीन का आविष्कार भी नहीं हुआ था।
  • उस समय पश्चिमी जगत् में यह मान्यता थी कि ब्रह्माण्ड एक गोलाकार बंद जगह है, जिसके परे कुछ नहीं है।
  • सर्वप्रथम कॉपरनिकस ने ही यह सिद्धांत दिया कि सभी ग्रह सूर्य के चारों ओर घूमते हैं।
  • कॉपरनिकस ने 'हीलियोसेंट्रिक सिद्धांत' प्रतिपादित किया, जिसने सिद्ध किया कि ब्रह्मांड के केंद्र में सूर्य है और सभी ग्रह लगातार उसका चक्कर लगाते रहते हैं।
  • इस सिद्धांत से पहले ऐसा माना जाता था कि सूर्य पृथ्वी का चक्कर लगाता है। अपने इस सिद्धांत के लिए कॉपरनिकस को शुरू में काफ़ी विरोध झेलना पड़ा, क्योंकि तत्कालीन सभी खगोलशास्त्री इस नए विचार के ख़िलाफ़ थे।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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