हत्याहारण तीर्थ: Difference between revisions

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* यह तीर्थ [[लखनऊ]] से लगभग 150 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।  
* यह तीर्थ [[लखनऊ]] से लगभग 150 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।  
* प्रसिद्ध हत्याहारण कुंड तीर्थ के संबंध में यह मान्यता है कि भगवान [[राम]] भी [[रावण]] वध के उपरांत ब्रह्म हत्या के दोष से मुक्त होने के लिये इस सरोवर में स्नान करने आये थे।  
* प्रसिद्ध हत्याहारण कुंड तीर्थ के संबंध में यह मान्यता है कि भगवान [[राम]] भी [[रावण]] वध के उपरांत ब्रह्म हत्या के दोष से मुक्त होने के लिये इस सरोवर में स्नान करने आये थे।  
* इस तीर्थ पर घाट का निर्माण [[28 मई]] [[1939]] को श्रीमती जनक किशोरी देवी पत्नी स्वर्गीय ठाकुर जनन्नाथ सिंह जी सुपुत्र ठाकुर शंकर सिंह रईस की याद में कराया गया था। श्री जगन्नाथ सिंह जी काकूपूर के जमींदार थे।
* इस तीर्थ पर घाट का निर्माण [[28 मई]] [[1939]] को श्रीमती जनक किशोरी देवी पत्नी स्वर्गीय ठाकुर जनन्नाथ सिंह जी सुपुत्र ठाकुर शंकर सिंह रईस की याद में कराया गया था। श्री जगन्नाथ सिंह जी काकूपूर के ज़मींदार थे।
*  इन नवनिर्मित घाटों का उद्घाटन तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर हरदोई श्री राय बहादुर शम्भूनाथ यू. पी. सी. एस. (युनाइटेड प्राविन्स सिविल सर्विस) द्वारा किया गया था।
*  इन नवनिर्मित घाटों का उद्घाटन तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर हरदोई श्री राय बहादुर शम्भूनाथ यू. पी. सी. एस. (युनाइटेड प्राविन्स सिविल सर्विस) द्वारा किया गया था।
==ऐतिहासिक कथा==
==ऐतिहासिक कथा==

Revision as of 11:25, 5 July 2017

हत्याहारण तीर्थ|thumb|250px हत्याहारण तीर्थ उत्तर प्रदेश प्रदेश के हरदोई जनपद की संडीला तहसील में पवित्र नैमिषारण्य परिक्रमा क्षेत्र में स्थित है।

  • यह तीर्थ लखनऊ से लगभग 150 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
  • प्रसिद्ध हत्याहारण कुंड तीर्थ के संबंध में यह मान्यता है कि भगवान राम भी रावण वध के उपरांत ब्रह्म हत्या के दोष से मुक्त होने के लिये इस सरोवर में स्नान करने आये थे।
  • इस तीर्थ पर घाट का निर्माण 28 मई 1939 को श्रीमती जनक किशोरी देवी पत्नी स्वर्गीय ठाकुर जनन्नाथ सिंह जी सुपुत्र ठाकुर शंकर सिंह रईस की याद में कराया गया था। श्री जगन्नाथ सिंह जी काकूपूर के ज़मींदार थे।
  • इन नवनिर्मित घाटों का उद्घाटन तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर हरदोई श्री राय बहादुर शम्भूनाथ यू. पी. सी. एस. (युनाइटेड प्राविन्स सिविल सर्विस) द्वारा किया गया था।

ऐतिहासिक कथा

इस तीर्थ की नीव देवो में देव महादेव ने डाली थी!शिव पुराण में वर्णन है!कि माता पार्वती के साथ भगवान भोले नाथ एकांत अर्रान्य(जंगल)कि खोज में निकले और नैमिषारण्य क्षेत्र में विहार करते हुए एक जंगल में जा पहुचे !वहा पर सुरम्य जंगल मिलने पर वहा तपस्या करने लगे ! तपस्या करते हुए माता पार्वती को प्यास लगी जंगल में कही जल ना मिलने पर उन्होंने देवताओ से पानी के लिए कहा तब भगवान सूर्य ने एक कमंडल जल दिया ! जल पान करने के बाद बचे जल को जमीन पर गिरा दिया !तेजस्वी पवित्र जल से वहा पर एक कुण्ड का निर्माण हुआ !जाते वक्त भगवान शंकर ने इस स्थान का नाम प्रभास्कर छेत्र रखा !यह कहानी सतयुग की है!काल बीतते रहे !द्वापर में ब्रम्हा द्वारा अपनी पुत्री पर कुद्रस्ती डालने पर पाप लगा !उन्होंने इस तीर्थ में आकर स्नान किया तब वह पाप मुक्त हुए !तब इस तीर्थ का नाम ब्रम्ह छेत्र पड़ा !त्रेता में मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने रावण का बध किया!तो भगवान राम के हाथ में बiल जम आया !ब्रम्हहत्या लगी!तब गुरु के कहने पर भगवान राम ब्रम्ह हत्या के पाप से मुक्त होने के लिए !इस तीर्थ पर आये और स्नान कर पाप धुले !तब जाकर ब्रम्ह हत्या के पाप से मुक्त हुए!तब त्रेता से आज तक इस स्थान का नाम हत्या हरण पड़ा!तब भगवान राम ने कहा था!जो इस स्थान पर आकर स्नान करेगा वह पाप मुक्त हो जायेगा!हत्या मुक्त हो जायेगा!यहाँ पर राम का एक बार नाम लेने से हजार नामो का लाभ मिलेगा!तब से आज तक लोग यहाँ इस पावन तीर्थ पर आकर हत्या गौ हत्या अन्य तरीके के पापो से मुक्ति पा रहे है!यह स्थान नैमिसरान्य के परिक्रमा स्थल के बीच में भी पड़ता है!यहाँ परिक्रमा स्थल के बीच में अट्ठासी हजार ऋषियों ने तपस्या की थी!इसलिए धार्मिक द्रस्ती से और भी महत्व पूर्ण है!इसके आलावा पांडव भी अपने कुल का नाश करने के बाद यहाँ पर पाप धुलने के लिए यहाँ आये थे!यह एक बिशाल पाताल तोड़ कुण्ड है!जिसके चारो तरफ मंदिर बने है!यहाँ पाप से मुक्ति पाने के लिए दूर से लोग आते है!ऐसा स्थान प्रथ्बी पर और कही नहीं !

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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