बस एक चान्स -आदित्य चौधरी: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replacement - " महान " to " महान् ") |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replacement - "हीरोइन" to "हिरोइन") |
||
Line 40: | Line 40: | ||
"भाग्य ने मेरा साथ दिया", "भाग्य से मुझे सब कुछ मिला", "ईश्वर की कृपा से मैं यहाँ तक पहुँचा" जैसे वाक्य 'सेलिब्रिटी' अक्सर कहते हैं। | "भाग्य ने मेरा साथ दिया", "भाग्य से मुझे सब कुछ मिला", "ईश्वर की कृपा से मैं यहाँ तक पहुँचा" जैसे वाक्य 'सेलिब्रिटी' अक्सर कहते हैं। | ||
क्या यह ठीक है ? या उन लोगों को हतोत्साहित करने के लिए एक ख़ूबसूरत धोखा है जो कि उसी क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहते हैं और सही रास्ता खोज रहे हैं। | क्या यह ठीक है ? या उन लोगों को हतोत्साहित करने के लिए एक ख़ूबसूरत धोखा है जो कि उसी क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहते हैं और सही रास्ता खोज रहे हैं। | ||
ज़रा सोचिए कि कोई प्रसिद्ध खिलाड़ी, अभिनेता या उद्योगपति यदि भाग्य के बल पर सफल हुआ है तो फिर क्या कोई उसके भाग्य का अनुसरण करे, वहाँ तक पहुँचने के लिए ? यह तो सम्भव नहीं है। बहुत से लोग जो भाग्य पर भरोसा करते हैं वे तो यह भी सोच सकते हैं कि कोई किसी का भाग्य कैसे पा सकता है। इस भाग्य के भरोसे, भारत के शहरों और गाँवों से अनेक नौजवान ये सपना लेकर मुम्बई जाते हैं कि हीरो, | ज़रा सोचिए कि कोई प्रसिद्ध खिलाड़ी, अभिनेता या उद्योगपति यदि भाग्य के बल पर सफल हुआ है तो फिर क्या कोई उसके भाग्य का अनुसरण करे, वहाँ तक पहुँचने के लिए ? यह तो सम्भव नहीं है। बहुत से लोग जो भाग्य पर भरोसा करते हैं वे तो यह भी सोच सकते हैं कि कोई किसी का भाग्य कैसे पा सकता है। इस भाग्य के भरोसे, भारत के शहरों और गाँवों से अनेक नौजवान ये सपना लेकर मुम्बई जाते हैं कि हीरो, हिरोइन या मॉडल बनेंगे। न जाने कितने लड़के-लड़कियाँ इस मुग़ालते में रहते हैं कि उन्हें मौक़ा या 'चान्स' नहीं मिला वरना... । जो समझदार हैं वे समझते हैं कि किसी भी क्षेत्र में सफल होने के लिए मेहनत तो निश्चित रूप से करनी ही पड़ती है। | ||
इस सप्ताह इतना ही... अगले सप्ताह कुछ और... | इस सप्ताह इतना ही... अगले सप्ताह कुछ और... |
Latest revision as of 07:21, 4 January 2018
50px|right|link=|
20px|link=http://www.facebook.com/bharatdiscovery|फ़ेसबुक पर भारतकोश (नई शुरुआत) भारतकोश बस एक चान्स -आदित्य चौधरी इस बात का पता 'चंद लोगों' को ही था कि छोटे पहलवान दुनिया का सबसे अक़्लमंद लड़का है। इन 'चंद लोगों' में थे- एक तो छोटे पहलवान ख़ुद और बाक़ी उसके माता-पिता और परिवारी जन। बाहर की दुनिया से छोटे का ज़्यादा सम्पर्क हुआ नहीं था। इसी दौर में उसे यह भी महसूस होने लगा कि वह दुनिया का महानतम विद्वान् भी है। अपनी पहली किताब के छपते ही एक ज़बर्दस्त हंगामा होने का ख़याल लिए वो अपना वक़्त क्रिकेट और फ़ुटबॉल खेलने में बिताता था। बारातों में बच्चों को पैसे लूटते देखकर वो सोचता था कि उसकी किताब की भी ऐसी ही लूट मचेगी एक दिन, बस ज़रा लिखने भर की देर है।
सारी दुनिया में ऐसे अनेक उदाहरण हैं जो हमें बतलाते हैं कि हर एक सृजन के पीछे कड़ी मेहनत छुपी है। इसलिए ध्यान रखिए कि आलोचना करना आसान है लेकिन सृजन करना मुश्किल है, बहुत मुश्किल। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ