गामाजी भांगरे: Difference between revisions

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Latest revision as of 16:28, 15 June 2021

गामाजी भांगरे (अंग्रेज़ी: Gamaji Bhangre) महाराष्ट्र के महादेव कोली थे। सन 1761 में कोलियों ने गामाजी भांगरे और खेरोजी पाटीकर नाम के कोलियों के नेतृत्व में हैदराबाद के मुस्लिम निज़ाम के खिलाप हथियार उठाये थे।

  • गामाजी भांगरे गोत्र के कोलयों का सरदार था। उनका एक साथी और था, जिसका नाम खेरोजी पाटिकर था।
  • गामाजी भांगरे और खेरोजी पाटिकर, इन दोनों ने कोलियों को इकट्ठा किया और हैदराबद रियासत के निज़ाम के खिलाप जंग का एलान कर दिया।
  • सन 1761 में कोलियों ने गामाजी और खेरोजी के नेतृत्व में धावा बोल दिया और ट्रिम्बक किले पर कब्जा कर लिया।
  • बाद के समय में गामाजी भांगरे और खेरोजी पाटिकर ने ट्रिम्बक किले को मराठा साम्राज्य में शामिल कर दिया। उनकी वीरता के सम्मान में कोलियों को गांव दिए गए। साथ ही 'पाटिल' और 'देशमुख' की उपाधि से भी नवाजा गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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