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कल उसे मुर्ग़ा बनाया था, भरे दरबार में आज बत्तीसी दिखाता चित्र है, अख़बार में ज़ोर से दुम को हिलाना सीख लें, काम आएगी ये कला बेजोड़ है, हर एक कारोबार में नाक को भी काटकर रख लें, छुपाकर जेब में ज़िन्दगी का फ़लसफा है, नाक के आकार में रुक गया ट्रॅफ़िक, संभल के सांस को भी रोक लो उनका कुत्ता सो रहा, लम्बी सी काली कार में अब झुका लो गर्दनें वरना कटेंगी खच्च से बहुत सारे जोखिमों का रिस्क है दीदार में कौन से सपने सुनहरे देखते रहते हो तुम अनगिनत हैं, जिनको चुनवाया गया दीवार में जाने कब होगा सवेरा ? मौन क़ब्रस्तान का इस तरह की बात मत करना यहाँ बेकार में
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