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एक लयबद्ध जीवन जीने की आस एक बहुत ही व्यक्तिगत जीवन का अहसास न जाने कब होगा होगा न जाने कब एक घर हो दूर कहीं छोटा सा जहाँ एकान्त की जहाँ माँग हो सबसे ज़्यादा बस मिल ना पाये कभी एकान्त न खाने को दौड़े अकेलापन कुछ ऐसे ही भविष्य का आभास लेकिन झूठ है सबकुछ ये नहीं होगा कभी भी नहीं होगा कैसे होगा ये... कि रहे कहीं ऐसी जगह जहाँ सभी अपने हों और छोटे-छोटे हक़ीक़त भरे सपने हों...
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