कथकली नृत्य

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 13:24, 4 January 2011 by व्यवस्थापन (talk | contribs) (Text replace - "महत्वपूर्ण" to "महत्त्वपूर्ण")
Jump to navigation Jump to search

[[चित्र:Kathakali-Dance.jpg|thumb|250px|कथकली नृत्य, केरल
Kathakali Dance, Kerala]] केरल के दक्षिण - पश्चिमी राज्‍य का एक समृद्ध और फलने फूलने वाला शास्त्रीय नृत्य कथकली यहाँ की परम्‍परा है। कथकली का अर्थ है एक कथा का नाटक या एक नृत्‍य नाटिका। कथा का अर्थ है कहानी, यहाँ अभिनेता रामायण और महाभारत के महाग्रंथों और पुराणों से लिए गए चरित्रों को अभिनय करते हैं। यह अत्‍यंत रंग बिरंगा नृत्‍य है। इसके नर्तक उभरे हुए परिधानों, फूलदार दुपट्टों, आभूषणों और मुकुट से सजे होते हैं। वे उन विभिन्‍न भूमिकाओं को चित्रित करने के लिए सांकेतिक रूप से विशिष्‍ट प्रकार का रूप धरते हैं, जो वैयक्तिक चरित्र के बजाए उस चरित्र के अधिक नज़दीक होते हैं।

विशेषताएं

विभिन्‍न विशेषताएं, मानव, देवता समान, दैत्‍य आदि को शानदार वेशभूषा और परिधानों के माध्‍यम से प्रदर्शित किया जाता है। इस नृत्‍य का सबसे अधिक प्रभावशाली भाग यह है कि इसके चरित्र कभी बोलते नहीं हैं, केवल उनके हाथों के हाव भाव की उच्‍च विकसित भाषा तथा चेहरे की अभिव्‍यक्ति होती है जो इस नाटिका के पाठ्य को दर्शकों के सामने प्रदर्शित करती है। उनके चेहरे के छोटे और बड़े हाव भाव, भंवों की गति, नेत्रों का संचलन, गालों, नाक और ठोड़ी की अभिव्‍यक्ति पर बारीकी से काम किया जाता है तथा एक कथकली अभिनेता - नर्तक द्वारा विभिन्‍न भावनाओं को प्रकट किया जाता है। इसमें अधिकांशत: पुरुष ही महिलाओं की भूमिका निभाते हैं, जबकि अब कुछ समय से महिलाओं को कथकली में शामिल किया जाता है।

वर्तमान समय का कथकली एक नृत्‍य नाटिका की परम्‍परा है जो केरल के नाट्य कर्म की उच्‍च विशिष्‍ट शैली की परम्‍परा के साथ शताब्दियों पहले विकसित हुआ था, विशेष रूप से कुडियाट्टम। पारम्‍परिक रीति रिवाज जैसे थेयाम, मुडियाट्टम और केरल की मार्शल कलाएं नृत्‍य को वर्तमान स्‍वरूप में लाने के लिए महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः