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एक बार तो पूछा होता कहो निराला ! कैसे की शादी बेटी की क्या दहेज़ था क्या-क्या थे उपहार दिए लाडो को कैसे मरे गजानन माधव मुक्तिबोध थे प्रेमचंद के जूते क्योंकर फटे हुए थे पाथेर पांचाली की शूटिंग रुकी रही क्यों नागार्जुन दो कुर्तों पर ही टिके रहे क्यों भुवनेश्वर के उपन्यास रह गए अधूरे तुम्हें याद हैं आधे गाँवों के वो घूरे पूछोगे क्या गए सीकरी क्यों कुंभन थे
कैसे बने असद थे ग़ालिब पहुँचे थे कलकत्ता चार साल तक चलते-चलते रस्ता इतना था क्या कौन गाँव की धरती परती बनी परिकथा कैसे हुआ उरिन होरी था क्या खाते थे माधो घीसू भगतसिंह की माँ के आँसू सूखे कैसे कैसे बीती रातें उसकी दिन थे कैसे बीते बिस्मिल और अशफ़ाक़ जेल में जागे थे क्या सोए कैसे कौन-कौन था मिलने आया कैसे करी मिलाई नहीं सोचोगे तुम ये
धनाभाव में किस-किस ने मॅडल जा बेचे ध्यानचंद ने हिटलर से कब आँख मिलाई किसने लाकर दिए रत्न भारत को बना रत्न भारत का कौन यहाँ पर कैसे कभी जान लेते तुम थोड़ा समय बिताकर रेणु और हज़ारी के जीवन की बातें तुम्हें चाहिए ताली पीटें आके सब दरबार में तलवे चाटें उसके जाकर जो भी हो सरकार में
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