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यूँ तो कुछ भी नया नहीं मेरे फ़साने में ! लुत्फ़ आता है, तुझे बारहा सुनाने में !! वो जो इक दूर से आवाज़ आ रही थी कोई ! उसे तो वक़्त है, मेरे क़रीब आने में !! तुझे भुला न सकूँगा ये मेरी फ़ितरत है ! चैन मिलता है मुझे, ख़ुद को भूल जाने में !! सुन के आवाज़ अपने दिल के टूट जाने की ! मैं भी हैरान हूँ इस, क़िस्म के वीराने में !! ग़मे दौराँ की भी क़ीमत लगाई जाती है ! तन्हा जीने की भी इक, शर्त है ज़माने में !! कोई मक़्सद ही नहीं मुझको मिला जीने का ! एक लम्हा ही जीऊँ, जब हो मौत आने में !!
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