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बीते लम्हों की यादों से अब उठें, भव्य उजियारा है इस नए साल को, यूँ जीएँ जैसे संसार हमारा है हम जीने दें और जी भी लें विश्वास जुटा कर उन सब में जो बात-बात पर कहते हैं हमको किस्मत ने मारा है अब रहे दामिनी निर्भय हो निर्भय इरोम का जीवन हो अब गर्भ में मुसकाये बिटिया यह अंश, वंश से प्यारा है फ़ेयर ही लवली नहीं रहे अनफ़ेयर यही अफ़ेयर हो काली मैया जब काली है तो रंग से क्यों बंटवारा है ये ज़ात-पात क्या होती है माता की कोई ज़ात नहीं यदि पिता ज़ात को रोता है तो कैसा पिता हमारा है जाने कब हम ये समझेंगे ना जाने कब ये जानेंगे मस्जिद में राम, मंदिर में ख़ुदा हर मज़हब एक सहारा है सुबह आज़ान जगाए हमें मंदिर की आरती झपकी दे सपनों में ख़ुदा या राम बसें मक़सद अब प्रेम हमारा है सहमी मस्जिद को बोल मिलेें मंदिर भी अब जी खोल मिलें गिरजे गुरुद्वारे सब बोलें जय हो ! यह देश हमारा है
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