50px|right|link=|
आसमान को काला कर दे हर नदिया को नाला कर दे हरी-भरी सुंदर धरती को गिट्टी पत्थर वाला कर दे पॉलीथिन के ढेर लगा दे घास कुचल दे,पेड़ गिरा दे सारे सुन्दर ताल सुखाकर घर-आंगन बाज़ार बना दे मज़हब की दीवार बना दे रिश्तों का हर रूप मिटा दे ज़ात-पात के रंग दिखा कर दुर्गम पहरेदार बिठा दे पत्थर को भगवान बना दे मुल्लों को मीनार चढ़ा दे सांस न पाए कोई सुख की ऐसा ये संसार बना दे मोबाइल फ़ोनों में रम जा बंद घरों, कमरों में थम जा चला के टीवी मंहगा वाला एक जगह कुर्सी पे जम जा बाग़ो को फ़र्नीचर कर दे आमों को बोतल में भर दे खेतों में तू सड़क बना कर फ़सलों की बेदख़ली कर दे कभी तो थोड़ी रोक लगा दे कभी तो अच्छी सोच बना ले नहीं रहेगा कुछ भी जीवित इस धरती की जान बचा ले
विडियो / फ़ेसबुक अपडेट्स
सम्पादकीय लेख
कविताएँ