Revision as of 13:24, 18 February 2015 by गोविन्द राम(talk | contribs)('{| width="100%" style="background:#fbf8df; border:thin groove #003333; border-radius:5px; padding:8px;" |- | <noinclude>[[चित्...' के साथ नया पन्ना बनाया)
ये जो मिरी आंखों में तैरता हुआ पानी है,
कुछ और नहीं
तुझसे मेरे रिश्ते की कहानी है
पैंतीस साल होने को आ रहे हैं
कुछ दिन बाद
अपनी शादी को
मगर लगता है कि
तेरे मेरे बीच
आज भी वही गर्माहट
और रवानी है
कौन कहता है कि
ख़ूब निबाहा है हमने ?
निबाहा तो बिल्कुल नहीं...
हमें तो ज़िन्दगी साथ-साथ
यूँ ही जीते जानी है...