ऑपरेशन मेघदूत

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 13:55, 9 May 2021 by आदित्य चौधरी (talk | contribs) (Text replacement - "कब्जा" to "क़ब्ज़ा")
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search

ऑपरेशन मेघदूत (अंग्रेज़ी: Operation Meghdoot) भारतीय सेना द्वारा 13 अप्रैल, 1984 को शुरू किया गया सैन्य अभियान था। साल 1984 में भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसी रॉ को यह जानकारी हासिल हुई कि पाकिस्तान अपने अभियान ऑपरेशन अबाबील के तहत सियाचीन के सल्तोरो रिज को हथियाने की योजना बना रहा है। यह खबर मिलते ही भारतीय सेना ने इस दुर्गम इलाके में तुरंत ऑपरेशन मेघदूत की योजना बना डाली। इस सामरिक चोटी पर क़ब्ज़ा जमाने के लिए पाकिस्तानी सेना के जवान पहुंचें, उसके पहले ही इस क्षेत्र में करीब 300 भारतीय जवानों की टुकड़ी को तैनात कर दिया गया।

इतिहास

सियाचिन में भारतीय फौजों की किलेबंदी इतनी मजबूत है कि पाकिस्तान चाह कर भी इसमें सेंध नहीं लगा सकता। दरअसल, ये सफलता है 1984 के उस मिशन मेघदूत की, जिसे भारतीय सेना ने सियाचिन पर कब्जे के लिए शुरू किया था। शह और मात के इस खेल में भारत ने पाकिस्तान को जबरदस्त शिकस्त दी थी। दुनिया के सबसे ऊंचे रणक्षेत्र सियाचिन में भारत और पाकिस्तान की फौज पिछले 30 साल से आमने-सामने डटी हुई हैं। 1984 से पहले सियाचिन में ये स्थिति नहीं थी, वहां किसी भी देश की फौज नहीं थी। 1949 के कराची समझौते और 1972 के शिमला समझौते में दोनों देशों के बीच ये समझदारी बनी हुई थी कि प्वाइंट NJ 9842 के आगे के दुर्गम इलाके में कोई भी देश नियंत्रण की कोशिश नहीं करेगा। तब तक उत्तर में चीन की सीमा की तरफ प्वाइंट NJ 9842 तक ही भारत-पाकिस्तान के बीच सीमा चिन्हित थी, लेकिन पाकिस्तान की नीयत खराब होते देर नहीं लगी। उसने इस इलाके में पर्वतारोही दलों को जाने की इजाजत देनी शुरू कर दी, जिसने भारतीय सेना को चौकन्ना कर दिया।[1]

ऑपरेशन मेघदूत की शुरुआत

80 के दशक से ही पाकिस्तान ने सियाचिन पर कब्जे की तैयारी शुरू कर दी थी। बर्फीले जीवन के तजुर्बे के लिए 1982 में भारत ने भी अपने जवानों को अंटार्कटिका भेजा। 1984 में पाकिस्तान ने लंदन की कंपनी को बर्फ में काम आने वाले साजो-सामान की सप्लाई का ठेका दिया। इस पर भारत ने 13 अप्रैल, 1984 को सियाचिन पर क़ब्ज़ा करने के लिए ऑपरेशन मेघदूत शुरू कर दिया। पाकिस्तान 17 अप्रैल से सियाचिन पर कब्जे का ऑपरेशन शुरू करने वाला था। हालांकि भारत ने तीन दिन पहले ही कार्रवाई कर उसे हैरान कर दिया, लेकिन ये ऑपरेशन आसान नहीं था।

ऑपरेशन मेघदूत के तहत भारतीय सैनिकों को वायुसेना के II-76, AN-12 और AN-32 विमानों से ऊंचाई वाली एयरफील्ड तक पहुंचाया गया। वहां से MI-17, MI-8, चेतक और चीता हेलीकॉप्टरों के जरिए सैनिकों को ग्लेशियर की उन चोटियों तक पहुंचा दिया गया, जहां तब तक इंसानों के कदम नहीं पड़े थे। जब पाकिस्तानी फौज इस इलाके में पहुंची तो उन्होंने पाया कि करीब 300 भारतीय जांबाज पहले से ही सियाचिन, सलतोरो ग्लेशियर, साई-लॉ, बिलाफोंड लॉ दर्रे पर क़ब्ज़ा जमाए बैठे हैं। तब से भारतीय फौज सियाचिन की दुर्गम पहाड़ियों पर हर तरह के मुश्किल हालात का सामना करती हुईं डटी हुई है। [[चित्र:Bana-singh.jpg|thumb|210px|नायब सूबेदार बाना सिंह]]

बाना चौकी

मौजूदा हालात ये है कि भारतीय सेना सियाचिन में ऊंचाई वाली चोटियों से लेकर सलतोरो रिज तक ऊंची जगहों पर डटी है। सियाचिन पर पाकिस्तान की मौजूदगी नहीं है, वो सलतोरो रिज से भी पश्चिम में ग्योंग ग्लेशियर पर काबिज है। निचले इलाके में होने की वजह से पाकिस्तानी सैनिक हमेशा भारतीय सेना के निशाने पर होते हैं। पाकिस्तान ने इस स्थिति को बदलने की एक बड़ी कोशिश 1987 में की, जब जनरल परवेज मुशर्रफ के निर्देश पर पाकिस्तानी फौज के एसएसजी कमांडो ने बिलाफोंड लॉ दर्रे पर कब्जे की कोशिश की। शुरुआत में उन्हें कुछ सफलता मिली, लेकिन भारतीय सेना ने जबरदस्त मुकाबले के बाद हमलावरों को पीछे धकेल दिया। इसी लड़ाई के दौरान तब नायब सूबेदार बाना सिंह ने 22 हजार फीट ऊंची चोटी पर चढ़ कर पाकिस्तानियों की अहम चौकी पर क़ब्ज़ा कर लिया था। भारतीय सेना अब इसे "बाना चौकी" कहती है।[1]

पाकिस्तान ने 1987 के बाद भी 1990, 1995, 1996 और 1999 में लाहौर समझौते से पहले भी सियाचिन पर कब्जे की कोशिश की, लेकिन भारतीय जांबाजों की वजह से हर बार उसे मुंह की खानी पड़ी। आखिरकार थक कर 2003 में पाकिस्तान ने सियाचिन में एक तरफा युद्धविराम का ऐलान कर दिया।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 13 अप्रैल 1984: ऑपरेशन मेघदूत (हिंदी) tejasraval.wordpress.com। अभिगमन तिथि: 15 जनवरी, 2017।

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः