कंदला

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कंदला - संज्ञा पुल्लिंग (संस्कृत कन्दल=सोना)[1]

1. चांदी की वह गुल्ली या लंबा छड़ जिससे तारकश तार बनाते हैं। पासा। रैनी। गुल्ली।

विशेष- तार बनाने के लिये चाँदी को गलाकर पहले उसका एक लंबा छड़ बनाया जाता है। इस छड़ के दोनों छोर नुकीले होते हैं। अगर सुनहला तार बनाना होता है, तो उसके बीच में सोने का पत्तर चढ़ा देते हैं, फिर इसको यंत्री में खींचते हैं। इस छड़ को सुनार गुल्ली और तारकश कंदला, पासा और रैनी कहते हैं।

मुहावरा-

'कंदला गलाना' = (1) चाँदी और सोना मिलाकर एक साथ गलाना। (2) सोने या चाँदी का पतला तार।

यौगिक- कंदलाकश। कंदलाकचहरी।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 725 |

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