कटनि
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 05:55, 7 December 2021 by रविन्द्र प्रसाद (talk | contribs) (''''कटनि''' - (काव्य प्रयोग, पुरानी हिन्दी) संज्ञा स्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
कटनि - (काव्य प्रयोग, पुरानी हिन्दी) संज्ञा स्त्रीलिंग (हिन्दी कटना)[1]
- काट।
उदाहरण-
करत जात जेती कटनि बढ़ि रस सरिता सोत। आलबाल उर प्रेम तरू तितो तितो दृढ़ होत। - कवि बिहारी
- प्रीति। आसक्ति। रीझन।
उदाहरण-
फिरत जो अटकत कटनि बिन रसिक सुरसन खियाल्। अनत अनत नित नित हितनि कत सकुचावत लाल। - कवि बिहारी
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिंदी शब्दसागर, द्वितीय भाग |लेखक: श्यामसुंदरदास बी. ए. |प्रकाशक: नागरी मुद्रण, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 748 |
संबंधित लेख
|
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज
Retrieved from "https://en.bharatdiscovery.org/w/index.php?title=कटनि&oldid=670891"