Difference between revisions of "घटोत्कच (गुप्त काल)"

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*महाराज घटोत्कच [[श्रीगुप्त|श्री गुप्त]] का पुत्र और उत्तराधिकारी था। लगभग 280 ई. में श्रीगुप्त ने घटोत्कच को अपना उत्तराधिकारी बनाया।
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{{बहुविकल्प|बहुविकल्पी शब्द=घटोत्कच |लेख का नाम=घटोत्कच (बहुविकल्पी)}}
*घटोत्कच ( 300-319 ई.) के लगभग शासक बना।
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'''घटोत्कच''' (300-319 ई.) [[गुप्त काल]] में [[श्रीगुप्त]] का पुत्र और उसका उत्तराधिकारी था। लगभग 280 ई. में श्रीगुप्त ने घटोत्कच को अपना उत्तराधिकारी बनाया था। घटोत्कच तत्सामयिक [[शक साम्राज्य]] का सेनापति था। उस समय [[शक]] जाति [[ब्राह्मण|ब्राह्मणों]] से बलपूर्वक [[क्षत्रिय]] बनने को आतुर थी। घटोत्कच ने 'महाराज' की उपाधि को धारण किया था।
*यह तत्सामयिक [[शक साम्राज्य]] का सेनापति था।  
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*उस समय [[शक]] जाति ब्राह्मणों से बलात [[क्षत्रिय]] बनने को आतुर थी।  
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*घटोत्कच के काल की कुछ मुद्राएँ ऐसी मिली हैं, जिन पर 'श्रीघटोत्कचगुप्तस्य' या केवल 'घट' लिखा है।
*कुछ मुद्राएँ ऐसी मिली हैं, जिन पर 'श्रीघटोत्कचगुप्तस्य' या केवल 'घट' लिखा है।  
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*[[शक]] राज परिवार तो क्षत्रियत्व हस्तगत हो चला था, किन्तु साधारण राजकर्मी अपनी क्रूरता के माध्यम से क्षत्रियत्व पाने को इस प्रकार लालायित हो उठे थे, कि उनके अत्याचारों से ब्राह्मण त्रस्त हो चले।
*इसने भी महाराज की उपाधि धारण की।
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*ब्राह्मणों ने क्षत्रियों की शरण ली, किन्तु वे भी उनसे पहले ही रुष्ट थे, जि कारण ब्राह्मणों की रक्षा न हो सकी।
*शक राज परिवार को तो क्षत्रियत्व हस्तगत हो चला था, किन्तु साधारण राजकर्मी अपनी क्रूरता के माध्यम से क्षत्रियत्व पाने को इस प्रकार लालायित हो उठे कि उनके अत्याचारों से ब्राह्मण त्रस्त हो चले। उन्होंने क्षत्रियों की शरण ली, किन्तु वे उनसे पहले ही रुष्ट थे अतः ब्राह्मणों की रक्षा न हो सकी। ठीक इसी जाति-विपणन के काक रव में पड़कर एक ब्राह्मण की रक्षा हेतु घटोत्कच ने 'कर्ण' और 'सुवर्ण' नामक दो शक मल्लों को मार गिराया। यह उनका स्पष्ट राजद्रोह था। शकराज क्रोध से फुँकार उठे। लगा, मानों ब्राह्मण और क्षत्रिय अब इस धरती से उठ जायेंगे।  
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*ठीक इसी जाति-विपणन के काकरव में पड़कर एक [[ब्राह्मण]] की रक्षा हेतु घटोत्कच ने 'कर्ण' और 'सुवर्ण' नामक दो शक मल्लों को मार गिराया।
*‘मधुमती’ नामक क्षत्रिय कन्या से इसका पाणिग्रहण हुआ। [[लिच्छवी|लिच्छिवियों]] ने घटोत्कच को शरण दी, साथ ही उनके पुत्र [[चंद्रगुप्त प्रथम]] के साथ अपनी पुत्री कुमारदेवी का विवाह भी कर दिया।
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*यह उनका स्पष्ट राजद्रोह था, जिससे शकराज क्रोध से फुँकार उठे और लगा, मानों ब्राह्मण और [[क्षत्रिय]] अब इस धरती से उठ जायेंगे।
*प्रभावती गुप्त के पूना एवं रिद्धपुर ताम्रपत्र अभिलेखों में घटोच्कच को [[गुप्त वंश]] का प्रथम राजा बताया गया है।  
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*‘मधुमती’ नामक क्षत्रिय कन्या से घटोत्कच का पाणिग्रहण हुआ था।
*इसका राज्य संभवतः [[मगध]] के अगल-बगल तक ही सीमित था।  
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*[[लिच्छवी|लिच्छिवियों]] ने घटोत्कच को शरण दी, साथ ही उनके पुत्र [[चंद्रगुप्त प्रथम]] के साथ अपनी पुत्री कुमारदेवी का विवाह भी कर दिया।
*उसने लगभग 319 ई. तक शासन किया।
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*प्रभावती गुप्त के [[पूना]] एवं रिद्धपुर ताम्रपत्र अभिलेखों में घटोच्कच को [[गुप्त वंश]] का प्रथम राजा बताया गया है।
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*इसका राज्य संभवतः [[मगध]] के आसपास तक ही सीमित था।
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*महाराज घटोत्कच ने लगभग 319 ई. तक शासन किया था।
  
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Revision as of 14:14, 17 December 2011

chitr:Disamb2.jpg ghatotkach ek bahuvikalpi shabd hai any arthoan ke lie dekhean:- ghatotkach (bahuvikalpi)

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ghatotkach (300-319 ee.) gupt kal mean shrigupt ka putr aur usaka uttaradhikari tha. lagabhag 280 ee. mean shrigupt ne ghatotkach ko apana uttaradhikari banaya tha. ghatotkach tatsamayik shak samrajy ka senapati tha. us samay shak jati brahmanoan se balapoorvak kshatriy banane ko atur thi. ghatotkach ne 'maharaj' ki upadhi ko dharan kiya tha.

  • ghatotkach ke kal ki kuchh mudraean aisi mili haian, jin par 'shrighatotkachaguptasy' ya keval 'ghat' likha hai.
  • shak raj parivar to kshatriyatv hastagat ho chala tha, kintu sadharan rajakarmi apani kroorata ke madhyam se kshatriyatv pane ko is prakar lalayit ho uthe the, ki unake atyacharoan se brahman trast ho chale.
  • brahmanoan ne kshatriyoan ki sharan li, kintu ve bhi unase pahale hi rusht the, ji karan brahmanoan ki raksha n ho saki.
  • thik isi jati-vipanan ke kakarav mean p dakar ek brahman ki raksha hetu ghatotkach ne 'karn' aur 'suvarn' namak do shak malloan ko mar giraya.
  • yah unaka spasht rajadroh tha, jisase shakaraj krodh se phuankar uthe aur laga, manoan brahman aur kshatriy ab is dharati se uth jayeange.
  • ‘madhumati’ namak kshatriy kanya se ghatotkach ka panigrahan hua tha.
  • lichchhiviyoan ne ghatotkach ko sharan di, sath hi unake putr chandragupt pratham ke sath apani putri kumaradevi ka vivah bhi kar diya.
  • prabhavati gupt ke poona evan riddhapur tamrapatr abhilekhoan mean ghatochkach ko gupt vansh ka pratham raja bataya gaya hai.
  • isaka rajy sanbhavatah magadh ke asapas tak hi simit tha.
  • maharaj ghatotkach ne lagabhag 319 ee. tak shasan kiya tha.


panne ki pragati avastha
adhar
prarambhik
madhyamik
poornata
shodh

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tika tippani aur sandarbh

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