हर्ष गुप्त: Difference between revisions
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*[[कृष्ण गुप्त]] का उत्तराधिकारी उसका पुत्र हर्ष गुप्त | *अफ़सढ़ अभिलेख में कहा गया है कि इसने अनेक दुधर्ष युद्धों में विजय प्राप्त की था। इसका शासन काल भी [[हूण|हूणों]] के आक्रमण के कारण उथल-पुथल का काल था। यह [[हूण]] आक्रान्ता [[तोरमाण]] और उसके पुत्र मिहिरकुल दोनों का समकालीन था। इस समय [[गुप्त]] सम्राट [[नरसिंह गुप्त]] बालादित्य हूणों के साथ संघर्ष में उलझा हुआ था। | ||
*इसका शासनकाल लगभग 500 ईस्वी से 520 ईस्वी तक | *कुछ विद्वानों का यह मानना है कि नरसिंह गुप्त का शासन [[मगध]] क्षेत्र में ही सीमित था, जबकि [[अखण्डित बंगाल|बंगाल]] के क्षेत्र में कदाचित वैन्य गुप्त ने अपना स्वतंत्र राज्य स्थापित कर लिया था तथा [[मालवा]] क्षेत्र में सम्भवतः भानु गुप्त हूणों के विरुद्ध संघर्षरत था। | ||
* | *अफ़सढ़ अभिलेख में हर्ष गुप्त के लिए स्वतंत्र शासक के लिए प्रयुक्त होने वाली किसी उपाधि का प्रयोग नहीं है। अतः उसकी स्थिति एक सामन्त की ही प्रतीत होती है। यह कहना कठिन है कि वह तत्कालीन [[गुप्त वंश|गुप्त]] सम्राट [[नरसिंह गुप्त|नरसिंह गुप्त बालादित्य]] अथवा भानु गुप्त के अधीन शासन कर रहा था या उसने हूणों की अधिसत्ता स्वीकार कर ली थी। यह भी सम्भावना व्यक्त की गयी है कि वह मालवा के [[यशोवर्मन]] का भी समकालीन था। किंतु दोनों के पारस्परिक सम्बन्ध के विषय में कोई सूचना उपलब्ध नहीं है। | ||
*कुछ विद्वानों का यह मानना है कि नरसिंह गुप्त का शासन [[मगध]] क्षेत्र में ही सीमित था, जबकि [[बंगाल]] के क्षेत्र में कदाचित वैन्य गुप्त ने अपना स्वतंत्र राज्य स्थापित कर लिया था तथा [[मालवा]] क्षेत्र में सम्भवतः भानु गुप्त हूणों के | *हर्ष गुप्त की बहन का [[विवाह]] [[मौखरि वंश|मौखरी]] नरेश आदित्यवर्मा के साथ हुआ था। इस प्रकार हर्ष गुप्त के शासनकाल में उत्तर गुप्त एवं मौखरी राजकुलों के पारस्परिक सम्बन्ध मित्रतापूर्ण दिखाई देते हैं। | ||
* | *वस्तुतः ये दोनों ही राजकुल विकासोन्मुख थे। अपनी राजनीतिक महत्त्वाकांक्षाओं की पूर्ति के लिए ये परस्पर सहयोगी बनें और मैत्री सम्बन्ध को सु़दृढ़ करने के लिए वैवाहिक सम्बन्ध का आश्रय लिया। | ||
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Latest revision as of 07:57, 8 July 2011
- कृष्ण गुप्त का उत्तराधिकारी उसका पुत्र हर्ष गुप्त था।
- इसका शासनकाल लगभग 500 ईस्वी से 520 ईस्वी तक था।
- अफ़सढ़ अभिलेख में कहा गया है कि इसने अनेक दुधर्ष युद्धों में विजय प्राप्त की था। इसका शासन काल भी हूणों के आक्रमण के कारण उथल-पुथल का काल था। यह हूण आक्रान्ता तोरमाण और उसके पुत्र मिहिरकुल दोनों का समकालीन था। इस समय गुप्त सम्राट नरसिंह गुप्त बालादित्य हूणों के साथ संघर्ष में उलझा हुआ था।
- कुछ विद्वानों का यह मानना है कि नरसिंह गुप्त का शासन मगध क्षेत्र में ही सीमित था, जबकि बंगाल के क्षेत्र में कदाचित वैन्य गुप्त ने अपना स्वतंत्र राज्य स्थापित कर लिया था तथा मालवा क्षेत्र में सम्भवतः भानु गुप्त हूणों के विरुद्ध संघर्षरत था।
- अफ़सढ़ अभिलेख में हर्ष गुप्त के लिए स्वतंत्र शासक के लिए प्रयुक्त होने वाली किसी उपाधि का प्रयोग नहीं है। अतः उसकी स्थिति एक सामन्त की ही प्रतीत होती है। यह कहना कठिन है कि वह तत्कालीन गुप्त सम्राट नरसिंह गुप्त बालादित्य अथवा भानु गुप्त के अधीन शासन कर रहा था या उसने हूणों की अधिसत्ता स्वीकार कर ली थी। यह भी सम्भावना व्यक्त की गयी है कि वह मालवा के यशोवर्मन का भी समकालीन था। किंतु दोनों के पारस्परिक सम्बन्ध के विषय में कोई सूचना उपलब्ध नहीं है।
- हर्ष गुप्त की बहन का विवाह मौखरी नरेश आदित्यवर्मा के साथ हुआ था। इस प्रकार हर्ष गुप्त के शासनकाल में उत्तर गुप्त एवं मौखरी राजकुलों के पारस्परिक सम्बन्ध मित्रतापूर्ण दिखाई देते हैं।
- वस्तुतः ये दोनों ही राजकुल विकासोन्मुख थे। अपनी राजनीतिक महत्त्वाकांक्षाओं की पूर्ति के लिए ये परस्पर सहयोगी बनें और मैत्री सम्बन्ध को सु़दृढ़ करने के लिए वैवाहिक सम्बन्ध का आश्रय लिया।
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