धनाजी जादव: Difference between revisions

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Latest revision as of 11:46, 16 October 2011

  • धनाजी जादव एक प्रमुख मराठा सरदार था, जो अपनी वीरता के लिए जाना जाता है।
  • धनाजी ने 1689 ई. में शम्भुजी की पराजय और मृत्यु के पश्चात् मुग़लों के विरुद्ध मराठों का संघर्ष पूरी शक्ति से जारी रखा।
  • उसने मुग़लों के विभिन्न क्षेत्रों को बारी-बारी से रौंदा और मराठों का स्वराज्य के लिए संघर्ष लगातार जारी रखा।
  • 1707 ई. में मुग़लों की क़ैद से साहू की मुक्ति हो चुकी थी।
  • इस प्रकार साहू के मुक्त हो जाने के पश्चात् धनाजी जादव मराठा सेना का प्रधान बनाया गया।
  • धनाजी की मृत्यु हो जाने पर उसके स्थान पर उसका लड़का चन्द्रसेन जादव सेनापति बनाया गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

भट्टाचार्य, सच्चिदानन्द भारतीय इतिहास कोश, द्वितीय संस्करण-1989 (हिन्दी), भारत डिस्कवरी पुस्तकालय: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, 214।

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